वक्त और पैसे में बड़ी ताकत होती है. यह दोनों इतने शक्तिशाली हैं कि इंसान को बदलने पर मजबूर कर देते हैं. यूं कहें कि इंसान वक्त के साथ पैसे के मोह में खुद ही बदलता रहता है. बहुमुखी प्रतिभा के धनी आयुष्मान खुराना कभी कविताएं लिखा करते थे.उनकी कविताएं प्रकाशित नहीं हुई, मगर उनके ब्लाग में वह कविताएं मौजूद हैं. पर जब से वह अभिनय के क्षेत्र में आए हैं और अपनी फिल्मों में कुछ गीत भी गाए हैं, तब से उन्होंने कविताएं लिखना बंद कर गीत लिखना शुरू कर दिया है.
यह एक कटु सत्य है. इस बदलाव को लेकर ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए खुद आयुष्मान खुराना ने कहा-‘‘पहले मैं कविताएं लिखता था, पर अब कविताएं लिखना बंद कर गीत लिखना शुरू कर दिए हैं. मुझे लगा कि दिमाग खर्च करना है, तो गीतों में करें, जहां धन ज्यादा मिलेगा. कविता तो कोई पढ़ना या सुनना नहीं चाहता. मेरे दिमाग में कुछ आता है, तो उसे मैं गीत के रूप में लिख देता हूं.’’
कुछ लोग मानते हैं कि जहां धन महत्वपूर्ण हो, वहां रचनात्मकता का ह्रास होने लगता है. मगर खुद आयुष्मान खुराना ने इस बात से असहमित जताते हुए कहा-‘‘ऐसा नहीं है. इसकी वजह यह है कि मैं संगीतकार या निर्देशक के कहने पर नहीं लिखता. मैं सिंगल गाने ज्यादा निकालता हूं, जो कि अपने लिए निकालता हूं, उनमें रचनात्मकता का आनंद होता ही है. यह काम मैं पैसे के लिए आत्मसंतुष्टि के लिए ही करता हूं. मेरी कविताएं सामाजिक मुद्दों पर हैं. पर मैं गाने हमेशा रोमांटिक ही लिखता हूं. मेरी कविताएं हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में मेरे ब्लाग में हैं.’’