बौलीवुड में अकसर अभिनेत्री बनने का सपना लिए कई लड़कियां आती हैं लेकिन  ख्वाहिश कुछ की पूरी होती है. बाकी बची या तो सपोर्टिंग रोल करने लगती हैं या फिर शादी कर सैटल हो जाती हैं. कई बार सपोर्टिंग रोल या आइटम सौंग के जरिए धीरेधीरे ही सही एक अहम पहचान जरूर बन जाती है. स्वरा भास्कर भी ऐसी ही अदाकारा हैं जो आई तो अभिनेत्री बनने थीं लेकिन आज उन की पहचान सहायक भूमिका की कलाकार के तौर पर है. हालांकि इन सपोर्टिंग भूमिकाओं के लिए वे पुरस्कृत भी हो चुकी हैं. लेकिन फिल्म लिसन अमाया, माधोलाल कीप वाकिंग जैसी फिल्मों में उन्हें लीड भूमिकाएं मिली थीं पर ये फिल्में असफल रहीं. लिहाजा उन्होंने सहायक भूमिका स्वीकार कर ली. फिलहाल वे सलमान खान की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ में भी एक अहम भूमिका में नजर आएंगी.

लेकिन सवाल यही है कि इस तरह की अदाकारों के कैरियर की डगर बड़ी कांटों भरी होती है. कई बार एक जैसी भूमिकाएं करतेकरते कलाकारों पर टाइप्ड होने का ठप्पा लग जाता है जिस के चलते उन्हें बड़ी भूमिकाएं नहीं मिलतीं. उम्मीद है स्वरा अपनी अभिनय क्षमता की बदौलत इस खांचे से निकलेंगी और नया मुकाम हासिल करेंगी. ‘तनु वेड्स मनु’ और ‘रांझणा’ जैसी फिल्मों से लोकप्रियता बटोर चुकी अभिनेत्री स्वरा भास्कर दिल्ली की हैं. स्वभाव से बोल्ड और स्पष्टभाषी स्वरा की इस इंडस्ट्री में आने की इच्छा बचपन से थी. जब वे टीवी पर चित्रहार देखती थीं तो उन्हें लगता था कि वे भी इन गानों में अपनी छवि को देखें. जिस में साथ दिया उन के मातापिता ने जिन्होंने हमेशा उन्हें मनपसंद काम करने की आजादी दी. दिल्ली में जन्मी स्वरा के तेलुगू पिता चित्रायु उदय भास्कर नेवी में हैं जबकि उन की मां ईरा भास्कर बिहार की हैं और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सिनेमा स्टडीज की प्रोफैसर हैं. समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वरा ‘एक्ट वन’ थिएटर ग्रुप से जुड़ीं और 2008 में मुंबई आईं. यहीं से उन का अभिनय कैरियर शुरू हुआ. उन से जब मुलाकात हुई तो अपने कैरियर को ले कर वे काफी उत्साहित दिखीं. आइए जानते हैं उन्होंने हमें क्याक्या बताया :

आप ने फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’ के सीक्वल ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ में काम किया है. किसी भी फिल्म के सीक्वल में काम करना मुश्किल होता है या कठिन?

‘तनु वेड्स मनु’ से पहले मैं किसी को बताती नहीं थी कि मैं अभिनेत्री हूं. मैं अपनेआप को पत्रकार कहती थी. उसी से पहचान मिली. इसलिए आनंद एल राय ने दोबारा अभिनय करने की बात कही तो मैं टाल नहीं सकी. आनंद राय के साथ काम करने का एक अलग ही अनुभव है.

अभिनय के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

भारत में जो भी हिंदी फिल्में देखते हैं 99 फीसदी लोग एक्ंिटग करना चाहते हैं पर मौका नहीं मिलता. बचपन में मैं चित्रहार में अपनेआप को देखती थी. तभी से इस दिशा में आने की प्रेरणा मिली.

परिवार का सहयोग कितना रहा?

मेरे मातापिता ने मुझे आजादी दी कि मैं अपनी पसंद के अनुसार काम करूं. लेकिन जिस दिन मैं ने उन्हें मुंबई आने की बात कही, उसी दिन पेपर में ‘कास्ंिटग काउच’ पर स्टोरी आई थी. पिता देख कर घबरा गए. लेकिन मैं ने उन्हें समझाया कि आप का मेरे ऊपर खर्चा जाया नहीं होगा. मैं कुछ साल बाद आप को रिटर्न दूंगी. यह लेख जो छपा है इसे मैं गलत साबित करूंगी.

