एक लंबे अर्से से बॉलीवुड पर अपनी धाक जमाये बैठे किंग खान यानि अभिनेता शाहरुख खान ने अपने कैरियर की शुरुआत टीवी से की थी. उन्हें कभी पता नहीं था कि अपने करियर के इस मुकाम पर एक दिन वे बॉलीवुड के बादशाह कहलायेंगे. दिल्ली से निकले शाहरुख खान ने मुंबई आकर जब जो अभिनय मिला करते गए, फिर चाहे वह रोमांस, कॉमेडी, एक्शन, थ्रिलर या कुछ भी हो, उन्होंने हर चरित्र को एक दूसरे से अलग बनाने के लिए खूब मेहनत की. वे पूरे दिन में तीन से चार घंटे सोते हैं और अपनी हर कमिटमेंट को पूरी करते हैं. उन्होंने केवल फिल्मों में ही नहीं, बल्कि छोटे पर्दे पर भी कई शो को होस्ट किया है, वे विज्ञापनों में भी काफी प्रसिद्ध माने जाते हैं.

शाहरुख खान जितनी मोहब्बत अपनी फिल्मों से करते हैं, उतनी ही मोहब्बत वे अपने परिवार से भी करते हैं. अपनी कामयाबी में वे अपने पूरे परिवार का हाथ मानते हैं. जिन्होंने हमेशा उन्हें सुकून की जिंदगी दी. उनकी पत्नी गौरी ने हमेशा उनके साथ हर परिस्थिति में सहयोग दिया है. वे एक अच्छे पिता भी जाने जाते हैं, जो समय मिलते ही अपने तीनों बच्चों आर्यन, सुहाना और अबराम के साथ समय बिताते हैं. पॉपुलरिटी के साथ-साथ शाहरुख खान कई बार अपने व्यवहार के लिए विवादों में भी घिरे, पर उन्होंने अपने गलत व्यवहार के लिए माफ़ी भी मांगी. अभी वे शांत स्वभाव के हैं और वैसा ही रहना चाहते हैं. इस समय वे एक्शन फिल्म ‘रईस’ के प्रमोशन पर हैं, जिसमें उन्होंने फिर से एक अलग अवतार का रूप धारण किया है. जिसमें उन्हें काफी चोटें आई, पर उन्होंने काम पूरा किया. काफी इंतज़ार के बाद उनसे मिलना हुआ, पेश है बातचीत के कुछ अंश.

प्र. पहले की एक्शन फिल्म से ‘रईस’ कितनी अलग है?

ये थोड़ी अलग तरह की एक्शन फिल्म है. ये टिपिकल एक्शन फिल्म नहीं है. जिसमें विलेन होता है, जो हीरो को  परेशान करता है और हीरो बदला लेने चला जाता है, ऐसे कुछ भी सिक्वेंस नहीं हैं. यह एक ऐसे शख्स की कहानी है, जो किसी भी हालत में सफलता को हासिल करता है. इसमें एक्शन विलेन वाले नहीं हैं. थोड़ी रीयलिस्टिक एक्शन है. निर्देशक राहुल ढोलकिया खुद एक रीयलिस्टिक फिल्म बनाते हैं और वैसी ही कोशिश उन्होंने इस फिल्म को बनाने में की है. जैसे कि अगर फाइट हुई है, तो हीरो को भी लगा है ऐसा नहीं है कि आज लड़ाई हुई और कल हीरो गाना गा रहा है. एक्शन के पांच सीक्वेंस इसमें है, जिसे बहुत बेहतरीन तरीके से शूट किया गया है.

प्र. फिल्म को स्वीकार करने की खास वजह क्या है?

ये एक अलग फिल्म एक जर्नलिस्ट द्वारा काफी रिसर्च के बाद लिखी गयी है. लोगों को इसके ट्रेलर अच्छे भी लग रहे हैं, क्योंकि सारी बातें रियल लाइफ से उठाई गयी हैं. चरित्र की डिग्निटी को बनाकर रखने की कोशिश इस फिल्म में की गयी है. मसलन, वह व्यक्ति जानता है कि वह गलत काम कर रहा है. लेकिन वह इसे स्वीकारता भी है, भागता नहीं है.

प्र. इसमें माहिरा खान को लेने की वजह क्या रही?

हमें फिल्म में एक अलग तरह की चरित्र चाहिए थी. जिसने मेरे साथ पहले काम न किया हो. काफी ऑडिशन हुआ और निर्देशक ने एक नए चेहरे को लाने की कोशिश की और माहिरा मिली. जो सुंदर होने के साथ-साथ साइलेंट स्ट्रेंथ का भी काम करें. रियल लाइफ में ऐसा अधिकतर सभी परिवार के मां, बहन या पत्नी में होता है. जो किसी भी परिवेश को आसानी से हैंडल कर लेते हैं. इसमें अधिकतर नए कलाकारों को लेने की कोशिश की गयी है. ताकि मेरा अभिनय भी अलग हो.

प्र. अभिनय के इस मंजिल पर आप साथी कलाकारों का कितना सहयोग अपने अभिनय में मानते हैं?

नवाज़ुद्दीन एक थिएटर आर्टिस्ट हैं और बहुत उम्दा अभिनय करते हैं और ये सही है कि अगर आपके साथी कलाकार अच्छा काम करते हैं तो आपको भी काम करने में मजा आता है.

प्र. फिल्म के कौन से भाग में काम करना आपके लिए कठिन था?

