Crowd Management: 27 सितंबर को तमिल ऐक्टर जोसेफ विजय की एक पौलिटिकल रैली में भगदड़ के चलते 40 लोगों ने अपनी जान गंवाई. हजारों लोग रैली में शामिल होने आए थे जो विजय की एक झलक देखने आए थे. अक्सर देखा जाता है कि दक्षिण के मुकाबले ऐसा उन्माद उत्तर के कलाकारों के लिए देखने को नहीं मिलता. इस की वजह क्या है, पढ़ें.

तमिलनाडु के करूर में तमिल ऐक्टर विजय की पौलिटिकल पार्टी ‘तमिलगा वेत्री कझगम’ यानी टीवीके की चुनावी रैली में 27 सितंबर की शाम भगदड़ मची गई थी. टीवीके का शाब्दिक अर्थ तमिलनाडु विजय पार्टी है. विजय की रैली में भारी संख्या में जुटी भीड़ में भगदड़ में 40 लोगों के मारे और 400 लोगों के घायल होने का मामला सामने आया. अभिनेता से नेता बने विजय की तरफ से मृतकों के परिवार को 20-20 लाख की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है. राज्य पुलिस महानिदेशक जी वेंकटरामन ने बताया कि विजय को रैली स्थल तक पहुंचने में देरी हुई, जिस के कारण भीड़ लगातार बढ़ती चली गई और यह हादसा हो गया.

हमारे देश में इस तरह के हादसे होते रहते हैं. सरकार, समाज और रैली में हिस्सा लेने वाले लोग इस से सबक नहीं लेते हैं. अभी उत्तर प्रदेश में महाकुंभ के दौरान भगदड़ में पचासों लोग मारे गए थे. इस के बाद उत्तर प्रदेश के ही हाथरस में भोलेबाबा के सतसंग में 121 लोगों की भगदड़ में मौत हो गई थी. कई बड़ी घटनाएं मेले और मंदिरों में दर्शन के दौरान हो जाती है. साल में इस तरह की तमाम घटनाएं सामने आती हैं. तमाम घटनाओं के बाद भी हमें भीड़ का प्रबंधन करना नहीं आया जिस की वजह से इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं.

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