आईवीएफ तकनीक के द्वारा अब तक महिलायें बच्चों को जन्म देती थी. अभिनेता तुषार कपूर पहली चर्चित पुरूष हस्ती हैं, जिन्होनें आईवीएफ के जरीये सिंगल फादर बनने का फैसला किया. आईवीएफ तकनीक के जरीये वह पिता बन चुके हैं. उनको बेटा हुआ है, उसका नाम लक्ष्य रखा गया है. मुम्बई के जसलोक अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के आईवीएफ विभाग की डाक्टर फिरूजा पारिख ने कहा ‘ तुषार में पिता बनने का इरादा पक्का था. हर स्टेज पर उनका सहयोग मिलता रहा. इससे साफ दिखता है कि वह अच्छे पिता की तरह अपने बच्चे की परवरिश कर सकेगे.’ जसलोक अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के आईवीएफ विभाग की डाक्टर फिरूजा पारिख ने बताया कि कुछ समय से कई पुरूष और महिलाओं ने सिंगल पैरेंट बनने के लिये आईवीएफ तकनीक का सहारा लेने का फैसला किया है.
अगर इस चलन की शुरूआत को देखे तो साल 2005 में कोलकाता में पहली घटना का पता चलता है. वहां पर अमित बनर्जी नामक युवक इस तरह से पिता बना था. भारत के मुकाबले विदेशों में इस तरह का चलन पुराना है. आम लोग ही नहीं तमाम सेलेब्रेटी तक इसका सहारा लेकर सिंगल पैरेंट बन चुके है. दुनिया के सबसे अच्छे फुटबाल खिलाडी क्रिस्टियानों रोनाल्ड ने 2010 में सिंगल पैरेटस बने. पाप स्टार रिकी मार्टिन दो बच्चों के पिता हैं. भारत में आईवीएफ तकनीक से पिता तो कई शादीशुदा अभिनेता बन चुके हैं. इनमें शाहरूख खान और आमिर खान का नाम सामने आ चुका है. 2013 में शाहरूख और उनकी पत्नी गौरी ने आईवीएफ तकनीक से अपने तीसरे बच्चे अबराम को जन्म दिया. आमिर खान और किरण राव ने बच्चे आजाद को जन्म दिया.
तुषार कपूर का मसला थोडा अलग इसलिये है क्योकि वह बिना शादी के आईवीएफ तकनीकि के जरीये पिता बने है. यह सामाजिक रूप से क्रांतिकारी कदम है. भारत में विवाह एक सामाजिक बंधन होता है. इसे एक समाजिक संस्था माना जाता है. वहां इस तरह की शुरूआत नये विचारों को जन्म देगी. सिंगल पैरेंटस के रूप में कई महिलाओं ने लडकियों को गोद लिया है. कई ने शादी भी नहीं की और अपनी गोद ली बच्ची के साथ जीवन गुजार रहे है. किसी लडके ने यह काम पहली बार किया है. समाज में कुंवारे रहने वाले लडको की संख्या तेजी से बढती जा रही है. ऐसे में यह शुरूआत नई दिशा देने का काम कर सकती है. यह सही है कि इससे धर्म का प्रचार करने वाले लोग आहत होंगे, वह इसे धर्म और संस्कृति पर हमला भी मान सकते है.
जिस तरह से तुषार के पिता अभिनेता जीतेन्द्र और मां शोभा ने अपने घर में आये नये मेहमान लक्ष्य का स्वागत किया है उससे साफ है कि उनको समाज की दकियानूसी सोच की परवाह नहीं है. तुषार के इस कदम ने केवल बालीवुड ही नहीं देश को भी एक संदेश दिया है. हमारे समाज में तमाम ऐसे नेता रहे हैं, जिनका कोई उत्तराधिकारी नहीं रहा है. इस तरह से उत्तराधिकार की परेशानी हल हो सकती है. बिना शादी किये भी पिता बनने का सपना पूरा किया जा सकता है. इसे विवाह संस्था पर हमला मानने के बजाये समाज की एक नई शुरूआत मानना ज्यादा अचछा होगा. जो बहुतों को खुशियां दे सकता है.