साल की शुरुआत में ही डीजे शेजवुड ने सदाबहार गाने ‘परदे में रहने दो’ का रीमिक्स वर्जन पार्टी लवर यूथ के लिए लौंच कर दिया है और इसे जम कर डाउनलोड भी किया गया. इस के अलावा हनी सिंह भी हंसराज हंस के गानों को रीमिक्स कर अपना कमबैक कर चुके हैं.

आमतौर पर नई पीढ़ी पुराने गीतों को पसंद नहीं करती. उन गीतों का स्लो म्यूजिक उन्हें पसंद नहीं आता. पर जब वही गीत नए अंदाज में, नए धमाकेदार म्यूजिक के साथ, नई आवाज में सुनते हैं तो युवकयुवतियां इन गीतों के साथसाथ गुनगुनाते नजर आते हैं. वैसे देखा जाए तो पुराने गीतों का कोई मुकाबला नहीं. वे गीत हमेशा से सदाबहार हैं और रहेंगे. पुराने गीतों के सुर व बोल ही अलग थे.

उन गीतों में भावों का समावेश होता था. ऐसा लगता है जैसे गीतकार ने अपनी सारी भावनाएं उस गीत के शब्दों को माला के मोती की तरह पिरो दिया है. उन गीतों में जो शब्द इस्तेमाल हुए हैं, ऐसा लगता है जैसे हर एक शब्द संगीत से भरपूर है. यह बात और है कि उस वक्त का म्यूजिक इतनी अच्छी क्वालिटी का नहीं था. कभीकभी तो वह म्यूजिक कर्कश लगने लगता है.

वर्तमान में भारत में म्यूजिक में नएनए प्रयोग हो रहे हैं जिस से हमारा म्यूजिक दिनोंदिन निखरता जा रहा है. सब से पहले आरडी बर्मन ने शुरुआत की थी. उन्होंने अपने पिता एसडी बर्मन की छाया से बाहर निकल कर सलिल चौधरी, नौशाद, कल्याणजीआनंदजी और शंकरजयकिशन जैसे पुराने संगीतकारों के संगीत को नया सुरताल दिया. वहीं गुलजार ने शब्दों को अपने एक अलग ही स्वरूप में ढाल कर गीतों की पुरानी परंपरा को बदला.

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