माना, सलमान खान ने फिल्म ‘सुलतान’ के लिए कड़ी मेहनत की है. लेकिन अपनी मेहनत जताने का यह भला क्या तरीका हुआ…! यह भी सही है कि बलात्कार की शिकार किसी महिला का दर्द जानने के लिए बलात्कार का शिकार होना जरूरी नहीं. पर इस। बात में कोई दो राय हो नहीं सकती कि कड़ी से कड़ी मेहनत की तुलना कम से कम बलात्कार की शिकार महिला की पीड़ा से तो नहीं ही की जा सकती है. अगर कोई ऐसा करता है तो निश्चित तौर पर वह विकृत मानसिकता वाला ही इंसान होगा.

देश की छवि को लगा धक्का

सलमान के इस बयान से देश की छवि खराब भी हुई है. अमेरिका के अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने तो यहां तक लिख दिया है कि सलमान खान का बयान भारत की ‘बलात्कारी संस्कृति’ का ही प्रतिनिधित्व करता है. अखबार लिखता है कि भारत में बलात्कार की घटना आए दिन घटती है, लेकिन बलात्कार को लेकर हर रोज आपत्तिजनक बयान भी आते हैं। हाल ही में बौलीवुड स्टार सलमान खान के बयान का श्रेय इसी संस्कृति की देन है. वाशिंगटन पोस्ट ने सलमान खान को बौलीवुड का ‘बैड ब्वौय’ भी कहा है.

वैसे सलमान हैं तो शो बिजनेस की चकाचौंधवाली दुनिया से, लेकिन अपनी ही दुनिया की चकाचौंध से इनकी आंखें चौंधिया गयी हैं. रटा-रटाया डायलौग बकते-बकते इनका दिमाग सुन्न पड़ गया है. अपनी भावना को जाहिर करने के लिए इनके पास शब्द नहीं है. दरअसल, इनके पास कोई सोचने-समझने की ताकत जवाब दे चुकी है. कब, कहां, क्या बोलना चाहिए - इसकी तमीज भी नहीं रह गयी है. लगता है 50 साल में ही सलमान सठिया गए हैं.

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