New Movie : देवा
रेटिंग: एक स्टार
यदि इंसान की मृत्यु की वजह बदल जाए, तो इस का असर उस इंसान से जुड़े हर किरदार पर पड़ना स्वाभाविक है. यह एक कटु सत्य है. पर यदि यही बात फिल्म की कहानी या किरदार या क्लाइमैक्स के साथ दोहराई जाए तो फिल्म का बरबाद होना तय है. मलयालम सिनेमा के लोकप्रिय फिल्म सर्जक रोशन एंड्यूज ने 2013 में मलयालम भाषा में फिल्म ‘मुंबई पोलिस’ बनायी थी, जिस में वहां के स्टार अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन हीरो थे और वह फिल्म के किरदार में एकदम फिट थे. लेकिन फिल्म ‘कबीर सिंह’ की सफलता के बाद रोशन एंड्यूज ने अपनी सफल फिल्म मुंबई पोलिस’ का हिंदी रीमेक ‘देवा’ बनाने का फैसला किया. वह लक्की रहे कि इस फिल्म में एक तरफ शाहिद कपूर मुख्य भूमिका निभाने को तैयार हुए,तो वहीं सिद्धार्थ रौय कपूर व जी स्टूडियो ने फिल्म के निर्माण की जिम्मेदारी संभाल ली.
लगभग फिल्म फिल्माए जाने के बाद मीडिया में खबरें गरम हुई कि शाहिद कपूर और निर्देशक रोशन एंड्यूज के बीच रचनात्मक मतभेद के चलते ‘देवा’ बंद हो गई. 6 माह यह फिल्म पुनः शुरू हुई और अब 31 जनवरी को यह फिल्म सिनेमाघरों में पहुंची है. रहस्य व रोमांच प्रधान फिल्म ‘देवा’ उबाउ और सिरदर्द ही है.
फिल्म देखने के बाद पता चला कि फिल्म ‘मुंबई पोलिस’ की सफलता की वजह हीरो पृथ्वीराज सुकुमारन का किरदार और फिल्म का क्लाइमैक्स था. पर हिंदी रीमेक ‘देवा’ में हीरो यानी कि शाहिद कपूर के किरदार को बदलने के साथ ही फिल्म का क्लाइमैक्स ही बदल डाला. फिल्म में जिस वजह से एक पुलिस कर्मी की हत्या होती है, वह वजह आपने बदल दी, तो उसका असर ही बदल गया. हमारी समझ में एक बात नहीं आती कि मलयालम या दक्षिण की किसी भी फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हुए हर कलाकार को अपने निर्देशन में नचाने वाले दिग्गज निर्देशक भी बौलीवुड में कदम रखते ही बौलीवुड के स्टार कलाकारों के इशॉरे पर खुद ही नाचना क्यों कम कर देते हैं.
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