64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा होने के चंद घंटों के अंदर ही पुरस्कार विजेताओं के नाम को ले कर कई निर्मातानिर्देशकों ने आपत्ति दर्ज करनी शुरू कर दी. फिल्म ‘अलीगढ़’ के निर्देशक हंसल मेहता हों या मनोज बाजपेयी, सब इन पुरस्कारों को बायस बता रहे हैं. बहरहाल, इस साल अक्षय कुमार को फिल्म ‘रुस्तम’ के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेता’ का नैशनल अवार्ड दिया गया है. चूंकि आमिर खान भी इसी श्रेणी में फिल्म ‘दंगल’ के लिए रेस में थे. लिहाजा, अक्षय के नाम पर कइयों ने आपत्ति दर्ज की. कुछ ने इस अवार्ड को उन की बीजेपी से नजदीकी का इनाम बताया. फिल्म पुरस्कारों को ले कर ऐसे विवाद हर साल होते हैं, फिर चाहे नैशनल अवार्ड हों या फिर निजी अवार्ड.

फिल्म ‘नीरजा’ को बैस्ट हिंदी फिल्म, जायरा वसीम को ‘दंगल’ के लिए बैस्ट  सपोर्टिंग एक्ट्रैस और  फिल्म ‘पिंक’ को सामाजिक विषयों पर सर्वेश्रेष्ठ फिल्म की श्रेणी में चुना गया है. हर बार की तरह इस बार भी कई रीजनल फिल्मों ने अपनी उम्दा गुणवत्ता वाली फिल्मों से सब का ध्यान खींचा और अवार्ड जीते.

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