यूं तो फिल्म अमर अकबर ऐंथनी ने इस साल यानि कि जनवरी 2017 में अपने 40 साल पूरे किये हैं पर एक्शन और कॉमेडी से भरी फिल्म आज भी लोगों के दिलों और पसंदीदा फिल्मों की लिस्ट में शुमार है. फिल्म की इस ऐतिहासिक छाप का कारण, फिल्म में सभी बिल्कुल फिट बैठने वाले कलाकार और फिल्म का संगीत ही माना जाता है. फिल्म ने न केवल भारत में बल्कि वेस्ट इण्डीज जैसे और कई देशो में भी खूब तारीफ बटोरी थी. यह फिल्म पूरी कास्ट और सभी कलाकारों के लिये एक ‘बिग-हिट’ साबित हुई थी. पर आज भी फिल्म के बारे में कई तथ्य ऐसे हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं.
यहां हम बात कर रहे हैं फिल्म के एक गाने “मॉय नेम इज एंथनी गोंजाल्विस” की, जिसे आज भी लोग सुनना बहुत पसंद करते हैं. इस गाने की शुरुआती लाइन जिसे इंग्लिश में गाया गया है, ‘Sophisticated rhetorician intoxicated with the exuberance of your own verbosity’ एक प्रसिद्ध ब्रिटिश राजनेता, उपन्यासकार और निबंधकार बेंजामिन डिजरायली द्वारा सन 1878 में दिए गए एक भाषण से लिया गया है.
अमिताभ का शीशे वाला सीन जिसमें वे “पक्का ईडियट लगते हो ” डायलॉग बोल रहे हैं जो काफी चर्चित भी हुआ था, बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि जब ये सीन शूट किया जा रहा था तब फिल्म के निर्माता मनमोहन देसाई उसी स्टूडियो के दूसरे फ्लोर पर अपनी अगली फिल्म परवरिश के क्लाइमेक्स की शूटिंग में व्यस्त थे और अमिताभ को ये सीन उनके बिना ही शूट करना पड़ा.
मनोरंजन उद्योग में काम करने वाले निर्माता, निर्देशक और भी जो लोग फिल्मों से जुड़े होते हैं वे अपनी आसपास की दुनिया से प्रेरणा लेकर ही फिल्मों में किरदारों का चयन करते हैं. इसी तरह फिल्म अमर अकबर ऐंथनी में अमिताभ बच्चन का नाम एंथनी गोंजाल्विस भी फिल्म की संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के निजी जीवन से लिया गया था. एंथनी गोंजाल्विस लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत शिक्षक थे. एंथनी गोंजाल्विस 1930 के दशक में मुंबई में सबसे प्रसिद्ध संगीत प्रबंधकों में से एक थे.
फिल्म के निर्माता मनमोहन देसाई को इस फिल्म का आइडिया तब आया जब वे एक अखबार में जैक्शन नाम के शराबी व्यक्ति के बारे में पढ़ रहे थे, जो उसके जीवन से तंग आकर पार्क में अपने तीन बच्चों को छोड़ने का फैसला ले लेता है. इसी तरह फिल्म की कहानी में शुरुआत में भी तीनों बच्चों को एक पार्क में छोड़ दिया जाता है. बाद में एक बच्चे को एक हिन्दू पुलिस अधिकारी द्वारा और अन्य दो को मुस्लिम दर्जी और एक कैथोलिक पादरी द्वारा अपना लिया जाता है.