फिल्में और फैशन दो क्रिएटिव विषय हैं, जो हमेशा साथसाथ चलते हैं, जिन में से हर एक दूसरे को अलगअलग तरीकों से प्रभावित करते हैं. यही वजह है कि फिल्मों या टीवी सीरियल पर दिखाए गए पोशाक को कुछ ही दिनों मे मार्केट मे दिखने लगते हैं और दुकानदार भी उस पोशाक को फिल्मों के नाम ले कर ग्राहक को बेचते हैं. हमारी युवा पीढ़ी भी उसे तुरंत खरीद लेती है, क्योंकि वे फैशन मे किसी से पीछे नहीं रहना चाहती.
समाज में अपनेआप को बनाए रखने के लिए जमाने के साथ चलने को वे अच्छा मानती है, क्योंकि उन्हें इस बात का भी डर रहता है कि वे जमाने से पिछड़ न जाएं. युवक हों या युवतियां बाइक, कार, कपड़ों के साथ मैचिंग के जूते, चप्पल, हेयर कट, पर्स, हेयर पिन, ज्वैलरी आदि बहुत सी चीजें हैं, जिसे ले कर युवाओं की दीवानगी देखने लायक होती हैं.
25 वर्षीय उमा कहती है, “मैँ फिल्मों और टीवी धारावाहिकों मे दिखाए गए पोशाक और गहनों की बहुत शौकीन हूं और वैसी चीजें मार्केट मे खोजती भी हूं. फिल्म रौकी और रानी की प्रेम कहानी में मैं ने अभिनेत्री आलिया भट्ट को कौर्पोरेट वर्ल्ड में काम करते हुए सहजता से साड़ी और स्लीक ब्लाउस पहने देखा है और वह मुझे बहुत पसंद आया है. मैं ने भी वैसी ब्लाउज सिलवाई है. इस के अलावा कैटरीना कैफ हमेशा ट्रेंडी ज्वैलरी पहनती हैं, जिसे मैं ने सोशल मीडिया लुक में देखा है और मैं ने वैसी ही ज्वेलरी खरीदी है, जो रियल डायमंड नहीं है.”
मिलता है सहारा
ये सही है कि फैशन को लोगों तक पहुंचाने का माध्यम बहुत हद तक फिल्में ही होती हैं और फिल्मों को शूट करने के लिए फैशन के सहारे की जरूरत होती है. फिल्मों, टीवी और फैशन उद्योग के बीच का यह रिश्ता बड़े पैमाने पर समाज पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है.
खासकर जब बात फैशन ट्रेंड, कल्चरल ट्रेंड और वैल्यू की आती है तो फिल्में और फैशन उन सांस्कृतिक ट्रेंड और मूल्यों के बारे में एक जैसे विचार रखते हैं, क्योंकि एकदूसरे के बिना वे अधूरे हैं. ये चीजें सालों से पोपुलर है, जहां अधिक से अधिक लोग फिल्म के पात्रों की शैली की कौपी करने की कोशिश करना चाहते हैं और फिल्मों में विलासितापूर्ण जीवन शैली का चित्रण करने वाले पात्रों की तरह बनने की चाहत रखने के लिए उन के जैसे कपड़े खरीदना चाहते हैं.
जुड़ाव सालों का
इस बारे में डिजाइनर गौरांग कहते हैं, “फिल्मों का फैशन इंडस्ट्री से काफी जुड़ाव सालों से रहा है. मैँ हमेशा फैशन शो में ब्राइडल कलैक्शन का प्रयोग करता हूं, जो मैं ने इस बार शो में होली के गुलाबी रंगों को कपड़ों मे शामिल किया है. मैँ अगर फिल्म की बात करूं तो मुझे निर्देशक निर्माता संजय लीला भंसाली की फिल्में याद आती हैं जो बहुत ही भव्य तरीके से बनाई जाती हैं जिस में हीरोइनें बड़ीबड़ी घागरा चोली और साड़ी में दिखती हैं, जो युवाओं को आकर्षित करती है. यही वजह है कि आजकल की लड़कियां अपनी शादी में उन्हीं भव्य पोशाक को पहनना पसंद करती हैं.”
