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इस से अवसाद में था. पुलिस ने दिव्य के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन देर रात तक बड़े तालाब के आसपास की मिलती रही.

पुलिस रात भर उस की तलाश करती रही, पर उस का कुछ पता नहीं चला. अगले दिन यानी 2 दिसंबर की सुबह वह उदयपुर शहर की फतेहपुरा पुलिस चौकी पर पहुंचा और वहां बताया कि उस का नाम दिव्य कोठारी है. चौकी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर थाना सुखेर पहुंचा दिया.

थाने में दिव्य से पूछताछ की जाने लगी तो कभी वह रोने लगता तो कभी हंसने लगता. उस का कहना था कि वह रुचिता को मां की तरह मानता था. पत्र के बारे में उस का कहना था कि पूछताछ से डर कर उस ने पुलिस को वह पत्र लिखा था. दिन भर की पूछताछ में पुलिस को दिव्य से ऐसी कोई बात पता नहीं चली, जिस से हत्या के बारे में कुछ पता चलता.

पुलिस कृष्णवल्लभ से भी पूछताछ कर रही थी. अपराध स्वीकार करने के लिए पुलिस उस पर काफी दबाव बना रही थी. एक बार तो पुलिस ने हवा भी फैला दी कि कृष्णवल्लभ ने पत्नी की हत्या का अपना अपराध स्वीकार भी कर लिया है, लेकिन शाम को ही एसपी राजेंद्र प्रसाद गोयल ने कहा कि अभी ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है, मामले की जांच चल रही है.

अगले दिन रुचिता का मोबाइल उदयपुर के सायरा के एक मजदूर के पास से मिल गया. उसे वह मोबाइल सड़क पर पड़ा मिला था. पुलिस ने रुचिता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स खंगाली, लेकिन उस से भी कोई सबूत नहीं मिला. पोस्टमार्टम के बाद रुचिता की लाश उस के मायके वाले अजमेर ले कर चले गए और वहीं उस का अंतिम संस्कार कर दिया. पुलिस हिरासत में होने की वजह से कृष्णवल्लभ पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका.

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