अपने जमाने के बेहतरीन अभिनेताओं में शामिल शम्मी कपूर 21 अक्टूबर, 1931 को बौम्बे के अजिंक्य हौस्पिटल में पैदा हुए थे. पहले उनका नाम शमशेर राज कपूर था. शमशेर राज कपूर के जन्म के समय उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और मां रामशरणी और परिवार के लोग बहुत बेचैन थे.
इसकी वजह ये थी कि जब शम्मी गर्भ में थे तब राज कपूर से छोटे उनके दो भाई – देवी और बिंदी एक ही हफ्ते के अंतराल में चल बसे थे. बताया जाता है वे अपने परिवार के अकेले बच्चे थे जिनका जन्म अस्पताल में हुआ. पैदा होने के बाद उनका राजकुमारों सा खयाल रखा गया. उन्हें पहाड़ी गाने बेहद पसंद थे. शूटिंग पर, गाड़ी चलाते समस या खाली समय में वे गुनगुनाते रहते थे.
फिल्में सफल होने लगीं तो लोगों ने राज से उनकी तुलना करनी बंद कर दी.
शम्मी कपूर को शुरुआती फिल्मों में सफलता नहीं मिली थी. उन्हें बहुत दुख और दर्द होता था जब लोग कहते थे कि ये अपने भाई राज कपूर की नकल करने की कोशिश कर रहा है. जब उनकी फिल्में सफल होने लगीं तो लोगों ने राज से उनकी तुलना बंद कर दी.
वो उछल-कूद करना आसान काम नहीं था.
एक्टिंग और एक्टर्स को लेकर उनका कहना था कि एक्टिंग खुदा की देन होती है. आपके लुक्स भी अच्छे होने चाहिए जो ऊपरवाला देता है. आपमें प्रतिभा होनी चाहिए. आपको इतना शिक्षित भी होना होता है कि आप यह जान सकें क्या-कैसे करना हैं. डायलौग याद करना, हाथों का इस्तेमाल करना, चेहरे के भाव देने, आंखों का इस्तेमाल करना, आवाज का इस्तेमाल करना, इन सबके लिए बहुत कड़ी मेहनत जरूरी है. उनका कहना था, जो सफलता फिल्म इंडस्ट्री में मैंने हासिल की, उसमें 96 प्रतिशत बहुत ही कड़ी मजदूरी थी. वो उछल-कूद करना आसान काम नहीं था. वो सब मैंने खुद किया. और वो जो बचा हुआ 4 परसेंट है न, वो गुडलक है.
नूतन शम्मी बचपन की गर्लफ्रेंड थीं.
डेब्यू के पहले ही साल में शम्मी कपूर ने नूतन के साथ ‘लैला मजनू’ (1953) की. इन दोनों का रिश्ता हालांकि बहुत पुराना था. नूतन 3 और शम्मी 6 साल की उम्र से ही दोस्त थे और पड़ोस में ही रहते थे. नूतन उनकी बचपन की गर्लफ्रेंड थीं. शम्मी के पिता पृथ्वीराज और नूतन की मां शोभना समर्थ बहुत अच्छे दोस्त थे इसलिए दोनों के बच्चे भी हमेशा मिलते और साथ खेलते-कूदते रहते थे. बड़े होने के बाद शम्मी-नूतन ने डेटिंग शुरू कर दी. शम्मी नूतन से शादी भी करना चाहते थे लेकिन शोभना समर्थ नहीं मानीं. ‘नगीना’ के रिलीज होने के कुछ ही वक्त बाद उन्हें स्विट्जरलैंड के एक फिनिशिंग स्कूल ‘ला शेतेलेन’ भेज दिया गया.
‘नगीना’ फिल्म के प्रीमियर पर नूतन को छोड़ने बतौर बौयफ्रेंड आए थे शम्मी कपूर.
इन दोनों की एक मजेदार घटना याद आती है कि नूतन ने दिलीप कुमार के छोटे भाई नसीर के साथ 1951 में ‘नगीना’ फिल्म में काम किया था. उनकी इस डेब्यू फिल्म का प्रीमियर बंबई के न्यू एंपायर सिनेमा में हुआ. इस प्रीमियर पर नूतन को छोड़ने बतौर बौयफ्रेंड शम्मी कपूर आए थे. ये और बात है कि दरबान ने नूतन को घुसने ही नहीं दिया था क्योंकि नगीना ‘केवल वयस्कों के लिए’ थी और नूतन तब सिर्फ 15 बरस की थीं.
पिता ने उन्हें कोई स्टार किड वाली लौन्चिंग नहीं दी.
