बौलीवुड में अपने दम पर अपने करियर को सुदृढ़ करना बिरले कलाकारों के बस की ही बात होती है. मगर नरेंद्र झा ने टीवी से फिल्मों तक का लंबा सफर अपनी अभिनय प्रतिभा, मेहनत, लगन के बलबूते पर तय कर सफलता के नए आयाम स्थापित किए. पर आज भी उनके पैर जमीन पर ही हैं. वह ‘हैदर’, ‘हमारी अधूरी कहानी’, ‘घायल वंस अगेन’, ‘मोहनजो दाड़ो’, ‘रईस’, ‘‘काबिल’’ सहित कई फिल्मों में स्टार कलाकारों के साथ महत्वपूर्ण किरदारों में नजर आते रहे हैं. अब वह सोलो हीरो के रूप में फिल्म ‘‘विराम’’ करके उत्साहित हैं, जिसका हाल ही में ‘‘कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में वर्ल्ड प्रीमियर हुआ. इसके अलावा बतौर हीरो वह दो अन्य फिल्में कर रहे हैं. मगर उनका दावा है कि वह पैसों के लिए काम नहीं करते हैं.

हाल ही में जब उनसे हमारी मुलाकात हुई, तो नरेंद्र झा ने साफ साफ कहा-‘‘यह सच है कि जिन फिल्मों में दो या तीन सीन का किरदार होता है, उनसे बचने की कोशिश जरूर कर रहा हूं. क्योंकि मैं सिर्फ पैसे के लिए काम नहीं करता. मैं अपने आपको मनोरंजन देने के लिए भी काम करता हूं. मैं काम इंज्वाय करने के लिए करता हूं. मैं समझता हूं कि 2 या 3 दृश्यों का जो आफर लेकर आते हैं, उन्हें खुद यकीन नहीं होता है कि अंततः वह सीन फिल्म में रहेंगे भी या नहीं. मैं ईश्वर का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे दैनिक रूप से पैसा बटोरने की मजबूरी नहीं दी है.’’

नरेंद्र झा को नजदीक से जानने वालों का दावा है कि नरेंद्र झा उन कलाकारों में से हैं, जो कि पैसे के पीछे कभी नहीं भागते. बतौर कलाकार अपने अंदर स्फूर्ति लाने के वह लिए वह हर माह कुछ दिन मुंबई से दूर प्रकृति की गोद में बिताते हैं. खुद नरेंद्र झा ने बताया-‘‘मैंने मुंबई से सौ किलोमीटर दूर अपना छोटा सा होलीडे होम बना रखा है. जब शूटिंग नहीं होती हैं. तो मैं वहीं रहने के लिए चला जाता हूं, यहां से वहां पहुंचने में डेढ़ घंटे लगते हैं. वहां शांत मन से कुछ लेखन करता रहता हूं. ईश्वर की अनुकंपा से मेरी जिंदगी ठीकठाक चल रही है. मुझे इस बात की फिक्र नहीं है कि किसने कितने करोड़ कमा लिए हैं.’’ 

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