सिनेमा महज मनोरंजन का साधन मात्र नहीं है. सिनेमा मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा का भी माध्यम है. सिनेमा जन जागृति का भी माध्यम है. तो वहीं सिनेमा अपने देश का सांस्कृतिक राजदूत भी है. इसी के चलते पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिल्म फेस्टिवल आयोजित करने का सिलसिला शुरू हुआ था. इसके पीछे मंशा यह थी कि एक जगह विश्व के हर देश की फिल्मों, उनके कलाकारों और फिल्मकारों से लोग परिचित हो सकेंगे. इसी सोच के चलते कॉन्स फिल्म फेस्टिवल सहित कई अंतरराष्ट्ीय फिल्म फेस्टिवल ने पूरे विश्व में अपनी धाक जमा रखी है.
मगर समय के साथ हर देश में कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के फिल्म फेस्टिवल आयोजित होने लगे. धीरे धीरे भारत जैसे देश में कुछ राज्यों में भी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल आयोजित होने लगे. लेकिन हर फिल्म फेस्टिवल में कहीं न कहीं पॉलिटिक्स भी हावी होने लगी. यह पॉलिटिक्स कई स्तर पर होने लगी. इतना ही नहीं फिल्मकार की रचनात्मकता पर कुठाराघात करने के लिए कई फिल्म फेस्टिवल उनकी फिल्मों को पॉलिटिक्स का शिकार बनाने लगे.
पिछले दिनों भारत देश के एक राज्य में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के आयोजकों ने एक फिल्मकार की बेहतरीन फिल्म के साथ ऐसी पॉलिटिक्स की कि अब कुछ फिल्मकारों ने हर तरह की पॉलिटिक्स दूर रहने का निर्णय करते हुए एकदम अलग तरह का अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह शुरू करने की योजना बनाई.
जी हां! इस नए अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह का नाम ‘‘मुंबा इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल‘‘ रखा गया है. हाल ही में इसके ‘‘लोगो‘‘ का अनावरण मुंबई के सिनेपोलिस मल्टीप्लेक्स में किया गया. इस अवसर पर कई सिनेमा कर्मी मौजूद थे. मुंबा इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत 2023 में जनवरी माह के दूसरे सप्ताह से होगा. इसके संस्थापक सदस्य हैं-शेरोन प्रभाकर, सुधीर अत्तावर, त्रिविक्रम बेलथंगड़ी, संदीप सोपारकर और चैताली चटर्जी.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन