राहुल पटेल बॉलीवुड में कहानी,पटकथा और संवाद लेखक हैं.वह देश में वेब सीरीज के शुरुआती लेखकों में से हैं.साल 2017 की राष्ट्रीय अवार्ड विजेता एनिमेशन फिल्म महायोद्धा राम के वह संवाद लेखक हैं और पिछले साल वह वेब वल्र्ड में ‘द वर्डिक्ट स्टेट वर्सेस नानावटी’ नामक वेब फिल्म के लिए चर्चित रहे हैं.कुछ दिनों पहले मैंने उनसे मुंबई में उनके आॅफिस में वेब सीरीज के टारगेट ऑडियंस,उनके मिजाज और कंटेंट को लेकर बात की.पेश है इस बहुत लंबी बातचीत के कुछ हिस्से.

लोकमित्र गौतम- राहुल हमें यह बताइये कि वेब राइटिंग दूसरी राइटिंग से कैसे अलग है,इसकी शुरुआत कहां हुई,इसकी जरूरत क्यों पड़ी और इसका भविष्य क्या है?

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राहुल पटेल- पिछले चार-पांच सौ सालों में कंटेंट का जो भी नया फोर्मेट आया है, साहित्य की जो भी नई विधाएं आयी हैं, वे ज्यादातर पश्चिम से आयी हैं, वेब राइटिंग भी इन्हीं सब की तरह पश्चिम से आयी है.वेस्ट में टीवी पहले से ही बड़ा था.पिछली सदी के, नाइंटीज के दशक में, स्टार वल्र्ड में सेंटा बार्बरा नाम का एक डेली सोप आता था,जो बहुत चलता था.हिंदुस्तान में डीडी सोप उसी दौरान शुरु हुए,जबकि मैक्सिको और स्पेन में तब डेली सोप चलते थे.इनमें कुछ करेक्टर होते थे, एक हाइप प्वाइंट होता था, जिसके सहारे दूसरे एपीसोड की तरफ बढ़ा जाता था.जॉर्ज आरआर मार्टिन की किताब ‘ए सांग ऑफ आईस एंड फायर’ पर बना डेली सोप ‘गेम ऑफ थ्रोन’ ऐसा ही एक सोप है जो आठ साल तक लगातार चला.इस तरह से कुछ और कार्यक्रमों ने अपनी जगह बनायी जो आम टीवी धारावाहिकों से अलग थे.ये तमाम सोप कुछ कुछ फिल्मों जैसे थे,इनका बजट भी फिल्मों जैसा था.वास्तव में यहीं से निकला है वेब सीरिज का कांसेप्ट जो कि टीवी तथा सिनेमा के बीच का कांसेप्ट है.

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