शाहरुख खान की ‘मनसे’ अध्यक्ष राज ठाकरे से मुलाकात का हर राजनीतिक दल विरोध कर रहा है. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम और भारतीय जनता पार्टी की नेता शायना एनसी ने भी विरोध दर्ज कराया है. सभी का मानना है कि शाहरुख खान अपनी फिल्म ‘‘रईस’’ में पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान को लेकर सफाई देने गए थे. राज ठाकरे भी कह चुके हैं कि शाहरुख खान उन्हे यह बताने गए थे कि ‘रईस’ के प्रमोशन के लिए माहिरा खान मुंबई नहीं आ रही हैं.

पर बौलीवुड के अंदरूनी सूत्र इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं. बौलीवुड के सूत्र मानते हैं कि शाहरुख खान यह बात राज ठाकरे को फोन पर भी बता सकते थे. अथवा मीडिया के माध्यम से भी स्पष्ट कर सकते थे कि माहिरा खान नहीं आ रही हैं. बौलीवुड के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि शाहरुख खान अपने अंदर के डर की वजह से राज ठाकरे से मिलकर अगली रणनीति तय करने गए थे. और राज ठाकरे से मुलाकात करने के बाद ही शाहरुख खान, फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया और निर्माता रितेश सिद्धवानी ने बयान देना शुरू किया कि उनकी फिल्म ‘‘रईस’’ की कहानी गुजरात के शराब माफिया व गैंगस्टर अब्दुल लतीफ की कहानी नहीं है.

वास्तव में धीरे धीरे यह राज खुल चुका है कि फिल्म ‘‘रईस’’ की कहानी गुजरात के शराब माफिया अब्दुल लतीफ के जीवन पर आधारित है. मूलतः गुजरात के अहमदाबाद शहर में अवैध शराब विक्रेता के रूप में बहुत बड़ा मुकाम हासिल कर लेने वाले अब्दुल लतीफ का राजनीतिक नेताओं के साथ संबंध थे. उसने टीनएजर युवकों के हाथ बोटल में शराब भरकर लोगों तक पहुंचाने का जाल बिछा रखा था. वह गरीब मुस्लिम परिवारों की आर्थिक मदद भी करता था. जुए के अड्डे भी चलाता था. बाद में वह दाउद इब्राहिम से जुड़ गया था और 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में भी वह आरोपी था.

गुजरात पुलिस ने 1995 में उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया था. बाद में 1997 में जेल से भागते समय पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया था. उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री शकर सिंह वाघेला थे. बाद में इसी गुस्से में अब्दुल लतीफ के बेटे शेख आरिफ अब्दुल लतीफ ने शंकर सिंह वाघेला के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था. जब अब्दुल लतीफ के बेटों को पता चला कि फिल्म ‘रईस’ बन रही है, तो इसकी कहानी पता चलते ही अप्रैल 2016 में अब्दुल लतीफ के बेटे मुश्ताक लतीफ ने निर्माताओ के खिलाफ मानहानि का मुकदमा अदालत में दायर किया.

मुश्ताक अब्दुल लतीफ के वकील ने अदालत से कहा था-‘‘फिल्म ‘रईस’ में उनके मुवक्किल के पिता को गलत ढंग से चित्रित किया जा रहा है. उनके पिता ‘टाडा’ में आरोपी थे. वह बोटल में शराब भरकर बेचने के आरोपी थे. लेकिन उन्होंने कभी भी वेश्यागृह नहीं चलाए. अब्दुल लतीफ ने शराब की बिक्री में औरतों का उपयोग नहीं किया. बल्कि मुश्ताक के पिता अब्दुल लतीफ तो गरीबों पर पैसा लुटाया करते थे.’’

वैसे अब्दुल लतीफ पर पहले शरीक मिन्हाज ने ‘‘लतीफः द किंग आफ क्राइम’’ बना चुके हैं. यह फिल्म 6 जून 2014 को प्रदर्शित हुई थी. सूत्र बताते हैं कि उसके बाद ही राहुल ढोलकिया और शाहरुख खान ने ‘रईस’ की योजना बनायी.

सूत्रों के अनुसार 25 जनवरी 2017 को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘रईस’’ की कहानी 80 के दशक के गुजरात की है. यह एक ऐसे इंसान की कहानी है, जिसने पूरे गुजरात में बोटलों में शराब भरकर बेचते हुए अपना बहुत बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया था. कहानी उसके आगे बढ़ने और उन रिश्तों की है, जिसकी वजह से पूरे राज्य में एकछत्र राज्य कायम हुआ था. रईस को किसी गैंगस्टर की बजाय एक अतिखडूस व्यापारी की कथा कहा जाना ज्यादा उचित होगा. जिसे किसी से डर नहीं लगता.

रईस (शाहरुख खान) ने निडरता से इस तरह से व्यापार किया कि उसने शोहरत भी पायी. गलत ढंग से बहुत पैसा कमाया. पर लोगों के बीच अपने आपको स्वीकार भी करवाया. वह हमेशा व्यापार को लेकर नए नए आइडिया सोचता रहा. उसने अपने शराब के व्यापार में हर किसी का उपयोग किया.

फिल्म के निर्देशक राहुल ढोलकिया कहते हैं-‘‘मीडिया में गलत खबरें छप रही हैं कि यह फिल्म अब्दुल लतीफ की जिंदगी पर आधारित है. हककीत में मेरी यह फिल्म मेरी काल्पनिक कहानी पर आधारित है. यह गुजरात की पृष्ठभूमि पर एक काल्पनिक अपराध कथा है.’’ जबकि शाहरुख खान कहते हैं- ‘‘हमारी फिल्म ‘रईस’ की कहानी 1980 के गुजरात की पृष्ठभूमि पर है. मगर मेरे किरदार या फिल्म की कहानी का किसी जीवित या मृत इंसान से कोई वास्ता नहीं है. यह पूरी तरह से एक काल्पनिक किरदार है.’’

बौलीवुड के एक अंदरूनी सूत्र का मानना है कि अब्दुल लतीफ 1993 के बम विस्फोट से जुडा हुआ था, इस कारण शायद कुछ राजनेता इसका विरोध कर सकते हैं. यह डर शाहरुख खान को सता रहा है.

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