इस वर्ष ‘सर्वश्रेष्ठ लद्दाखी फिल्म’, ‘सर्वश्रेष्ठ साउंड डिजाइनिंग’ और ‘सर्वश्रेष्ठ रीमिक्सिंग’इन तीन पुरस्कारों से पुरस्कृत फिल्म ‘‘वाकिंग विथ द विंड’’के लेखक, निर्माता व निर्देशक प्रवीण मोरछले की यह दूसरी फिल्म है. इससे पहले उन्होंने पूरे विश्व में सराही जा चुकी हिंदी फिल्म‘‘बेयरफुट टू गोवा’’का निर्माण किया था. प्रवीण मोरछले उन फिल्मकारों में से हैं, जो कि ईरानियन फिल्मकार स्व.अब्बोस कियरोस्तामी और माजिद मजीदी से प्रेरित होकर यथार्थ परक सिनेमा बनाने में यकीन करते हैं. ईरानियन फिल्मकारों की ही भांति प्रवीण मोरछले की दोनों फिल्मों के नायक बच्चे हैं और उनकी दोनों ही फिल्मों में कम से कम संवाद हैं.

प्रस्तुत है प्रवीण मोरछले से उनके घर पर हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश:

अपनी अब तक की यात्रा पर रोशनी डालेंगे?

मैं मूलतः होशंगाबाद से हूं. कालेज की पढ़ाई इंदौर में और गुजरात के आनंद से एमबीए की डिग्री ली. मेरे पिता डाक्टर थे. कालेज के दिनों से मुझे कहानी सुनाने का शौक था. इसी शौक के चलते मैं थिएटर से जुड़ा. थिएटर करते करते मुझे अहसास हुआ कि यह बहुत ही ज्यादा लाउड मीडियम है. जबकि मेरे कथा कथन की शैली बहुत ही सटल है. मैं बहुत शांति से, आराम से काम करना पसंद करता हूं. इसलिए मैं सिनेमा की तरफ मुड़ा. मुंबई पहुंचने के बाद मैंने महसूस किया कि जिस तरह का सिनेमा मैं बनाना चाहता हूं, उस तरह का सिनेमा बनाना आसान नहीं है. क्योंकि बौलीवुड में जिस तरह का कमर्शियल सेटअप में काम हो रहा था, वह मेरे वश की बात नहीं थी. किसी तरह मैंने पैसे इकट्ठा करके पहली फिल्म ‘‘बेयर फुट टू गोवा’’बनायी. मैंने फिल्म मेंकिंग की कोई ट्रेनिंग भी नहीं ली है. मैं खुद को ट्रेंड फिल्म मेकर नहीं मानता. मैं अपने परिवार का पहला इंसान हूं,जो सिनेमा से जुड़ा है.

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