मेघालय के शिलोंग में जन्मी अभिनेत्री पत्रलेखा के पिता चाहते थे कि वह चार्टेड एकाउंटेंट बने,लेकिन पत्रलेखा को बचपन से अभिनय में दिलचस्पी थी. वह मुंबई आ गयी और अपने भाग्य की आजमाईश करने लगी. उसके कैरियर की शुरुआत हंसल मेहता की फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ से हुई, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया. इस फिल्म में उनके अपोजिट अभिनेता राजकुमार राव थे, जिससे उनकी नजदीकियां बढ़ी और आज भी दोनों एक दूसरे को डेट कर रहे हैं.
पत्रलेखा आज जिस मुकाम पर हैं उसे वह अपनी मेहनत और लगन मानती हैं,क्योंकि इंडस्ट्री में आउटसाइडर को काम मिलना बहुत मुश्किल होता है. वह पिछले 4 सालों से काम कर रही हैं और 3 फिल्में की है. वह अपने काम से संतुष्ट है और खुश है कि उसे हमेशा अच्छी भूमिका ही मिली. फिल्म सफल हो या असफल पत्रलेखा उस पर अधिक ध्यान नहीं देती, क्योंकि वह हर नयी फिल्म नए अवतार में करना पसंद करती हैं. उनसे बात हुई, पेश है कुछ अंश.
किसी फिल्म को चुनते समय किस बात का खास ध्यान रखती हैं?
मैं हमेशा नयी तरह की फिल्म करना पसंद करती हूं. मैंने ड्रामा और कौमेडी दोनों तरह की फिल्में की हैं और अब नया करना चाहती हूं. मैं एक क्रिएटिव पर्सन हूं और हर तरह की भूमिका निभाना चाहती हूं. जो कहानी मेरे पास आती है, उसी में से मुझे चुनना पड़ता है और इसलिए जो कहानी मुझे प्रेरित करती है, उसे चुनती हूं.
आपकी पहली फिल्म सिटी लाइट्स काफी पसंद की गयी थी इसके बाद कोई वैसी फिल्म आपने नहीं की,क्या आप अपने कैरियर से संतुष्ट हैं?
असल में सिटी लाइट्स के बाद मेरे पास उस तरह की कोई फिल्म नहीं आई. मुझे बहुत काम करना है और आगे 50 साल तक काम करते रहना है. मुझे जो मिलता है, उसी में से अच्छा चुनती हूं, लेकिन मेरा विश्वास है कि मुझे उस स्तर की कहानी मिलेगी, जो फिर से मेरा टर्निंग पौइंट होगा. मैं तब तक इंतजार कर सकती हूं.
क्या आउटसाइडर्स को अच्छा काम मिलना मुश्किल होता है?
ये सही है कि मेरे स्थान से मैंने निकलने का साहस किया और पहले मैं मुंबई केवल पढ़ने आई थी, लेकिन मेरे मन में अभिनय की इच्छा थी. धीरे-धीरे मैं इसमें आगे बढ़ी, पहले तो काफी जगह पर मैंने औडिशन दिए. तब इन्टरनेट भी इतना एक्टिव नहीं था, केवल एक ही माध्यम विज्ञापन का था, जिसके जरिये आप किसी निर्माता निर्देशक की आंखों में आ सकती हैं और आपको अच्छा काम मिलेगा. आज काफी अच्छा माहौल है और काम मिलना आसान हो गया है. उस समय अगर मेरे माता-पिता ने आर्थिक सहायता न दी होती, तो यहां रह पाना बहुत मुश्किल था. उस दौरान मुझे कुछ विज्ञापनों में काम मिलता गया, इससे मेरी पौकेट मनी मिल जाया करती थी. मुझे इंडस्ट्री का कोई सपोर्ट नहीं था. मुझे भी कुछ पता नहीं था, पर अभी मैं जानती हूं. मेरे माता-पिता हमेशा बैकबोन की तरह मेरे साथ थे.
शिलोंग में बौलीवुड फिल्में कितनी प्रचलित हैं?
जब मैं छोटी थी तो बौलीवुड की फिल्में अधिक नहीं आया करती थी, पर अब वहां भी खूब चलती है ऐसे में लोगों का हिंदी फिल्मों की ओर रुझान बढ़ा है. वहां भी अब मल्टीप्लेक्सेज आ गए हैं.
आप राज कुमार राव के साथ रहती हैं, इससे कही आपके कैरियर असर तो नहीं हो रही है?
राज कुमार राव अच्छा काम कर रहे हैं, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता. मैं किसके साथ रहूं या न रहूं ये मेरा निजी मामला है और किसी के साथ दोस्ती करना गलत बात नहीं है. अंजान शहर में ऐसे साथी का होना बहुत जरुरी होता है.
इंडस्ट्री में कोई आपका अच्छा दोस्त है?
मैं अधिक पार्टी में नहीं जाती. राजकुमार राव को छोड़कर मेरा कोई अच्छा दोस्त नहीं है. मैं किसी से अधिक राय नहीं लेती, खुद ही अपनी राय बनाती हूं.
अपने आपको ग्रो करने के लिए क्या करती हैं?
मैंने वेब सीरीज और वर्कशौप की है, एक्टिंग क्लासेज ली है. डांस का भी प्रशिक्षण लिया है. मैंने अपने आपको ग्रो करने की कोशिश की है.
क्या कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?
मैं मधुबाला की बायोपिक में काम करना चाहती हूं.
काम न होने पर कैसे समय बिताती हैं?
मैं फिल्में देखती हूं, किताबें पढ़ती हूं और ट्रेवलिंग करती हूं.
कितनी फूडी है?
मैं अधिक फूडी नहीं, पर मां के हाथ का बनाया हुआ सब कुछ, खासकर मछलियां खाना अधिक पसंद करती हूं. मुझे कुकिंग पसंद नहीं.
कुछ सामाजिक काम करने की इच्छा रखती हैं?
मैं स्ट्रीट एनिमल्स को हेल्प करने की इच्छा रखती हूं. मेरे सोसाइटी में बहुत सारी बिल्लियां हैं जिन्हें शेल्टर की जरुरत है. ये काम मैं करना चाहूंगी.
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