इस फिल्म को देख कर लगा कि ‘आरजू’, ‘आंखें’, ‘गीत’ जैसी सुपरहिट फिल्में और ‘रामायण’ जैसा लंबा टीवी सीरियल बनाने वाले रामानंद सागर की अगली पीढ़ी ने अपने बापदादाओं का नाम मिट्टी में मिला डाला है. फिल्म के निर्देशक अमृत सागर ने एक फिल्म ‘1971’ बनाई थी.
फिल्म शादी के माहौल पर है जिस में सैक्सी कौमेडी डाली गई है. इस शादी के माहौल में निर्देशक ने एक लवगुरु के फंडों को शामिल किया है. यह लवगुरु है श्रवण (अरशद वारसी). कहने को तो फिल्म का नायक आकाश चोपड़ा है परंतु ज्यादा फुटेज अरशद वारसी को मिली है.
फिल्म की कहानी शुरू होती है साहिल (आकाश चोपड़ा) और स्नेहा (ताहिरा कोचर) के मिलने से. दोनों एकदूसरे को बचपन से जानते हैं. साहिल स्नेहा को प्रपोज करता है. शादी की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. साहिल का चचेरा भाई श्रवण (अरशद वारसी) खुद को लवगुरु समझता है. वह अपनी खूबसूरत बीवी (रिया सेन) की आंखों में धूल झोंक कर दूसरी लड़कियों से इश्क करता है. वह साहिल को बीवी को बेवकूफ बनाने की कला सिखाता है. शादी में साहिल का मामा पोपट भाई (परेश रावल) भी आता है. वह भी चालू किस्म का है. बीवी के सामने ही दूसरी औरतों को फ्लर्ट करता है. साहिल का अंकल सूमी (शक्ति कपूर) भी अपनी बीवी को बेवकूफ बना कर ऐयाशी करता है. साहिल को लगता है कि अगर वह श्रवण के बताए रास्ते पर चलेगा तो उस की जिंदगी भी मस्त हो जाएगी. लेकिन लवगुरु के चक्कर में पड़ कर उस की शादी टूटने के कगार पर पहुंचती है तो उसे अक्ल आती है.
मध्यांतर के बाद शक्ति कपूर, टीनू आनंद और परेश रावल की सैक्स कौमेडी डाली गई है. परेश रावल का काम अच्छा है. अरशद वारसी भी जमा है. राज बब्बर ने अपनी दमदार एंट्री दर्ज कराई है. फिल्म का गीतसंग?ीत साधारण है. छायांकन अच्छा है.