राज फ्रेंचाइजी की नई हारर फिल्म ‘‘राज रीबूट’’ में कुछ नयापन नही है. फिल्म डराने की बजाय हंसाती है. विक्रम भट्ट की हारर फिल्मों की ही तरह इस फिल्म में भी दरवाजों की आवाज, अपने आप दरवाजा खुलने, नारी का भूत के अधीन होना, खून का टपकना, किसी काले अतीत का उजागर होना वगैरह मौजूद है.
फिल्म की कहानी के अनुसार रेहान (गौरव अरोड़ा) और शायना (कृति खरबंदा) शादीशुदा हैं. शायना व रेहान कभी रोमानिया में रह चुके हैं. शानिया के ही कहने पर रेहान फिर से रोमानिया में बेहतर काम ढूढ़ता है और यह दंपति रोमानिया पहुंचता है. वहां पर नए मकान में रहना शुरू करते ही रेहान का शायना के प्रति व्यवहार बदल जाता है. अब रेहान उसके साथ हम बिस्तर भी नहीं होना चाहता. जबकि शायना चाहती है कि वह रोमानिया में रहते हुए मां बन जाए. शायना को रेहान के इस बदले हुए व्यवहार की वजह नहीं पता चलती. इस बीच उसे अहसास होता है कि उस मकान में उन दोनों के अलावा भी कोई और है. वह अपने पति को यह बात समझाने का असफल प्रयास करती है. धीरे धीरे वह खुद भूत के अधीन हो जाती है.
शायना अपने साथ हो रही घटनाओं का जिक्र अपनी सहेलियों से करती है, तो उसकी सहेलियां कहती हैं कि भूत होते हैं. तब अपने पति के सामने सबूत रखने के लिए शायना वीडियो कैमरा खरीदने जाती है. उसी दुकान पर उसकी मुलाकात आदित्य श्रीवास्तव (इमरान हाशमी) से होती है, जो कि शायना का पुराना प्रेमी है. शायना उसे गंदा इंसान समझती है. आदित्य उससे कहता है कि उसे पता है कि उसके साथ क्या क्या हो रहा है. वह बताता है कि शायना को अपने वाश बेसिन के शीशे में आंख दिखती है. बाथरूम में खून टपकता है...वगैरह वगैरह. आदित्य का दावा है कि इन सब से सिर्फ वही उसे बचा सकता है. पर शायना उसकी बात सुने बगैर घर चली जाती है. रात में वह कैमरा लगाकर सोती है. सुबह लैपटाप पर उसे नजर आता है कि एक भूत चल रहा है. वह अपने पति रेहान को बुलाकर देखने के लिए कहती है, पर रेहान को कुछ दिखायी नहीं देता.
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