कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते पिछले साढ़े तीन माह से बॉलीवुड में काम बंद चल रहा है. महाराष्ट् सरकार के शूटिंग के दिशा निर्देष जारी होने के बाद 25 जून से कुछ टीवी सीरियलों की शूटिंग शुरू हुई है. मगर महाराष्ट् सरकार के शूटिंग के दिशा निर्देष जारी होने के बाद जूनियर आर्टिस्ट (पुरुष और महिला) के रूप में काम करने वाले वर्करों,सिने नर्तक, फोटोग्राफर,डमी कलाकार स्टंट कलाकारों सहित लाखों लोगों के लिए आर्थिक संकट पहले से कहीं अधिक गहरा गया है और अब इनके सामने दो वक्त के भोजन की समस्या गहरा गयी है.
टीवी इंडस्ट्री की कार्य प्रणाली के अनुसार अब तक के नियमों के अनुसार हर कलाकार,तकनीशि यन,स्टंट कलाकार,डॉसर सहित सभी वर्करों को उनकी पारिश्रमिक राशि नब्बे दिन बाद मिलती रही है. इसी नियम के चलते कोरोना महामारी से बचाव के चलते 17 मार्च से षूटिंग वगैरह बंद हो गयी थी और लोगों उस वक्त तक दिसंबर 2019 में किए गए काम के भी पैसे नही मिले थे.लॉकडाउन लागू होने के बाद किसी भी ब्राडकॉस्टर व सीरियल निर्माता ने इन कलाकारों,तकनीशियन व कर्करों की कोई सुध नहीं ली.‘फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाइज ’’(एफ डब्लू आई सी ई )ने अपनी तरफ से कोषिष कर कुछ बॉलीवुड कलाकारों से दान में मिली रकम से शुरूआत में इन वर्करों की मदद करने का पय्रास किया.पर यह रकम व सहायता तो ‘उंट के मुंह में जीरा’की तरह ही रही. इससे जूनियर आर्टिस्ट (पुरुष और महिला)के रूप में काम करने वाले वर्करों,सिने नर्तक, फोटोग्राफर,डमी कलाकार स्टंट कलाकारों सहित दस लाख लोगों को आर्थिक संकट का पिछले लगभग चार माह से सामना करना पड़ रहा है. कुछ ने आत्महत्या कर ली,कुछ सब्जी या बिरयानी बेचने पर मजबूर हुए हैं.इन्हे केंद्र सरकार या महाराष्ट् सरकार की तरफ से भी किसी तह की कोई मदद नहीं मिली.
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सरकार के नए दिशा निर्देष के अनुसार टीवी सीरियल की शूटिंग शुरू हो गयी है. अब सरकारी आदेश और शूटिंग शुरू करने के लिए एसोसिएशन के बीच बनी आम सहमति के अनुसर इस वक्त जो लोग सीरियल की शूटिंग कर रहे हैं, उन्हे उनकी इस वक्त की पारिश्रमिक राशि नब्बे दिन की बजाय तीस दिन में मिलेगी और इनाक पिछला बकाया भी धीरे धीरे चुकाया जाएगा.
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पर अहम समस्या यह है कि ‘कोरोना महामारी’ का फैलाव जारी है. इससे बचने के सुरक्षात्मक उपाय के साथ ही शूटिंग करनी है. सरकार के आदेश के अनुसार अब सिर्फ तीस प्रतिशत क्रू मेंबर के साथ ही शूटिंग हो रही है. जिसके चलते सत्तर प्रतिशत क्रू मेंबर यानी कि जूनियर आर्टिस्ट (पुरुष और महिला) के रूप में काम करने वाले वर्करों,सिने नर्तक, फोटोग्राफर,डमी कलाकार स्टंट कलाकार घर पर बैठे हैं. इनका पिछला बकाया भी नहीं मिल रहा है और नया काम भी नही. जिसके चलते अब फिल्म इंडस्ट्री के लगभग तीन लाख से अधिक लोग भुखमरी के कगार पर पहुँच गए है.इनकी समस्या को ‘‘एफ डब्लू आई सी ई’’ने कई बार महाराष्ट् सरकार के समझ उठायी.मगर महाराष्ट् के कानों पर जू तक नही रेंगी.
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अंततः अब चार जुलाई को ‘एफ डब्लू आई सी ई’’के अध्यक्ष बीरेंद्र नाथ तिवारी ने पुनः महाराष्ट् के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर इन वर्करो की मदद करने की गुहार लगायी है.‘‘एफ डब्ल आई सी ई’’ने महाराष्ट् के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपने पत्र में लिखा है-‘‘हम आपका ध्यान इस तरफ आकर्षित करना चाहते हैं कि जूनियर आर्टिस्ट (पुरुष और महिला) के रूप में काम करने वाले सदस्य,सिने नर्तक, फोटोग्राफर, डमी किरदार निभाने वाले कलाकार और स्टंट कलाकार जैसे वर्कर इस लॉक डाउन के चलते सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं. यूँ भी इनके पास काम के बहुत कम अवसर रहते हैं. लॉकडाउन के कारण इन सभी को लगभग चार माह से कोई काम नहीं मिला.जिसके चलते कोई आमदनी न होने के कारण यह सभी पूरी तरह से तबाह हैं.हमें इस बात का खेद है कि सरकार की तरफ से इन्हें कोई सहायता नहीं मिली.जबकि फिल्म व टीवी इंडट्री से सरकार को सर्वाधिक राजस्व की प्राप्ति होती है. फिल्म व टीवी इंडस्ट्री राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही.’’
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इस पत्र में आगे लिखा गया है-‘‘इस संबंध में हमने आपके कार्यालय को कई पत्र भेजे हैं,मगर अभी तक कापकी तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नही मिला और न ही इस दिषा मंे किसी अनुकूल काररवाही के ही संकेत मिले.जबकि इन सदस्यों के कई परिवार भुखमरी के कगार पर है.अगर अभी भी आपकी तरफ से इन्हे कोई मदद नही मिली,तो भूख की वजह से किसी की भी कभी भी दुःखद मौत हो सकती है.हमारी संस्था ने इन्हे कुछ प्रयासों व कुछ बड़े कलाकारों से दान रूप में मिली राषि से राषन व पैसे देकर मदद पहुँचाने की कोशिश की थी,जो कि लॉकडाउन के बाद से चार माह तक इतनी बड़ी संख्या के घरों को चलाने के लिए काफी नही रही.अब इनकी स्थिति बदतर हो गई है.यदि इन्हे मदद नही मिली,तो इनके परिवार के लोग सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो सकते हैं.अतः हम आपसे एक बार फिर अपील करते हैं कि कृपया हमारे अनुरोध पर विचार करें और इन सदस्यों को समान नौकरी के अवसर या उपयुक्त धनराशि देकर मदद करें.’’प