मणि रत्नम निर्देशित तमिल फिल्म‘ ‘ओ कदल कंमनी’’ की हिंदी रीमेक फिल्म ‘‘ओ के जानू’’ एक रोमांटिक फिल्म है. पर तमिल फिल्म के मुकाबले हिंदी फिल्म कहीं नहीं ठहरती.

फिल्म की कहानी शुरू होती है मुंबई से. जहारं गोपी श्रीवास्तव (नसिरूद्दीन शाह) और चारूलता (लीला सैम्सन) के मकान में आदित्य (आदित्य रॉय कपूर) किराएदार है.

गोपी अपनी अल्जमाइजर से पीड़ित पत्नी चारूलता की सेवा करते रहते हैं. 25 वर्षीय आदित्य गुंजन लखनऊ से आया हुआ वीडियो गेम डिजायनर है. मुंबई में वीडियो गेम्स की कंपनी में नौकरी कर रहा है. उसके सपने बहुत बड़े हैं. वह अमेरिका जाना चाहता है. उसे वीडियो गेम्स में नाम व पैसे कमाने हैं. अमेरिका जाने में अभी छह माह  का समय है. तो वह मुंबई शहर को देख व समझ रहा है. मौज मस्ती कर रहा है. दोस्तों के साथ घूम रहा है. वह रिश्तों में ज्यादा उलझना नहीं चाहता. एक दिन एक मित्र जेनी की शादी में उसकी मुलाकात हाल ही में कालेज से आर्किटेक्ट की पढ़ाई पूरी कर निकली तारा (श्रद्धा कपूर) नामक अति महत्वाकांक्षी लड़की से होती है.

तारा का सपना पेरिस जाकर आर्किटेक्ट की उच्च शिक्षा हासिल करना है. वह पूरी तरह से करियर ओरिएंटेड है. उसका सारा ध्यान अपने करियर पर है. तारा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे उसको लेकर क्या कह रहे हैं? वह हमेशा अपनी मनमर्जी का काम करती है.

बहरहाल, आदित्य व तारा एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं और फिर एक दिन आदित्य व तारा जाकर गोपी से बात करते हैं और अंत में दोनों एक साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगते हैं. दोनों कहते हैं कि उन्हे शादी नहीं करनी है. मगर जब दोनों को अपने करियर के लिए मुंबई से अमेरिका व पेरिस निकलने में दस दिन का समय बचता है, तो आदित्य व तारा दोनों एक दूसरे से अपने दिल की बात कह बैठते हैं.

नसिरूद्दीन शाह, लीला सैम्सन, आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर के अच्छे अभिनय के बावजूद निर्देशक शाद अली की कमजोरी के चलते यह फिल्म दर्शकों को बांधकर नहीं रख पाती. यहां तक कि संगीतकार ए आर रहमान का संगीत भी दर्शकों को बांध नहीं पाता. फिल्म में नकली मिठास वाली प्रेम कहानी नजर आती है. अफसोस की बात है कि मणि रत्नम लिखित पटकथा को परदे पर उतारने में शाद अली बुरी तरह से असफल रहे हैं. करियर, प्यार व शादी में से किसे चुने जैसा एक अति सामायिक विषय को परदे पर ठीक से उभर ही नही पाया.

लेखक ने फिल्म में बुजुर्ग दंपति गोपी श्रीवास्तव व चारूलता की अतीत की जिंदगी को रेखांकित कर यह दिखाने का प्रयास नहीं किया कि इनके बीच पर कैसे प्यार पल्लवित हुआ और आज भी इनकी जिंदगी में प्यार की महक बरकरार है. गुलजार के संवाद व गीत भी प्रभावित नही करते.

इस फिल्म में आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर के बीच ‘आशिकी 2’ जैसी आन स्क्रीन केमिस्ट्री का भी अभाव नजर आता है. जबकि दोनों ने अपनी तरफ से बेहतरीन परफार्मेंस दी है. यहां कमजोर पटकथा व निर्देशकीय कमजोरी उभरती है. दिल के जिस अहसास को तीन चार दृश्यों में बयां किया जा सकता था, उसके लिए निर्देशक ने आधी फिल्म खत्म कर दी. फिल्म काफी धीमी गति से आगे बढ़ती है. कथानक के स्तर पर वही दोहराव है. फिल्म का अंत पहले से ही लोगों को पता रहता है. फिल्म में इमोशन का घोर अभाव है. फिल्म  के अंत में  थोड़ा बहुत इमोशन संभाला गया है. पर फिल्म कुल मिलाकर मनोरंजन करने की बजाय बोर ही करती है.

दो घंटे 15 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ओ के जानू’’ का निर्माण मणि रत्नम, करण जोहर, अपूर्वा मेहता, हीरु यश जोहर ने ‘मद्रास टॉकीज’ व ‘धर्मा प्रोडक्शन’ के बैनर तले किया है. निर्देशक शाद अली, कथा व पटकथा लेखक मणि रत्नम, संवाद लेखक व गीतकार गुलजार, संगीतकार ए आर रहमान, कैमरामैन रवि के चंद्रन तथा फिल्म के कलाकार हैं- आदित्य रॉय कपूर, श्रद्धा कपूर, लीला सैम्सन, नसिरूद्दीन शाह, करण नाथ व अन्य.    

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