उनके पिता ने उन्हें कोई स्टार किड वाली लौन्चिंग नहीं दी. 1948 में शम्मी ने फिल्मों में बतौर जूनियर आर्टिस्ट काम करना शुरू किया था. जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर उन्हें महीने के 150 रुपए मिलते थे.
उनकी निजी जिंदगी बहुत रंगीन थी.
उनकी निजी जिंदगी बहुत रंगीन थी. उनकी बहुत सारी महिला मित्र थीं. इसका पता उनके परिवार के लोगों और दोस्तों को भी था. एक समय में उन्होंने कायरो (ईजिप्ट) की एक बैली डांसर को भी डेट किया था जिससे बाद में ब्रेकअप हो गया.
उन्होंने 23 की उम्र में गीता बाली की मांग में लिपस्टिक भर कर ली थी शादी
एक्ट्रेस गीता बाली से शम्मी पहली बार फिल्म ‘काफी हाउस’ के सेट पर मिले थे. बाद में दोनों ने साथ में केदार शर्मा की फिल्म ‘रंगीन रातें’ (1959) में काम किया. शूट के दौरान वे दोनों रानीखेत हिल स्टेशन गए थे. वहीं प्यार हो गया. उनके शादी का किस्सा भी काफी दिलचस्प रहा. शम्मी रोज गीता से पूछा करते थे कि क्या तुम मुझसे प्यार करती हो, क्या तुम मुझसे शादी करोगी? उनके इस सवाल पर गीता कभी भी हां नहीं कहती थीं. एक दिन वो अचानक बोलीं, “चलो, शादी करते हैं.” शम्मी एकदम खुश हो गए. फिर गीता ने कहा, “लेकिन शादी आज ही करनी होगी.” वे चौंक गए. बोले, “ऐसे कैसे हो सकता है?” वे बोलीं, “क्यों? वो जौनी वाकर ने नहीं की थी पिछले हफ्ते.” शम्मी ने कहा, “बहुत अच्छा. चलो!” फिर वे लोग जौनी के पास गए. शम्मी बोले, “हम लोग एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. ठीक तुम्हारी तरह. जौनी बोले, “तुम लोग पागल हो! मैं मस्जिद में गया हूं, मैं मुसलमान आदमी हूं. आप लोग मंदिर में जाओ.” तो फिर वे लोग मंदिर गए. पुजारी ने उनके फेरे करवाए. दोनों ने एक दूसरे को हार पहनाए. गीता ने अपने बैग में से लिपस्टिक निकाल कर शम्मी को दी और उन्होंने लिपस्टिक से उनकी मांग भर दी. हो गई शादी. शम्मी ने आखिरी वक्त तक कहा था कि ये उनकी जिंदगी के सबसे यादगार वक्त में से एक था.
पहली फिल्म ‘जीवन ज्योति’ के लिए उन्हें 11,111 रुपए मिले थे.
1953 में रिलीज हुई उनकी पहली फिल्म ‘जीवन ज्योति’ के लिए उन्हें 11,111 रुपए मिले थे. इसके डायरेक्टर महेश कौल अपने दोस्त और प्रोड्यूसर ए. आर. कारदार के साथ उनका प्ले ‘पठान’ देखने आए थे जिसमें शम्मी ने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ काम किया था. प्ले देखने के बाद कौल ने शम्मी को दफ्तर बुलाया और कहा कि हमें आपका काम पसंद आया है और हम चाहेंगे कि आप हमारी फिल्म मे काम करें.
‘तुमसा नहीं देखा’ न चलती तो फिल्म छोड़ देते
जब शम्मी ने गीता से शादी की तो वे उनकी तुलना में कम चर्चित एक्टर थे. वे बड़ी स्टार थीं. उस दौर में उन्होंने शम्मी का बहुत हौसला बढ़ाया. एक वक्त की बात है. रात में वे दोनों किसी होटल की सीढ़ियों पर बैठे हुए थे. शम्मी कपूर ने उनसे कहा, “मेरा करियर आगे नहीं बढ़ रहा है. मैं अब एक पिक्चर में काम करने वाला हूं ‘तुमसा नहीं देखा’ (1957). मेरी ये फिल्म अगर नहीं चली तो मैं फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दूंगा और असम में चाय बागान में मैनेजर बन जाऊंगा. इस पर गीता बाली ने उनको बहुत मोटिवेट किया. बाद में फिल्म बहुत बड़ी हिट साबित हुई. लोगों ने फिल्म और शम्मी की एक्टिंग को बहुत पसंद किया.