बराबर का होता है क्रेज
फिल्में फैशन उद्योग में विविधता और प्रतिनिधित्व भी बढ़ा सकती हैं. उदाहरण के लिए, फिल्म, “क्रेजी रिच एशियन्स” ने एशियाई फैशन की सुंदरता को प्रदर्शित किया, जिस के परिणामस्वरूप ऐसे डिजाइनों की मांग पूरे विश्व में वृद्धि हुई.
डिजाइनर श्रुति संचेती कहती हैं, “इंडिया में ही नहीं, विश्व मे हर जगह दो चीजें सब से अधिक बिकती हैं. वह है फिल्मों में दिखाए जाने वाले फैशन, इस में पुरुष और महिला, दोनों में क्रेज बराबर मात्रा मे होता है. अगर मैँ पुरानी फिल्मों को देखूं, तो लड़कियों को हेयर कट में साधना कट के साथ छोटीछोटी कुर्तियां और चूड़ीदार पहनना सालों पहले पसंद था.
“असल में लोग अपने पसंदीदा कलाकार के पहनावे को कौपी करना पसंद करते हैं और वही उन की प्रेरणादायक मूल्य होते हैं. अब डिजिटल मीडिया का क्रेज यूथ में अधिक हो गया है, इस से उन्हें कोई भी सूचना आसानी से मिल जाती है, जिस से वे अपनी पसंदीदा बड़े स्टार्स के पहनावे को देख कर कौपी कर लेते हैं. अगर उन्हें स्वीटजरलैंड में श्री देवी, अनुष्का शर्मा या काजोल को साड़ी में देखा है, तो वे भी हनीमून में साड़ी पहनना पसंद करते हैं. भले ही वह प्रैक्टिकली पौसिबल न हों, लेकिन उन की इच्छा यही रहती है.”
कलाकार का पहनावा है दुल्हनों की पसंद
श्रुति आगे कहती हैं, “फिल्मों और फैशन का संबंध सालों से साइड बाइ साइड रहा है. साथ ही फिल्मों के फैशन का गहरा प्रभाव आम जनता पर भी पड़ता है. आज अगर गोद भराई की रसम होती है, तो फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ में माधुरी दीक्षित ने जो ड्रैस पहनी थी, वह आजतक भी लड़कियां पहनना पसंद करती हैं. इसके बाद कितने भी रंग आए और गए, लेकिन वह बैंगनी रंग की साड़ी आज भी सब के दिमाग में है.
“कुछ हिस्टोरिकल फिल्में जैसे जोधा अकबर, पद्मावत आदि फिल्मों को उस युग के हिसाब से रिसर्च कर बनाया गया है. भले ही उस युग को किसी ने देखा नहीं, लेकिन उस की खूबसूरती को फिल्मों में देख कर दुल्हनें वैसी ही तैयार होना पसंद करती हैं. यही वजह है कि फिल्मस्टार भी किसी नई ड्रैस को एन्डार्स करना पसंद करते हैं, जिसे देख कर लोग उन पोशाकों को खरीद कर अपने वार्डरोप मे रखना पसंद करते हैं.
“साड़ी में स्टाइलिश लगने के लिए हर तरह के स्ट्रैपी, स्लीवलेस, बैकलेस आदि सब तरीके के ब्लाउज महिलाओं ने पहना है. अभी 13 इंच की ब्लाउज, फ्रन्ट बटन के साथ सब से क्लासी लुक देता है और ये आरामदायक भी होता है.”
इस प्रकार यह कहना सही होगा कि समय के साथ मीडिया और सोशल मीडिया की वजह से फिल्मों और फैशन के बीच का संबंध, आपस में गहरा जुड़ गया है. फैशन और फिल्में दोनों एक साथ मिल कर ही किसी पोशाक को दर्शकों तक पहुंचाते हैं जिस में दोनों को फायदा होता है.