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जिस से मेरा सारा दिन खराब हो जाता है. अगर तुम मुझे इतना ही प्यार करते हो तो कुछ ऐसा करो कि उस की टेंशन ही खत्म हो जाए. भूपेंद्र शशि का इशारा समझ गया था.

इसी दौरान उस के दिमाग में एक आइडिया आया. उसी आइडिया के तहत उस ने एक दिन मौका पाते ही अपने गांव के एक किसान की हैरो चुरा ली. भूपेंद्र ने वह हैरो ला कर अपने खेत के एक कोने में डाल दी. जब उस किसान को पता चला कि उस की हैरो चोरी हो गई है तो उस ने पहले तो आसपास ही इधरउधर तलाशने की कोशिश की.

तभी उसे पता चला कि उस की हैरो भूपेंद्र के खेत में कोने में पड़ी हुई है. इस की जानकारी मिलते ही वह सीधे भूपेंद्र के पास गया और अपनी चोरी हुई हैरो की बात बताते हुए पूछा कि उस के खेत में वह हैरो कैसे पहुंची. भूपेंद्र ने उस से साफ शब्दों में कहा कि मेरा ट्रैक्टर पप्पू ही चलाता है. यह बात उसे ही पता होगी. मेरे पास तो पहले से ही मेरी अपनी हैरो है, फिर मैं तुम्हारी हैरो किसलिए चोरी करूंगा. तुम्हें जो भी पूछना है पप्पू से पूछो.

अपने ही घर में पप्पू हो गया बेगाना

यही बात उस किसान ने पप्पू से पूछी तो उस ने भी साफ शब्दों में कहा कि मुझे आप की हैरो से कोई लेनादेना नहीं. मैं भूपेंद्र के यहां केवल नौकरी करता हूं. मेरे पास तो अपना ट्रैक्टर तक नहीं है, मैं आप की हैरो चुरा कर क्या करूंगा.

दोनों के बीच विवाद बढ़ गया तो किसान ने पुलिस चौकी जा कर दोनों के नाम हैरो चोरी की एफआईआर दर्ज करा दी. पुलिस चौकी में पहले से ही शशि की अच्छी बात थी. उस ने वहां जा कर भूपेंद्र को बचाते हुए अपने पति पप्पू को ही हैरो चोरी के इलजाम में जेल भिजवा दिया.

पप्पू के जेल चले जाने के बाद भूपेंद्र और उस के बीच मिलने का रास्ता बिलकुल साफ हो गया. इस के बाद शशि पूरी तरह से निडर हो कर उस के साथ जिंदगी के मजे लेने लगी. उस ने पप्पू को जमानत पर छुड़वाने के लिए पैरवी भी नहीं की.

यह सब देख कर पप्पू के बड़े भाई राजपाल को बहुत दुख हुआ. उस ने पप्पू को छुड़ाने के लिए काफी हाथपांव मारे तो शशि ने उस के परिवार को भी जेल भिजवाने की धमकी दे डाली. इस के बाद भी राजपाल ने जैसेतैसे पप्पू के केस की पैरवी की. पप्पू पर कोई ज्यादा बड़ा केस तो था नहीं. एक महीना जेल में रह कर वह घर आ गया.

भूपेंद्र ने खेला खेल

जेल से आते ही उस ने शशि की पिटाई की और उसे घर से निकल जाने को कह दिया. शशि ने फिर से अपने साथ पति द्वारा मारपीट की शिकायत चौकी में कर दी. इस मामले में पुलिस ने पप्पू पर कोई खास काररवाई तो नहीं की बल्कि उसे समझाते हुए पत्नी के साथ भविष्य में मारपीट न करने की चेतावनी दे कर छोड़ दिया. जेल से वापस आने के बाद पप्पू ने भूपेंद्र की नौकरी छोड़ दी. उस के बाद भूपेंद्र ने पप्पू के घर आनाजाना भी कम कर दिया.

इस पर भूपेंद्र ने शशि से मिलने का दूसरा रास्ता निकाला. जब कभी पप्पू किसी काम से बाहर जाता तो वह भूपेंद्र को फोन कर के गांव से बाहर बुला लेती और फिर उस के साथ मौजमस्ती करने निकल जाती. बाद में उस ने अपने बच्चों तक की परवाह करनी बंद कर दी. कभीकभी तो जब बच्चे ज्यादा भूखे होते तो पप्पू ही उन्हें कच्चापक्का खाना बना कर खिलाता.

शशि सुबह ही बनठन कर निकलती और देर रात घर लौटती. पति कुछ कहता तो वह उस पर ही चढ़ बैठती थी. हर रोज की चिकचिकबाजी से पप्पू परेशान हो गया तो उस ने शशि को तलाक देने की योजना बनाई. उस ने एक दिन उस से कोरे स्टांप पेपर पर अंगूठा भी लगवा लिया.

यह बात शशि ने भूपेंद्र को बताई तो उस ने शशि के कान भरते हुए उसे पति के खिलाफ ही भड़का दिया. भूपेंद्र ने शशि से कहा कि पप्पू तुम्हारी हत्या करने की साजिश रच रहा है. अगर अपनी खैर चाहती हो तो तुम पहले ही उसे मौत के घाट उतार दो.

भूपेंद्र की बात सुनते ही शशि भड़क उठी. उस ने कहा कि पति को मारना मेरे बस की बात नहीं है. अगर तुम मुझे दिल से चाहते हो तो यह काम तुम ही क्यों नहीं कर देते. अपने प्यार की खातिर इतना काम तो तुम ही कर सकते हो.

