फिल्म ‘इलज़ाम’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले इस अभिनेता ने हर शैली की फिल्मों में काम किया है, फिर चाहे वह कौमेडी हो, रोमांस हो या एक्शन, हर भूमिका में वे फिट रहे हैं और कई पुरस्कार भी जीते हैं. अत्यंत हंसमुख और स्पष्टभाषी गोविंदा का शुरूआती दौर बहुत अच्छा नहीं था, उन्हें बहुत मुश्किल से पहली फिल्म मिली थी, पर उनकी मां ने उन्हें हमेशा भरोसा दिया कि एक दिन वे अच्छे एक्टर बनेंगे और वे बने भी.
कौमेडी में इतना अच्छा काम करने वाले अभिनेता कम ही हैं. ‘हद कर दी आपने’ फिल्म में उन्होंने एक परिवार के 6 सदस्यों की भूमिका निभाई और फिल्म हिट रही. किसी भी फिल्म में वे अपनी भूमिका को चुनौती समझते हैं और उसे अच्छा करने की कोशिश करते हैं. उन्होंने अपने समय के हर अभिनेता और अभिनेत्री के साथ काम किया है. उनकी और निर्देशक डेविड धवन की जोड़ी बहुत कमाल की थी. उन दोनों ने उस दौर में कई हिट फिल्में दीं, जो आज भी चर्चित हैं. इतना ही नहीं उनकी डांसिंग कला के सभी दीवाने हैं. किसी भी डांस के साथ उनके चेहरे का एक्शन देखने लायक होता है. काम के दौरान ही उनका परिचय सुनीता से हुआ और उन दोनों ने शादी की. उनके दो बच्चे टीना आहूजा और हर्षवर्धन आहूजा हैं.
इन दिनों वे अपनी अगली फिल्म ‘रंगीला राजा’ के प्रमोशन पर हैं, जिसमें उन्होंने डबल भूमिका निभाई है. उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश पेश हैं.
प्र. क्या आप कभी पुराने दिनों को याद करते हैं?
पुराने दिनों को अब हम याद नहीं कर सकते, माहौल बदला है, लोग बदले हैं, पर मुझे इस बात से ख़ुशी है कि सालों बाद भी मुझे दर्शक हीरो के रूप में स्वीकार करते हैं, लेकिन इतना याद आता है कि शुरू-शुरू में कई प्रोडक्शन हाउस के साथ मेरा झगड़ा हो जाता था, कई लोगों ने तो औफिस से निकाल तक दिया, क्योंकि उन्हें लगता था कि मैं एक संघर्षरत हूं और काम मांग रहा हूं. उनका व्यवहार भी बहुत अजीब हुआ करता था.
प्र. कौमेडी का दौर भी आज बदला है, इसे कैसे लेते हैं?
कौमेडी कम होने वजह ये है कि लोगों को समझ नहीं है कि किसको क्या दिखाएं और कितना दिखाएं. अभी चंद लोगों के हाथों में कौमेडी कैद हो चुकी है, इसलिए वह खुलकर सामने नहीं आती, टीवी पर ऐसा नहीं है. हर किसी को अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है और कौमेडी अच्छी निकलकर आती है. फिल्मों में इसकी कमी हो चुकी है, क्योंकि आज फिल्मों को व्यवसाय की दृष्टि से बनाया जाता है. पहले व्यवसाय के साथ-साथ मनोरंजन पर अधिक ध्यान होता था. मुझे लगता है कि कुछ समय बाद अच्छी कौमेडी आ जाएगी. थोडा धीरज धरने की जरुरत है.
प्र. 90 का दशक आपका था, उन फिल्मों को आज भी लोग पसंद करते हैं, इस बारें में आपकी सोच क्या है?
इसकी वजह यह है कि उन फिल्मों को आप अपनी जिंदगी से जोड़ पाते हैं. इसलिए जो भी दृश्य आपको छुए, वह आपको आकर्षित करता है और उसे आप बार-बार देखना चाहते हैं. मुझे याद आता है कि मेरी मां कहा करती थी कि बिना बात किये नृत्य करो. मुझे पहले अजीब लगा, लेकिन जब उन्होंने कुछ शास्त्रीय नृत्य की झलकियां दिखाईं, जिसमें बिना बात किये ही व्यक्ति डांस करता है तो मुझे उनकी बात समझ में आई. मैंने कई फिल्मों में उस भाव को प्रदर्शित किया और सफल रहा.
प्र. मां से आप बहुत प्रेरित है मां की किस बात को आप अभी भी याद करते हैं?
