भले ही बाजार में बच्चों के बहुत सारे गेम आ गए हैं, मल्टीप्लैक्स स्क्रीनों और डिजिटल खेल के साधनों में बढ़ोतरी हुई है, फिर भी बच्चों के बीच टीवी सब से अधिक लोकप्रिय है, क्योंकि डोरेमोन, पोकेमोन, टौम ऐंड जैरी, मोटूपतलू, छोटा भीम आदि कार्टून टीवी पर ही दिखाए जाते हैं.

बच्चों के बीच इन कार्यक्रमों का आकर्षण जबरदस्त है. इन की लोकप्रियता इतनी है कि कुछ बच्चे इन्हें देखे बिना खाना तक नहीं खाते हैं. अगर पेरैंट्स उन्हें ऐसा करने से रोकने की हिमाकत करता है तो दिनभर उन्हें बच्चों की नाराजगी झेलनी पड़ती है. कार्यक्रम की थीम के हिसाब से ऐनिमेशन व कार्टून किड्स चैनलों में सब से लोकप्रिय हैं, जबकि गैरकिड्स चैनलों में फिल्म को 40 प्रतिशत और सीरियल को 39 प्रतिशत लोग देखना पसंद करते हैं. विज्ञापनदाता बच्चों के मनोविज्ञान को बखूबी समझते हैं, इसलिए बच्चों के कार्यक्रमों के बीच बच्चों की पसंद के विज्ञापन देना उन की प्राथमिकताओं में शामिल है.

बार्क इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, टीवी से सब से ज्यादा प्रभावित होने वाले दर्शक वर्ग में 2 से 14 साल के बच्चे हैं, जिन की संख्या कुल दर्शकों के लगभग 20 प्रतिशत है जो सभी वर्ग के दर्शकों में सब से ज्यादा है. इस वजह से विज्ञापनदाताओं के लिए बच्चों की अहमियत बढ़ जाती है. उन के लिए बच्चों की दुनिया के मनोविज्ञान को समझना सब से ज्यादा जरूरी हो जाता है. विज्ञापनदाता ऐसे उत्पादों का विज्ञापन करना चाहते हैं, जो बच्चों को पसंद हों या वे बच्चों को आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर सकें.

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