हमारे देश में केंद्र में सरकार बदलते ही भारतीय सिनेमा भी बदलता रहा है. मगर चुनावी वर्ष में जिस तरह का सिनेमा भारतीय दर्शकों को देखने को मिलने वाला है, उससे यह सवाल उठना लाजमी है कि फिल्मकारों पर दबाव डालकर सरकार परस्त फिल्में बनवायी गयी हैं या फिल्मकारों ने अपने विवेक से केंद्र सरकार के आगे घुटने टेकते हुए सरकार परस्त फिल्में बना डाली? यह अहम सवाल है? क्योंकि अब तक एक ही वर्ष में और वह भी महज चंद माह के अंदर इस कदर राजनैतिक फिल्में कभी नहीं आयी.
मगर आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यानी कि जनवरी 2019 से अप्रैल 2019 के बीच प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी पर चार बायोपिक फिल्मों के अतिरिक्त ‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’ (11 जनवरी), ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ (11 जनवरी ), ‘दीन दयाल : एक युग पुरुष’, ‘ठाकरे’ (25 जनवरी), ‘मणिकर्णिका’ (25 जनवरी), ‘बटालिन 609’ (11 जनवरी), ‘72 घंटे’ (18 जनवरी), ‘मेरे प्यारे प्रधानमंत्री’ (8 मार्च), ‘रोमियो अकबर वाल्टर’ (15 मार्च), ‘‘केसरी’’ ( 21 मार्च) गुजराती भाषा की फिल्म ‘नमो सौने गामो’, एनटीरामाराव की बायोपिक जैसी फिल्में प्रदर्शित होने वाली हैं.
सूत्रों की माने तो इन सभी फिल्मों में कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी स्वयं नजर आएंगे और इन फिल्मों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिमा मंडन भी नजर आ सकता है अथवा भाजपा सरकार की नीतियों, विचारधारा अथवा कट्टर हिंदूवाद सहित देशभक्ति को दर्शाया गया है.

11 जनवरी को एक साथ तीन फिल्में ‘‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’’, ‘‘बटालियन 609’’ और ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ प्रदर्शित होने वाली हैं. इनमें से ‘‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’’ और ‘‘बटालियन 609’’ फिल्में 29 सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक पर हैं. इस सर्जिकल स्ट्राइक को वर्तमान केंद्र सरकार ने ही अंजाम दिया था. इसलिए स्वाभाविक तौर पर इन दोनों ही फिल्मों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आएंगे.
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