बौलीवुड में एंट्री करना आसान है या फिर…?

मेरा कोई गौडफादर नहीं है. चाहती हूं कि कोई गोद ले. आउटसाइडर के लिए सब से अधिक समस्या वित्तीय होती है. यह सहयोग मुझे मेरे मातापिता से मिला. मुंबई में हाउसिंग सोसायटी बहुत खराब हैं. वे कलाकार को घर देना नहीं चाहते. अगर वे फिल्म से हों तो उन्हें लगता है कि वे कुछ गलत काम करते हैं. यही बड़ी समस्या थी जो अब नहीं है. यहां हर रोज न जाने कितने लोग अभिनय के लिए आते हैं लेकिन काम मिलने के लिए प्रतिभा होनी चाहिए. आजकल औडिशन की प्रक्रिया बदल रही है. कोई आप को एकदम पहले से शाहरुख, सलमान या आमिर के अपोजिट ‘कास्ट’ क्यों करे? इस के लिए आप को साबित करना पड़ता है. मुझे 3 अवार्ड सपोर्टिंग भूमिका के लिए मिले. हां, यह जरूर है कि हमारी जर्नी अलग है. बड़ी लौंच नहीं मिलेगी पर छोटाछोटा कर के भी व्यक्ति आगे बढ़ सकता है. इस का उदाहरण अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी हैं जो आउटसाइडर होने के बावजूद अच्छा कर रहे हैं.

आप किस तरह की फिल्मों में काम करना पसंद करती हैं?

हर फिल्म को करने का एक मकसद होता है. ‘लिसन अमाया’ फिल्म में फारुख शेख और दीप्ति नवल के साथ काम करने का मौका मिला, ‘निल बटे सन्नाटा’ मेरी अगली फिल्म है जिस में मैं काम कर रही हूं. इस में मैं 15 साल के बच्चे की मां की भूमिका निभा रही हूं जबकि लोग अपने से कम उम्र की भूमिका चाहते हैं. कैरियर के लिए तो यह सुसाइड है लेकिन स्क्रिप्ट अच्छी थी. मुझे नया अनुभव चाहिए था, मुझे अपने अभिनय में आर्ट दिखनी चाहिए. आर्ट के प्रति सचाई रखती हूं. मैं बिना पढ़े, कम पैसा या छोटा प्रोडक्शन हाउस के डर से कोई निर्णय नहीं लेती.

अभिनय के अलावा क्या करती हैं?

अभिनय के अलावा मैं लिखती हूं. एक रोमांटिक लव स्टोरी लिखी है. मेरा एक प्रगतिशील नाटकों का ग्रुप ‘स्वांग’ है. दिल्ली के सामूहिक बलात्कार के विरोध में कई नाटक किए, महिलाओं के बीच जागरूकता फैलाई. लेखक, निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री और संगीतकारों का यह समूह है. इसे चालू रखने का काम करती हूं. साथ ही बच्चों के साथ काम करना चाहती हूं क्योंकि बचपन में सही सीख ही बच्चों को अच्छा नागरिक बना सकती है.

फिटनैस पर कितना ध्यान देती हैं?

मुझे खाना बहुत पसंद है. मैं बहुत आलसी हूं. जिम जाना पसंद नहीं करती पर मेरी ट्रेनर के साथ पार्क में रनिंग, जौगिंग, कैलिस्थेनिक, फंक्शनिंग फिटनैस करती हूं. मुझे चाट बहुत अच्छी लगती है. मिर्च नहीं खाती, मेरी मां डोसा, इडली अच्छा बनाती हैं जबकि मेरी नानी स्मौक मीट पुडिंग.

कितनी फैशनेबल हैं?

आरामदायक पहनावा जो हर मौसम में पहन सकूं, पसंद है. रेडकार्पेट पर पहनने वाली ड्रैस मेरी स्टाइलिस्ट बनाती है. हाई हील भी काफी मुश्किलों से मैं पहनती हूं.

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