इसके बाद ‘दिल देके देखो’ (1958), ‘जंगली’ (1961), ‘राजकुमार’ (1964), ‘कश्मीर की कली’ (1964) और ‘जानवर’ (1965) जैसी उनकी फिल्में आती गईं और शम्मी ने सफलता के कई आयाम तक पहुंचे.
निजी जीवन में मिला उन्हें बहुत बड़ा झटका
लेकिन फिर निजी जीवन में उन्हें बहुत बड़ा झटका मिला. उनकी पत्नी गीता बाली 1965 में गुजर गईं. शम्मी सदमे में चले गए. तीन महीने तक शूटिंग नहीं कर पाए. फिर तीन महीने के बाद जिस सेट पर शूटिंग की, वहीं उनका गाना शूट हुआ ‘तुमने मुझे देखा होकर मेहरबां’. फिल्म थी ‘तीसरी मंजिल’ जो 1966 में रिलीज हुई.
नरगिस से किस नहीं ग्रामोफोन प्लेयर लिया
नरगिस शम्मी के बड़े भाई राज कपूर के साथ फिल्म ‘बरसात’ की शूटिंग कर रही थीं. शम्मी भी वहां गए. वहां उन्होंने देखा कि नरगिस अपने मेकअप रूम में बैठी रो रही हैं. उन्होंने कहा, उनकी तमन्ना थी कि राज कपूर की अगली फिल्म ‘आवारा’ में काम करें लेकिन उनके घरवाले इसके खिलाफ हैं. नरगिस ने कहा, शम्मी तुम किसी तरह भगवान से प्रार्थना करो कि मैं ये फिल्म कर सकूं. अगर मैंने आवारा में काम किया तो मैं तुम्हें किस दूंगी. शम्मी ने कहा, हां, मैं करूंगा प्रार्थना, तुम जरूर मेरे भाई की फिल्म करोगी और आखिर ‘आवारा’ में नरगिस ने काम किया. शूटिंग शुरू हुई तो शम्मी कपूर भी पहुंचे. नरगिस ने उन्हें देखा और कहा, नहीं नहीं, मैं तुम्हें किस नहीं करने वाली हूं. वे वहां से भाग गईं. शम्मी भी पीछे गए. नरगिस ने कहा, “तुम किस के लिहाज से अब काफी बड़े हो. इसके अलावा कुछ भी मांग लो.” शम्मी ने कहा, मुझे किस नहीं चाहिए.” नरगिस ने पूछा, “तो फिर?” उन्होंने जवाब दिया, ग्रामोफोन प्लेयर.
ये सुनकर नरगिस की आंखों में आंसू आ गए. वे बोलीं, “तुम्हे बस ग्रामोफोन प्लेयर चाहिए? फिर वो उन्हें एचएमवी की दुकान के ऊपर के माले में ले जाकर बोलीं, “पसंद करो.” शम्मी ने एक लाल रंग का खूबसूरत रिकार्ड प्लेयर चुना. वहां से वो उन्हें रिद्म हाउस ले गईं. बोलीं, “अपनी पसंद के 20 रिकार्ड चुन लो.” शम्मी ने वेस्टर्न म्यूजिक से लेकर कई तरह के अपनी पसंद के रिकार्ड लिए. इसी प्लेयर और रिकार्ड से शम्मी के वेस्टर्न म्यूजिक की तरफ लगाव की शुरुआत हुई जो बाद में चलकर फिल्मों में उनका स्टाइल बना.
डांस करने वाले हीरोज इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को शम्मी कपूर की ही देन है. उनकी फिल्मों के बाद हर फिल्म में हीरो यूं नाचने लगे. वे खुद एल्विस प्रेस्ले वगैरह से प्रभावित थे. कहा जाता है कि शम्मी कपूर ने अपनी किसी फिल्म में कोरियोग्राफर की मदद नहीं ली. वे खुद ही अपने डांस स्टेप्स और अंदाज बनाते थे.
रणबीर कपूर उन्हें शम्मी दादाजी कहकर बुलाते थे. उन्होंने ही शम्मी को इम्तियाज अली के साथ अपनी फिल्म ‘रौकस्टार’ में काम करने के लिए राजी किया था. उस फिल्म में शम्मी ने सीनियर क्लासिकल आर्टिस्ट उस्ताद जमील खान का रोल किया था. इस फिल्म का नाम एक तरह से शम्मी कपूर को समर्पित था क्योंकि म्यूजिक और परफार्मेंस के लिहाज से वे अपने समय के रौकस्टार थे. ये फिल्म अगस्त 2011 में रिलीज हुई और उनकी आखिरी फिल्म रही. तीन महीने बाद नवंबर में शम्मी अलविदा कह गए.