हर कलाकार की तमन्ना होती है कि वह निरंतर अपनी ईमेज बदलता रहे. दर्शकों के समक्ष नित नई पहचान के साथ आए. मगर 1985 में दूरदर्शन पर प्रसारित जासूसी सीरियल ‘‘करमचंद’’ में जासूस करमचंद यानी कि पंकज कपूर की सहायक किटी का किरदार निभाने वाली सुष्मिता मुखर्जी को इस किरदार की वजह से इतनी शोहरत मिली, कि लोग उन्हे ‘किटी’ ही पुकारने लगे थे. इस बात को 32 साल होने जा रहे हैं. मगर दर्शक और उनके प्रशंसक आज भी उन्हें ‘किटी’ के रूप मे ही पहचानते हैं. जबकि पिछले 32 वर्ष के दौरान सुष्मिता मुखर्जी ने कई फिल्मों व सीरियलों में निगेटिव व पाजीटिव किरदार निभाते हुए अपने अभिनय के कई रंग बिखेरे हैं. पर उनके नाम से ‘किटी’ अलग नहीं हो पाया.
हाल ही में जब सुष्मिता मुखर्जी से हमारी मुलाकात हुई, तो हमने उनसे दर्शकों व प्रशंसको की नजर में 32 साल से ‘किटी’ बने रहने का राज जानना चाहा, तो ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए सुष्मिता मुखर्जी ने कहा-‘‘सबसे बड़ी वजह यह है कि जब आपके पास किसी वस्तु की कमी होती है, तो उसका मूल्य, उसका मान, सम्मान ज्यादा होता है. जब ‘करमचंद’आया था, उस वक्त सिर्फ दूरदर्शन ही हुआ करता था. अब तो पांच सौ से अधिक चैनल हो गए हैं. हजारों सीरियल प्रसारित हो रहे हैं. फिल्में प्रसारित हो रही हैं. अब एक्क्सपोजर इतना अधिक हो गया है कि किसी की वैल्यू नहीं रही.
हमारा अपना एक जमाना था. उस वक्त लोग हमारे आगे पीछे घूमते थे. उन दिनों एक मशहूर शायर हुआ करते थे. सलीम दीना..अंग्रेजी के कवि थे. उनका एक लेख मिला, जिसमें लिखा था-‘ट्रेलिंग किटी’ यानी कि किटी का पीछा..इसमें उन्होने लिखा कि उनके समाचार पत्र के संपादक ने उनसे कहा कि यदि आज तुम किटी से नहीं मिले, तो तुम्हारी नौकरी गयी. फिर उन्होंने किस तरह से मुझे ढूंढ़ा.
वर्सोवा के एक छोटे से फ्लैट में रहती थी, उन्हें वहां हमेशा ताला मिलता था. वह किन मुश्किलों से मुझसे मिले. उस जमाने में मीडिया हमारा सम्मान करती थी. आज की तरह उस वक्त की मीडिया नहीं थी. आज तो कलाकार, मीडिया को पैसे देते हैं. युवा कलाकार मीडिया को खरीदते हैं कि हमारे बारे में भी लिखो. वह जमाना अलग था. इसी वजह से ‘किटी’ जैसी शोहरत मेरे किसी अन्य पात्र को नहीं मिली. मगर मैंने उसके बाद भी काफी रोचक व यादगार किरदार निभाए हैं. जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया. मेरे 33 साल के करियर में काफी उतार चढ़ाव भी आए.’’