हिंदी फिल्म ‘आखिर कब तक’ में अपनी ऐक्टिंग की छाप छोड़ने वाली मनीषा सिंह पेशे से टैक्सटाइल इंजीनियर हैं. मौडलिंग के जरीए वे फिल्मों में आईं. आज वे हिंदी फिल्मों के साथसाथ मराठी और तेलुगु फिल्में भी कर रही हैं. उन्होंने टैलीविजन पर भी सीरियल किए हैं, जिन में ‘तारक मेहता का उलटा चश्मा’ खास है. दिल्ली में मनीषा सिंह जब एक टैक्सटाइल कंपनी में काम कर रही थीं, तब वहां उन्हें मौडलिंग के कुछ औफर मिले. नौकरी करने के साथसाथ उन्होंने यह काम भी शुरू किया, जो लोगों को पसंद आया. इस के बाद मनीषा सिंह ऐक्टिंग के क्षेत्र में आ गईं और कई टैलीविजन सीरियल भी किए. यहीं से उन्हें फिल्मों में काम करने का औफर मिला. दक्षिण भारत की फिल्मों के भी कई औफर आए. अब उन की मराठी और हिंदी फिल्में भी बन रही हैं, जिन में ‘ट्विस्ट पे ट्विस्ट’ और ‘लव इन हैवन’ खास हैं.
क्या आप को हिंदी, दक्षिण भारतीय और मराठी फिल्मों के बीच तालमेल करने में कोई परेशानी तो नहीं आती है? इस सवाल पर मनीषा सिंह कहती हैं, ‘‘मैं बहुत सरल स्वभाव की हूं. ऐसे में सभी के साथ तालमेल हो जाता है. मुझे अच्छा काम करना है. इसी आधार पर परिवार वालों का सपोर्ट मिला.
‘‘फिल्म ‘आखिर कब तक’ दहेज की समस्या पर बनी है. इस में केवल दहेज से होने वाली लड़कियों की परेशानियों को ही नहीं दिखाया गया है, बल्कि दहेज के चलते अब लड़कों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आज अच्छे लड़के देखे व पसंद किए जाते हैं. पहले केवल लड़कियों को ही देखा जाता था, पर अब लड़कों को भी लड़की वालों की कसौटी पर खरा उतरना पड़ता है.’’ मनीषा सिंह आर्मी परिवार से हैं. लिहाजा, फिल्मों में आने में कोई परेशानी तो नहीं हुई? इस सवाल पर वे कहती हैं कि उन का परिवार खुले विचारों का है. कैरियर बनाने में उन का बड़ा सहयोग मिलता रहा है. वे अच्छा काम करने की कोशिश में हैं. फिल्म छोटीबड़ी कोई भी हो सकती है, पर कहानी और किरदार अहम होते हैं. अब उन का फोकस हिंदी फिल्मों पर है. मनीषा सिंह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की रहने वाली हैं. उन की शुरुआती पढ़ाई वहीं हुई. कानपुर से पौलिटैक्निक कर के वे टैक्सटाइल इंजीनियर बनीं. भोजपुरी उन की बोली है. वे उस का पूरा सम्मान करती हैं. पर उन्हें भोजपुरी फिल्मों में काम करना कतई पसंद नहीं है. उन का परिवार भी नहीं चाहता कि वे भोजपुरी फिल्मों में काम करें. फिल्म और मौडलिंग के बाद अगर समय मिले और अच्छे फैशन शो का औफर मिले, तो वे उस में काम करती रहेंगी.