कन्नड़ और तेलुगू फिल्मों से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली पंजाबी गर्ल कृति खरबंदा फिल्म ‘राज रिबूट’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं. 3 साल की उम्र में उन्होंने मौडलिंग शुरू की थी. धीरेधीरे यही शौक उन्हें फिल्मों की ओर ले आया. कृति पढ़ाई पूरी करने के बाद फिल्मों में आईं, क्योंकि उन के मातापिता चाहते थे कि वे अपनी शिक्षा पूरी करें. वे बेंगलुरु की सब से काबिल वुमन और देश की हौटैस्ट नायिका मानी जाती हैं. यह फिल्म उन की डेब्यू है. कृति से बात करना रोचक था, क्योंकि वे हर बात का जवाब बेझिझक देती हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के मुख्य अंश :
फिल्मों में आने की प्रेरणा कहां से मिली?
वैसे तो मैं दिल्ली की हूं पर मेरा पालनपोषण बेंगलुरु में हुआ. बचपन से ही हिंदी फिल्में देखने का शौक था. अंगरेजी फिल्में मैं पसंद नहीं करती थी. 14 साल की उम्र में मेरी सहेलियां मुझे ‘ड्रामा क्वीन’ कह कर पुकारती थीं. उन का कहना था कि तुझे तो फिल्मों में होना चाहिए. मौडलिंग तो मैं करती थी, लेकिन तब मैं ने सोचा नहीं था कि फिल्में करूंगी. मैं ने 3 साल की उम्र से मौडलिंग शुरू की थी. विज्ञापन अधिक करती थी. रैंप पर चलने का शौक तो था पर मेरी हाइट कम है इसलिए हो नहीं पाया. इस के बाद मुझे ‘मिस इंडिया’ बनने का शौक चढ़ा, क्योंकि मुझे ‘क्राउन’ पहनने की इच्छा थी. फिर मैं ने स्कूल के कई कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया. मैं ने राजस्थानी फोक डांस सीखा. सालसा की ट्रेनिंग ली, ये सारी चीजें मैं ने शौकशौक में सीखीं. ऐक्ट्रैस बनूंगी ऐसा कभी नहीं सोचा था.
जब मैं 15 साल की थी तब मुझे एक कन्नड़ मूवी का औफर मिला जो एक बहुत बड़े स्टार के साथ थी. मां ने मना कर दिया था. उस समय उन्होंने 50 हजार रुपए का औफर दिया था जो मेरे लिए बड़ी बात थी. इतने सपने देख लिए थे कि लगा, पूरी दुनिया खरीद लूंगी. लेकिन मां के मना करने पर मैं ने काम नहीं किया. इस के बाद 17 साल की उम्र में फिर औफर आया जो तेलुगू फिल्म ‘बोनी’ से था.
पहले तो मुझे मजाक लगा और लगा कि मेरे परिवार वाले मना करेंगे, लेकिन इस बार तो मां ही नहीं दादी ने भी मुझे बड़े परदे पर देखने की इच्छा जताई. मैं हैरान रह गई और मुझे वह फिल्म मिली. मैं ने इस फिल्म में अभिनय किया और फिर 2-3 साल बे्रक ले कर अपनी पढ़ाई पूरी की. इस के अलावा मैं ने ज्वैलरी डिजाइनर का डिप्लोमा कोर्स व फैशन डिजाइनिंग का औनलाइन कोर्स किया. मुझे क्रिएटिव फील्ड में जाने की बहुत इच्छा थी. साउथ की करीब 13 फिल्मों में मैं ने काम किया है.
‘राज रिबूट’ फिल्म के बारे में बताएं?
मैं एक विज्ञापन के लिए मुंबई में शूटिंग कर रही थी. तभी मुझे इस फिल्म का औफर मिला. इस फिल्म में मुझे सोलो काम करने का मौका मिला है.
फिल्म में अंतरंग दृश्य करने में कितना सहज हो पाती हैं?
इस फिल्म में वैसा कोई दृश्य नहीं है. केवल 2 किस सीन्स इमरान और गौरव अरोड़ा के साथ हैं. लव मेकिंग सीन्स नहीं हैं. किसी भी फिल्म में मैं इंटीमेट सीन्स नहीं कर सकती. मैं ने कई फिल्मों को इसलिए मना कर दिया, क्योंकि उन में बिकिनी पहननी थी. मैं ऐसे सीन्स में कंफर्टेबल नहीं हूं. मेरी फिगर भी ऐसी नहीं है कि मैं बिकिनी पहनूं. मेरे हिसाब से ऐसा पहनावा उन्हें ही अच्छा लगता है जिन की बौडी और पर्सनैलिटी दोनों ही उन का साथ दें. मैं कोई भी ऐसी ड्रैस नहीं पहनती जो मुझे सूट न करे.
इमरान हाशमी और गौरव अरोड़ा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
साउथ और यहां का फिल्मी पैटर्न काफी अलग है. मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी ताकि मेरे कोस्टार को बारबार रीटेक न देना पड़े. मुझे अपना चरित्र निभाना काफी कठिन लग रहा था, क्योंकि यह मेरी उम्र के हिसाब से ‘मैच्योर’ था. मैं ने किसी को फौलो नहीं किया. निर्देशक की सुनी. गौरव अरोड़ा के साथ अभिनय करने का अनुभव बहुत अच्छा था. वे कोई भी दृश्य बड़ी सहजता से कर लेते हैं. इस से मुझे भी किरदार निभाने में आसानी हुई.
आप किस में अधिक विश्वास रखती हैं रिलेशनशिप में या शादी में?
मेरा शुरू से ही शादी में विश्वास रहा. शादी का अपना अलग महत्त्व है. मैं प्यार करना जानती हूं और खुद भी वैसी ही आशा रखती हूं. मेरे हिसाब से मेरा पार्टनर ईमानदार हो, मेरे परिवार की भी केयर करे.
क्या प्यार में सैक्स जरूरी है?
कभी भी नहीं, शारीरिक अनुकूलता एक समय के बाद खत्म हो सकती है, कम हो सकती है, लेकिन प्यार और दोस्ती हमेशा कायम रहती है. इसलिए जरूरी नहीं प्यार में सैक्स हो.
खाली समय में क्या करती हैं?
मैं 25 दिन तक शूट करती हूं. इस के बाद जो समय बचता है उस दौरान मैं घर में रहती हूं. कुकिंग का मुझे बहुत शौक है. मैं खाली समय में कुकिंग भी करती हूं.
कितनी फैशनेबल हैं और कितना मेकअप करना पसंद करती हैं?
घर पर मैं सिंपल रहती हूं. बाहर निकलने पर अच्छी ड्रैस पहनती हूं. मेकअप अधिक पसंद नहीं, पर अभिनय के हिसाब से करना पड़ता है.
किस बात से गुस्सा आता है?
छोटीछोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है. मेरे साथ या मेरे सामने अगर कोई गलत बात करे, तो मुझ से सहन नहीं होता.
कोई ऐसी फिल्म, जिसे आप ने बारबार देखा हो?
‘सोचा न था’ और ‘रहना है तेरे दिल में’ फिल्में कई बार देखी हैं. इस के अलावा मुझे हर तरह की फिल्में देखना और उन में अभिनय करना पसंद है.