मां कहा करती थी कि अति नैतिकता, अति धार्मिकता, अति स्वच्छता, अति प्रेम आदि कभी भी अच्छे नहीं होते. अच्छाई उतनी रखनी चाहिए, जिससे कि व्यक्ति बेवकूफ न लगे. मेरे हिसाब से जीवन में एक सामंजस्य हमेशा बनाकर रखनी चाहिए और वह मैं करने की कोशिश करता हूं.
प्र. आपने इतनी सारी अच्छी फिल्में की हैं, कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है?
कोई भी मेरी फिल्म मुझे बहुत अच्छी नहीं लगी, क्योंकि मैं उसे कई अलग-अलग तरीके से देखने लगा हूं. मैं दृश्यों को आनंद के साथ देखता हूं. फिल्म ‘स्वर्ग’ के दृश्य अच्छे लगे. बहुत सारी दूसरी फिल्मों के दृश्य भी अच्छा लगते हैं. मैं बच्चों को भी उन दृश्यों को दिखाता हूं, क्योंकि वह मेरे दिल को छूती हैं.
प्र. आपके आलोचक कौन हैं?
पहले तो दर्शक हैं, इसके बाद मेरे बच्चे, जिनसे मैं कई बार फिल्म साईन करने से पहले राय ले लिया करता हूं. आज के युवा बहुत समझदार हैं, उन्होंने फ़िल्मी माहौल को ही बदल दिया है और हर चुनौती को स्वीकार करने से घबराते नहीं.
प्र. आप अपने अंदर किस कमी को आज भी महसूस करते हैं?
मैं एक बार मेरी मां के सामने रोया और कहा था कि मुझे लोग कम आंकते हैं. सामाजिक व्यवहार और मेरी भाषा सही नहीं होती, मैं उसमें कम पड़ जाता हूं. मैं कुछ भी कह देता हूं. मुझे समझ में क्यों नहीं आता. मां ने कहा था कि इससे आप खुद निकल सकते हो. मैंने समझा और निकल गया. मुझे अब लगता है कि वह कमी मेरे लिए ठीक थी, अगर वो चोट मुझे नहीं लगती तो शायद मैं ऐसा नहीं बन पाता.
प्र. आपकी फिटनेस का राज क्या है?
मैडिटेशन और योगा करता हूं, नियम से खाना खाता हूं. जिम मैं नहीं जाता.
प्र. आपने पहली कमाई से क्या-क्या किया था?
मैंने मां के लिए साड़ी और एक गोल्ड की चेन खरीदी थी. बहुत प्रसन्न था कि मैं हीरो बन गया था और मैं इस ख़ुशी में 4 दिन तक सोया नहीं था, क्योंकि अब मैं मेरी मां के अनुसार हीरो बन चुका था.
प्र. आप दोनों की शादीशुदा जिंदगी अच्छी चल रही है, इसे बनाये रखने में किसका सहयोग अधिक है?
इसमें मेरी पत्नी सुनीता का सहयोग अधिक है, वह एक समझदार पत्नी हैं. उन्हें पता है कि घर कैसे चलाया जाता है. मैंने शुरू से कह दिया था कि जब तक मां है, उसकी चलेगी. उसके बाद आपकी चलेगी. मैं कितनी भी ‘राजा’ नाम की फिल्में कर लूं, पर मैं रियल लाइफ में राजा नहीं हूं. पहले मां ने जो आदेश दिया, वह करता था अब सुनीता और टीना जो कहती हैं, वह करता हूँ.
प्र. ‘मी टू’ से क्या महिलाएं सुरक्षित हो सकेंगी?
ये पर्सनल बातें है. इसमें आपका पहनावा, सोच, बातचीत करने का तरीका आदि सब शामिल होता है, क्योंकि इससे कुछ लोग इसका सही प्रयोग करेंगे, तो कुछ लोग इसका गलत प्रयोग भी कर सकते हैं. इसलिए जो कानून कहेगा वही सही होगा. मैं अभी राजनीति से निकल चुका हूं और किसी भी राजनीति में पड़ना नहीं चाहता.
प्र. क्या आप अपनी आत्म कथा लिखना चाहते है?
हां, मेरी इच्छा है कि लिखूं, पर उसकी शुरुआत मेरी मां से होगी, क्योंकि जो मैं हूं इसमें अभी बहुत कुछ बाकी रह गया है. उनकी सोच तक अभी नहीं पहुंच पाया हूं. लोग मुझे ‘ममास बौय’ कहते हैं, पर मैं खुश हूं. मैं ये सोचता हूं कि जो भी व्यक्ति मेरी आत्मकथा को पढ़ लेगा, वह मां के साथ कभी गलत हरकत नहीं करेगा, ये जरुरी है. मैं अध्यात्म नहीं बेचूंगा. जो सहज सरल हो और समाज पर उसकी छवि का असर हो उसे ही लिखना चाहता हूं.