यूं तो फिल्म ‘दंगल’ की कहानी राष्ट्रीय स्तर के पहलवान महावीर सिंह फोगट और उनकी बेटियां गीता व बबीता की जिंदगी की कहानी से प्रेरित फिल्म है. मगर यह फिल्म राष्ट्रवाद और उस समाज की कथा बयां करती है, जहां एक औरत अपनी भूमिका की सार्थकता को सिद्ध करने के लिए संघर्ष कर रही है.
यह फिल्म उस सोच पर कुठाराघाट करती है, जो यह कहती है कि एक पिता के सपनों को सिर्फ उसका बेटा ही पूरा कर सकता है क्योंकि इस कहानी में अपने पिता का सपना बेटियां पूरा करती हैं. निर्माता और अभिनेता के तौर पर आमिर खान ने यह भी कहने का प्रयास किया है कि वह देशभक्त हैं.
कहानी शुरू होती है हरियाणा के एक गांव से जहां महावीर सिंह फोगट (आमिर खान) को राज्य स्तर तक कुश्ती लड़ चुका इंसान कुश्ती लड़ने की चुनौती दे देता है. तब महावीर उसे पटकनी देते हुए बताते हैं कि सिस्टम में खराबी नहीं है, वह तो राष्ट्रीय स्तर के कुश्तीबाज रहे हैं. इस घटना के बाद जब महावीर घर पहुंचते हैं, तो वहां पर उनका भतीजा पृष्ठभूमि में कहानी सुनाने लगता है.
महावीर की पत्नी गर्भवती है. महावीर को बेटे की चाह है. पर एक के बाद एक चार बेटियों को उनकी पत्नी जन्म देती है. एक दिन महावीर जब अपने ऑफिस से घर पहुंचते हैं तो पता चलता है कि कुछ लोग उनकी बेटियों की शिकायत लेकर पहुंचे हैं. जब आमिर अपनी बेटियों से पूछते हैं कि उन्होंने उस लड़के को कैसे पीटा तो वह लड़कियां अपने चचेरे भाई की पिटायी कर बताती हैं कि उन्होंने उस लड़के को किस तरह से पीटा था. उसके बाद महावीर अपनी दो बेटियों गीता व बबिता को रोज सुबह पांच बजे उठाकर कुश्ती लड़ने की ट्रेनिंग देना शुरू करते हैं. गांव के लोगों के विरोध की परवाह किए बगैर लड़कियों के बाल कटवा देते हैं.
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