जब से राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अपनी प्रेम कहानी वाली फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ के संगीत का भव्य समारोह में लोकार्पण किया है, तब से चर्चाएं गर्म हैं कि फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ पुनर्जन्म की कहानी है. तो वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि यह फिल्म दक्षिण भारतीय फिल्म ‘‘मगधीरा’’ की तरह है.

मगर इन दोनों ही बातों को सिरे से खारिज करते हुए फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा कहते हैं-‘‘देखिए, मैं बंधी बंधाई लकीर पर फिल्म बनाना पसंद नहीं करता. मैं अपनी हर फिल्म के माध्यम से कहानी सुनाना चाहता हूं. कहानी सुनाने के लिए मैं हमेशा ‘नान लीनियर’ तरीका अपनाता हूं. यह तरीका फिल्म एडीटिंग कला का उपयोग करके बेहतर फिल्म बनाने में मदद करता है. शायद लोग मेरी फिल्म को पुनर्जन्म की कहानी का नाम इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें यह पता चला है कि हमारी फिल्म में हर्षवर्धन कपूर ने कई सदी पुराने काल का किरदार मिर्जा निभाने के साथ ही वर्तमान समय के राजस्थानी युवक आदिल का किरदार निभाया है, जो कि क्रमश: साहिबान और शुचि से प्यार करता है. साहिबान और शुचि के किरदारों को सैयामी खेर ने निभाया है. मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि हमारी फिल्म में पुनर्जन्म का का कोई मसला नहीं है. बल्कि मैने ‘नान लीनियर’ तरीके से कहानी कहते हुए दो अलग अगल काल की कहानी पेश की हैं.

‘मिर्जा साहिबान’ एक लीजेंडरी प्रेम कहानी है. यह कहानी रोमियो ज्यूलिएट या ‘हीर रांझा’ से काफी अलग है. हमारी फिल्म में ‘मिर्जा साहिबान’ की कहानी अपने दायरे से बाहर भी होती है. इनकी प्रेम कहानी को पंजाब  व राजस्थान में लोकगीत शैली में सुनाया जाता है. तो हमारी फिल्म में ‘मिर्जा साहिबान’ की कहानी लोकगीत शैली में और मूक है. इस कहानी में इन दोनो किरदारों के बीच कोई संवाद नही है, बल्कि फिल्म में एक कथा वाचक है, जो कि इस कहानी को लोकगीत शैली में सुना रहा है.’’

वह कहते हैं-‘‘राजस्थान के जो बंजारे हैं, वह नाचते हैं, गाते हैं. राजस्थान में भी लोहार हैं. लोहारों की गलियां हैं. और कथावाचक कहता है- यह गली है लोहारों की, हमेशा दहका करती है, यहां गर्म लोहा जब पिघलता है, तो सुनहरी आग निकलती है, कभी चिंगारीयां उड़ती हैं भट्टी से, तो कभी…..सुना है दास्तान कोई गुजरती है इस गली से..हमेशा घोड़ों की टापों की आवाज आती है, यह वादियां ….इसमें सदियां गुजरती हैं, मरता नहीं इश्क में मिर्जा, साहिबान जिंदा रहती है, तो यह मिर्जा साहिबान की कहानी है…’’

राकेश ओम प्रकाष मेहरा आगे कहते हैं-‘‘वर्तमान राजस्थान का एक युवक आदिल, शुचि से प्यार करता है. आदिल व शुचि, ‘मिर्जा साहिबान’ की प्रेम कहानी को सुनकर किस तरह से अपनी प्रेम कहानी को रूप देते हैं, वह एक अलग कहानी है. ‘मिर्जा साहिबान’ और ‘आदिल शुचि’ की प्रेम कहानियां समानांतर चलती हैं, साथ में कथा वाचक भी है. इस तरह हमारी फिल्म की प्रेम कहानी तीन स्तरो पर कही गयी है.’’

राकेश ओमप्रकाश मेहरा आगे कहते हैं-‘‘जहां तक फिल्म ‘मगधीरा’ का सवाल है, तो मैंने यह फिल्म अब तक देखी नहीं है. जहां तक मुझे पता है ‘मगधीरा’ तो पुनर्जन्म लेने वाली राज कुमारी और एक योद्धा की प्रेम कहानी है, जबकि हमारी फिल्म ‘मिर्जा साहिबान’ की कहानी है.’’

वह आगे कहते हैं-‘‘हमारी फिल्म ‘मिर्जिया’ तो सच्चे प्यार को नए सिरे से परिभाषित कर उसे ज्यादा समृद्ध करती है. हमारी फिल्म उन दो प्रेमियों की कहानी है, जो कि एक दूसरे को समझते हैं, एक दूसरे को उनका अपना स्थान देते है. वह कहते हैं, मैं तुमसे प्यार करता हूं, तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी का कोई अस्तित्व नही है. लेकिन तुम्हारी जो जिंदगी है, उसमें तुम आगे बढ़ो.’ और यही हमारी फिल्म का संदेश है.’’

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