एक्शन सीन्स में मुझे चोट लग गयी थी, इसलिए दो एक्शन सीन्स बाद में हुए थे. वो कठिन थे, जो एक जो छत पर पीछा करते हुए था. उसमें मैंने डुप्लीकेट का सहयोग लिया है. मुझसे वह दृश्य नहीं हो पा रहा था, क्योंकि मैं पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया था.

प्र. आप महिला निर्देशक या पुरुष निर्देशक किसके साथ काम करने में अधिक अच्छा महसूस करते हैं?

महिला निर्देशक के साथ काम करना हमेशा बेहतर होता है. अभी तो इंडस्ट्री में महिला निर्देशक कम हैं और अधिक होनी चाहिए, क्योंकि मुझे महिला निर्देशक के साथ किसी बात की चर्चा करना पसंद है, वे किसी भी बात को अलग नजरिये से देख सकती हैं. विषय चाहे कुछ भी हो, उनकी सोच हमेशा पुरुषों से अलग होती है. पुरुषों की सोच मेरे अंदर है, ऐसे में अगर महिला की सोच भी साथ मिले तो चीजे बेहतर बनती हैं. फिल्म ‘डिअर जिंदगी’ के समय सेट पर सारी औरते थी, जिसमें गौरी शिंदे, आलिया भट्ट प्रमुख थी. निर्देशक फरहा खान की ‘सेन्स ऑफ़ ह्यूमर’ भी एक पुरुष निर्देशक से काफी अच्छी है. निर्देशक जोया अख्तर के साथ भी समय मिलने पर बात करता हूं. लेकिन मैं एक महिला निर्देशक के साथ एक्शन फिल्म करना चाहता हूं.

प्र. कामयाबी के इस मुकाम में जहां आपकी कुछ फिल्में हिट तो कुछ फ्लॉप भी रही. ऐसे में आप अपने आपको कहां पाते हैं? क्या जीवन में अभी भी कुछ मलाल रह गया है?

एक कलाकार के रूप में मैं हमेशा अपने काम से असंतुष्ट रहता हूं. अगर मैं कहूं कि यहां तक पहुंचना मेरा उद्देश्य था, तो वह मेरा कभी नहीं था, क्योंकि ‘गोल’ अंत होता है. ‘माइलस्टोन’ अगर बन जाये, तो अच्छी बात है. मैं ऐसा सोचता भी नहीं हूं कि मेरी फिल्म सफल हो रही है या नहीं. फ्राइडे ख़त्म होने के बाद में आगे निकल जाता हूं. मैं 15 से 20 घंटे रोज़ काम करता हूं. हर दिन सुबह मेरे लिए एक्साइटिंग कुछ होना चाहिए और वह होने के लिए कुछ नया होना चाहिए. अगर मैं सिर्फ पैसे को सोचकर फिल्मों में काम करूं तो वह भी एक दिन पुराना हो जाता है. जॉब हो जाती है. मैं अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे क्रिएटिव होने का अवसर मिला. मैं अपनी क्रिएटिविटी को खोना नहीं चाहता, क्योंकि वह करते-करते मेरी जिंदगी अच्छी गुजर रही है. हालांकि मेरी ‘ऐज’ और ‘स्टेज’ दोनों ही अलग है, उसके अंदर कुछ नया करने की कोशिश हमेशा करता रहता हूं. अभी मैं निर्देशक इम्तियाज़ के साथ ‘द रिंग’ एक लव स्टोरी कर रहा हूं, पर उसके लव स्टोरी कहने का अंदाज़ नया है.

प्र. क्या जीवन के इस मोड़ पर किसी बात से डर लगता है?

पिता बनने के बाद यही चिंता सबसे अधिक रहती है कि मेरे बच्चों का स्वस्थ्य ठीक रहे, वे अच्छी तरह पढ़-लिखकर स्थापित हो जायें. जब आप एक मुकाम तक पहुंच जाते हैं तो आपको बहुत धीरज रखना पड़ता है, क्योंकि तब आपकी लाइफ, आपकी अपनी नहीं रह जाती. पब्लिक की हो जाती है, ऐसे में मैं उनसे लड़ नहीं सकता. अगर लड़ भी लिया तो बाद में समझ में आती है कि ऐसी जिंदगी मैंने खुद चुनी है. इसलिए मैं कुछ भी गलत न कहूं, ऐसा सोचता हूं. अगर लोग मुझे आकर जन्मदिन की बधाइयां देते हैं तो मुझे अच्छा लगता है. लेकिन उसमें ऐसे भी कुछ लोग होंगे जो मुझे बुरा भी कहते होंगे. उसे स्वीकारना पड़ता है. जब जिंदगी इतना देती है, तो आप किसी भी बात को जो आपको अच्छा न भी लगे, छोड़ देना ही बेहतर होता है.

प्र. इतना काम करने के बावजूद अपने स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रखते हैं?

मैं खाना बेसिक खाता हूं, अभी में 51 वर्ष का हो चुका हूं. मैं पकवान, मीठा नहीं खाता. चावल और रोटी कम खाता हूं. दाल, बीन्स, स्प्राउट्स ये सब अच्छा लगता है. थोड़ी वर्क आउट भी करता हूं ताकि पसीना निकले. अभी सब चोट की वजह से बंद है. समय मिलने पर बच्चों के साथ खेलता हूं. मैंने अपने बच्चों और पत्नी सभी को सलाह दी है कि बेसिक खाने के साथ थोड़ी व्यायाम अवश्य करें.

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