काम, प्यार और रिश्तों को रेखांकित करने वाली फिल्म ‘‘शेफ’’ मूलतः 2014 की सफलतम अमरीकन फिल्म ‘‘शेफ’’ का भारतीयकरण है. फिल्मकार ने इस फिल्म में पिता व पुत्र के रिश्ते को बेहतर तरीके से उकेरा है. इसी के साथ यह फिल्म इंसान के अंदरुनी अंतद्वंद का बेहतर चित्रण करती है.

फिल्म की कहानी दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाले युवक रोशन कालरा (सैफ अली) की है, जिसे बचपन से ही खाना बनाने का शौक रहा है. उसके अपने कुछ सपने हैं. वह मषहूर शेफ बनना चाहता है, पर यह बात रोशन कालरा के पिता (रामगोपाल बजाज) को पसंद नहीं है. इसी के चलते एक दिन वह घर से भागकर चांदनी चौक में छोले भठूरे बनाने वाले राम लाल के पास जाता है, पर वह उसे समझकर घर जाने के लिए कहते हैं.

वह रामलाल चाचा को मना नहीं कर पाता, पर भागकर अमृतसर चला जाता है. वहां एक ढाबे में रहकर खाना बनाना सीखता है और फिर एक दिन वह अमरीका के गली किचन का मशहूर शेफ बन जाता हैं. इस बीच उसने एक मशहूर नृत्यांगना राधा मेनन (पद्मप्रिया जानकी रमन) से पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की. जिससे उसका एक बेटा अरमान (मास्टर स्वर कांबले) है. पर बहुत जल्द तलाक हो जाता है. अब राधा कोचीन में रहती है.

फिल्म शुरू होती है अमरीका के न्यूयार्क शहर के गली किचन से. जहां एक ग्राहक रोशन कालरा को बुलाकर कहता है कि वह कैसा शेफ है, उसे उनका खाना पसंद नहीं आया. इसी बात पर बहस हो जाती है. गुस्से में रोशन कालरा उस ग्राहक की नाक तोड़ देते हैं. रोशन को पुलिस पकड़कर ले जाती है. गली किचन के मालिक उसे छुड़ाकर लाते हैं. पर उसे नौकरी से निकाल देते हैं.

उसी वक्त राधा, रोशन को फोन करके कहती है कि वह बेटे अरमान से बात कर ले. अरमान अपने पिता से अपने स्कूल में अपने पहले नृत्य के कार्यक्रम को देखने के लिए बुलाता है, पर व्यस्तता का बहाना कर रोशन उसे मना कर देता है. मगर गली किचन में उसकी सहायक रही विन्नी (शोभिता धुलीपाला) के समझाने पर वह प्लेन पकड़कर न्यूयार्क से कोचीन पहुंचता है. बेटा अरमान खुश हो जाता है. एक दिन अरमान के साथ वह बीजू (मिलिंद सोमण) की बोट पर पूरे दिन का आनंद लेता है और उसे अहसास होता है कि उसकी पूर्व पत्नी राधा अब बीजू से शादी करने वाली है.

उधर कुछ दिन के लिए राधा को नृत्य के शो के लिए यूरोप जाना है, तो वह चाहती है कि अरमान के साथ रोशन रहे. उस वक्त रोषन, अरमान के साथ दिल्ली और अमृतसर जाता है तथा उसे अपने बचपन की कहानी सुनाता है. यूरोप से वापस आने के बाद एक दिन बीजू, रोशन को अपने घर बुलाकर उसके सामने अपनी दो मंजिला बस में चलता फिरता होटल खोलने का प्रस्ताव रखता है, जिसे रोशन ठुकरा देता है. इस बात पर राधा से उसकी कहा सुनी होती है.

