Dashmi Movie Review: आजकल हिंदी फिल्मों में धार्मिक शीर्षक रखने का ट्रैंड सा चल पड़ा है. फिल्म निर्मातानिर्देशकों को लगता है कि धार्मिक शीर्षक रखने से फिल्म के बारे में कंट्रोवर्सी पैदा होगी और दर्शकों में उत्सुकता जागेगी तो फिल्म अच्छी कमाई करेगी.
दूसरा यह कि आजकल हर फिल्म में धार्मिक पहचान, प्रतीक, संकेतों का जबरन इस्तेमाल करने का रिवाज सा चल पड़ा है. ऐसा फिल्म निर्माता इसलिए कर रहे हैं ताकि फिल्म गंभीर दिखाई दे और फिल्म में दिखाई गई कहानी को जस्टिफिकेशन मिल जाए.
‘दशमी’ फिल्म का शीर्षक भी यही सोच कर रखा गया है. दशमी को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन रावण का संहार राम ने किया था. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया.
‘दशमी’ फिल्म के जो पोस्टर लगाए गए हैं उन में राम, लक्ष्मण, सीता, रावण जैसे चरित्र दिखते हैं. होली से ठीक पहले रिलीज हुई इस फिल्म का विजयादशमी से कोई लेनादेना नहीं है. और न ही यह फिल्म दशहरे के त्योहार के बारे में है, न ही इस में रामचरित मानस वाले रावण की बात कही गई है.
इस में तो समाज के उन सारे रावणों को मारने की बात कही गई है जो मासूम बच्चियों को अपना शिकार बना कर उन का बलात्कार कर रहे हैं. ‘दशमी’ में एक नए रामराज्य को दिखाया गया है कि समाज में किस तरह नैतिक मूल्यों में गिरावट आ गई है. यह फिल्म समाज में होने वाले शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करती है. इस में समाज में होने वाले यौनशोषण को दिखाया गया है.