सरकार चाहे कितना ही निवेश और देश की आर्थिक स्थिति में सुधार की बात करती हो पर अक्टूबर महिने में शेयर बाजार से आने वाली ये खबर उसकी उदासीन और ध्वस्त आर्थिक नीति की ओर इशारा कर रहे हैं. अक्टूबर के पहले तीन हफ्तों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 32,000 करोड़ रुपए की रकम निकाल ली है. जबकि, पूरे सितंबर महीने में सिर्फ 21,000 करोड़ रुपए की निकासी की थी. हालांकि इसके लिए ग्लोबल ट्रेड वार, क्रूड की बढ़ती कीमतों और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड बढ़ने जैसी वैश्विक घटनाओं को मुख्य घटक माना जा रहा है. जानकारों का मानना है कि इसका प्रमुख कारण निवेशकों इक्विटी और डेट मार्केट में घटा भरोसा है, जिसकी वजह से ज्यादा बिकवाली की गई है.

आपको बता दें कि निवेशकों ने 1 से 19 अक्टूबर तक इक्विटी मार्केट में 19,810 की बिकवाली की. इस दौरान 12,167 करोड़ रुपए के बौन्ड बेचे गए. इस साल विदेशी निवेशकों ने ज्यादातर महीनों में खरीदारी कम और बिकवाली ज्यादा की.

एक फाइनेंशियल सर्विसेज के आर्थिक मामलों के जानकार ने दुनिया भर में आई इस आर्थिक सुस्ती के लिए के लिए अमेरिका चीन के ट्रेड वार को मुख्य वजह बताया है. इसके चलते विदेशी निवेशकों ने रकम निकाली. इसके अलावा इसका कारण आईएमएफ के वैश्विक अर्थव्यवस्था की ग्रोथ का अनुमान कम करना भी है. जिसके कारण निवेशकों का सेंटीमेंट बिगड़ा है.

जानकारों की माने तो अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने और डौलर में मजबूती जैसी वजहों के चलते निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालकर दूसरे बाजारों में निवेश बढ़ा रहे हैं. वहीं आईएल एंड एफएस का संकट भी इस निकासी का प्रमुख कारण है. इस साल विदेशी निवेशक इक्विटी बाजार से 33,000 करोड़ और डेट मार्केट से 60,000 करोड़ रुपए की निकासी कर चुके हैं.

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