मशहूर अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन तथा मशहूर बंगला लेखिका नबनिता देब सेन की बेटी, अंतर्राष्ट्रीय अभिनेत्री, लेखक, चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नंदना सेन ने 1997 में गौतम घोष की फिल्म ‘गुडि़या’ से अभिनय जगत में कदम रखा था. उस के बाद से वे ‘ब्लैक’, ‘द फौरेस्ट’ सहित कई फिल्में कर चुकी हैं. उन की रिलीज फिल्म ‘रंग रसिया’ में बोल्ड सीन, इंटीमेसी सीन देने के साथसाथ वे टौपलैस भी हुई हैं. उन से एक फिल्म के रिलीज के मौके पर मुंबई में शांति स्वरूप त्रिपाठी ने बातचीत की. पेश हैं कुछ खास अंश :

आप कमर्शियल फिल्मों में नजर नहीं आतीं?

मेरा मामला थोड़ा सा अलग है. मैं हारवर्ड यूनिवर्सिटी की पढ़ी हूं और जब लोगों को पता चलता है कि यह हारवर्ड यूनिवर्सिटी की पढ़ी लड़की है तो उन्हें लगता ही नहीं है कि मैं अभिनय करूंगी. दूसरी बात, मैं हमेशा चुनिंदा फिल्में ही करती हूं. मुझे स्टीरियोटाइप काम या स्टीरियोटाइप किरदार नहीं निभाने हैं. मैं उन किरदारों को निभाना चाहती हूं जिन में सही मानों में अपने अंदर की प्रतिभा को बाहर लाने का कुछ तो मौका मिले. मैं उन फिल्मों में अभिनय करना पसंद करती हूं, जिन में सामाजिक या राजनीतिक सरोकारों की बात की गई हो. सिनेमा के अंदर निहित सामाजिक बदलाव की ताकत में मेरा पूरा यकीन है. यदि ‘रंग रसिया’ में आर्टिस्टिक फ्रीडम की बात है, तो वहीं कुछ समय पहले मेरी बंगला फिल्म ‘औटोग्राफ’ रिलीज हुई थी, जिस में आर्टिस्टिक करप्शन की बात की गई थी. मैं ने अपने अब तक के कैरियर में एकमात्र कमर्शियल फिल्म ‘ब्लैक’ की है, वह सुपरडुपर हिट थी. पर उस फिल्म में अपाहिज बच्चों के लिए समान अधिकार की बात की गई है.

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