शशि के मन की बात सामने आते ही भूपेंद्र समझ गया कि अगर वह पप्पू को अपने रास्ते से हटा दे तो शशि पूरी तरह से उसी की रखैल बन कर रह जाएगी. इस के बाद उस ने पप्पू को मौत की नींद सुलाने के लिए तानेबाने बुनने शुरू कर दिए.

भूपेंद्र अगर शशि के लिए कुछ भी करने को तैयार था, तो इस का भी एक बड़ा कारण था. भूपेंद्र की शादी को कई साल बीत चुके थे, लेकिन उस की बीवी को कोई औलाद नहीं हुई थी. जिस के लिए उस की बीवी और वह परेशान रहते थे. शशि की ओर से पप्पू को अपने बीच से हटाने के लिए छूट मिलते ही उस ने सोच लिया था कि पप्पू को मौत की नींद सुलाने के बाद वह कोर्टमैरिज कर के उसे अपने घर ले आएगा.
लिखी गई हत्या की पटकथा

भूपेंद्र के गांव में ही उस का एक जिगरी दोस्त था मंजीत सिंह. मंजीत सिंह भूपेंद्र के हर सुखदुख में काम आता था. भूपेंद्र ने अपने मन की बात मंजीत के सामने रखी तो मंजीत उस का साथ देने को तैयार हो गया. इस के बाद भूपेंद्र ने अगला तानाबुना बुना. वह जानता था कि पप्पू इस वक्त उस से बहुत खफा है और उस की किसी भी चाल में फंसने वाला नहीं है.

भूपेंद्र के दिखावे के लिए शशि से मिलनाजुलना बंद कर दिया ताकि पप्पू के दिल में उस के प्रति नफरत की आग शांत हो सके. जब पप्पू ने देखा कि भूपेंद्र ने शशि से मिलना लगभग बंद कर दिया है तो पप्पू का व्यवहार भी पत्नी के प्रति नरम हो गया. फिर एक दिन शशि ने भूपेंद्र को फोन कर के अपने घर बुला लिया. उस वक्त पप्पू भी घर पर ही था.

पप्पू के घर पहुंचते ही भूपेंद्र ने उस के सामने अपनी गलती मानते हुए क्षमा मांगी. उस ने भविष्य में ऐसी कोई भी गलती न करने की कसम भी खाई. यह सब नाटक करने के बाद उस ने पप्पू से कहा कि उस के बिना उस का सारा कामधंधा चौपट हो गया है. वह आज ही उस के साथ चल कर ट्रैक्टर संभाल ले.
पप्पू उस की चिकनीचुपड़ी बातों में आ गया और फिर से उस का ट्रैक्टर चलाने लगा. उसे भूपेंद्र पर फिर से विश्वास हो गया था. उसी विश्वास के सहारे 26 जुलाई, 2018 को किसी काम के बहाने भूपेंद्र ने पप्पू को अपने साथ लिया और बाइक पर बैठा कर भोगपुर डैम की ओर ले गया. उस के साथ मंजीत भी था.

डैम के किनारे सुनसान जंगल में पहुंचते ही तीनों एक जगह बैठ गए. मौका पाते ही मंजीत ने गरमी का बहना कर के अपने सिर से पगड़ी उतार ली. फिर मौका पा कर दोनों ने पप्पू को दबोच लिया. पप्पू को कब्जे में कर के दोनों ने पगड़ी के कपड़े से उस का गला कस दिया, जिस से उस की मौत हो गई. कहीं वह जीवित न रह जाए, इस के लिए भूपेंद्र ने अपनी बेल्ट खोली और फिर से उस के गले में डाल कर खींच दी.

पप्पू की हत्या करने के बाद दोनों ने उस की लाश उठा कर 20 मीटर दूर पानी में फेंक दी. पप्पू को मौत की नींद सुलाने के बाद दोनों बाइक से अपने घर पहुंच गए. पप्पू की हत्या करने वाली बात भूपेंद्र ने मोबाइल पर शशि को भी बता दी थी. उस की हत्या की बात सुनने के बाद शशि घर से बाहर नहीं निकली. उस के बच्चों ने पापा के बारे में पूछा तो उस ने कह दिया कि उस के पापा किसी काम से बाहर गए हुए हैं, वह आज रात नहीं आएंगे. बच्चों को खाना खिला कर उस ने सुला दिया.

इस केस के खुलते ही अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त पगड़ी, बेल्ट, बाइक, मोबाइल फोन, मृतक की चप्पलें आदि भी बरामद कर लीं. पुलिस ने मृतक की पत्नी शशि, भूपेंद्र सिंह और मंजीत सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

पप्पू के दोनों मासूम बच्चे अपने ताऊ राजपाल सिंह के पास थे. राजपाल सिंह ने बताया कि शशि जाते हुए भी अपने बेटे राज को जेल से छूट कर आने के बाद देख लेने की धमकी दे कर गई थी, उस की जान को खतरा हो सकता है.

जेल जाने के दौरान भी शशि के चेहरे पर न तो पति की मौत का कोई गम था और न ही अपने दोनों बच्चों के भविष्य को ले कर किसी तरह की चिंता. शशि ने जातेजाते भी पत्रकारों से कहा कि उसे अपने पति की हत्या का कोई अफसोस नहीं.

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