अंत में रोशन, बीजू के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है. रोशन उस बस को रंग कर होटल के अनुरूप ढालता है. इसी बीच गली किचन में उसे गुरू मानने वाला उसका दोस्त भी वापस आ जाता है. रोशन इस बस को लेकर कोचीन से गोवा होते हुए दिल्ली पहुंचते है. रोशन के साथ उनका दोस्त व बेटा अरमान भी है. दिल्ली में रामलाल चाचा के साथ रोशन के पिता भी आते हैं और रोशन को माफ कर देते हैं. दिल्ली पहुंचते ही एक तरफ अरमान को वापस कोचीन जाना है, क्योंकि उसका स्कूल खुलने वाला है, इसलिए उसे लेने राधा आती है, तो वहीं रोशन को एक अमरीकन होटल में शेफ की नौकरी का आफर आता है. पर बेटे अरमान के प्यार और अरमान के साथ सदैव रहने के लिए रोशन अमरीका की नौकरी का आफर ठुकरा देता है. फिर रोशन बेटे अरमान व पूर्व पत्नी राधा के साथ रहते हुए अपने रास्ता होटल को जारी रखते हैं.

साधारण कहानी में पिता पुत्र के रिश्ते व वैवाहिक संबंधों के बिखरने पर अच्छा संदेश भी है. रोजमर्रा की जिंदगी में काम और निजी जिंदगी को लेकर यह फिल्म सोचने पर मजबूर करती है. मगर पटकथा के स्तर पर काफी गड़बड़ियां है. फिल्म का क्लायमेक्स भी अच्छे ढंग से नहीं लिखा गया. फिल्म में आम मसाला प्रेम कहानी नहीं है. कोचीन में राधा के घर पर मजदूर यूनियन का पूरा सीन जबरन ठूंसा हुआ और बेमानी है. एडीटिंग टेबल पर फिल्म को कसने की काफी जरुरत थी.

राधा मलयाली है, इसलिए फिल्म में मलयाली संवाद भी रखे गए हैं. यदि ऐसा न होता, तो भी फिल्म की गुणवत्ता पर फर्क नहीं पड़ता. फिल्म में रोशन कालरा को महान शेफ बताया गया है, मगर इस तरह के सीन चित्रित नही हो पाए. रोशन कालरा को बार बार पास्ता या पिजा बनाते हुए ही दिखाया गया है. वैसे फिल्म में रंग, स्वाद, खाना पकाने के आनंद की संवेदनशीलता का चित्रण है. कुछ कमियों के बावजूद यह दिल को छू लेने वाली और देखने लायक फिल्म है.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो एक 40 साल के तलाकशुदा शेफ, जो अहसास करता है कि वह अच्छा पिता नहीं बन पाया और फिर एक अच्छा पिता बनने के प्रयास वाले रोशन कालरा के किरदार में सैफ अली खान ने काफी अच्छी परफार्मेंस दी है. रोशन कालरा के बेटे के किरदार में स्वर कांबले ने भी जबरदस्त अभिनय प्रतिभा का परिचय दिया है. पद्मप्रिया जानकी रमण की मुस्कान तो दर्शकों को अपना बना लेती है. वह फिल्म में काफी सुंदर और आर्गेनिक लगी हैं. छोटे से किरदार में मिलिंद सोमण और चंदन राय सान्याल भी जमे हैं.

फिल्म में केरल की खूबसूरती को भी बहुत अच्छे ढंग से चित्रित किया गया है. तो वहीं अमृतसर व दिल्ली की लोकेशन भी अच्छी है.

दो घंटे 12 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘शेफ’’ का निर्माण भूषण कुमार, किशन कुमार, राजा कृष्ण मेनन, विक्रम मल्होत्रा व जननी रवि चंद्रन ने किया है. फिल्म के निर्देशक राजा कृष्ण मेनन, लेखक रितेश शाह, सुरेश नायर व राजा कृष्ण मेनन, संगीतकार रघु दीक्षित व अमाल मलिक, कैमरामैन प्रिया सेठ व कलाकार हैं-सैफ अली, राम गोपाल बजाज, शोभिता धुली पाला, मास्टर स्वर कांबले, पद्मप्रिया जानकी रमन, चंदन राय सान्याल, दिनेश प्रभाकर, नेहा सक्सेना, पवन चोपड़ा व अन्य.

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