जब हौसलों के चिराग में मेहनत रूपी तेल डाला जाता है तो सफलता की मिसाल जरूर जलती है. फ्रांस के जीन लुक वेन डेन हीडे ने भी तमाम व्यवधानों के बावजूद वह मुकाम हासिल कर दिखाया जो अनेक लोगों का केवल सपना बन कर रह जाता है. उन्होंने 30 हजार मील की गोल्डन ग्लोब रेस 212 दिनों में जीत करकीर्तिमान बनाया है.
गोल्डन ग्लोब रेस पिछले साल जुलाई में आयोजित की गई थी. हीडे के अलावा इस रेस में 18 और नाविक शामिल हुए थे. यह रेस याट से करनी थी. फ्रांस के 73 वर्षीय हीडे ने भी इस रेस में भाग लिया. वह 35 फीट लंबी अपनी याट के साथ समुद्र में उतरे थे. रेस की शुरुआत फ्रांस के लेस सबलेस ओलोने स्थित समुद्री तट से हुई थी.
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इस रेस की एक खास बात यह होती है कि इस में अकेले नाविक को कागज के नक्शों और सेक्सटेंट के माध्यम में समुद्र में रास्ता तलाशना होता है. बाहर की दुनिया से कभीकभी ही शौर्टवेव रेडियो के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है. इन सब वजहों से रेस के दौरान तमाम तरह की परेशानियां सामने आती हैं.
याट के माध्यम से 6 बार दुनिया का चक्कर लगाने वाले 73 वर्षीय हीडे को भी रेस के दौरान कई दुश्वारियों का सामना करना पड़ा. नवंबर के महीने में वह उस समय संकट में फंस गए थे, जब उत्तरी समुद्र में आए तूफान से उन की नाव का मस्तूल क्षतिग्रस्त हो गया था.
ऐसी हालत में रेस जीतनी आसान नहीं थी, इसलिए हीडे ने इसे खुद ही रिपेयर करने की ठान ली क्योंकि वह हर हाल में इस रेस को जीतना चाहते थे. कोशिश कर के उन्होंने खुद ही अपनी नाव का मस्तूल रिपेयर कर के केप हार्न का चक्कर पूरा किया.
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इस के लिए उन्हें कई बार 6 मीटर ऊंचे मस्तूल पर भी चढ़ना पड़ा. ज्यादा मुश्किल इस में लगी पिनों को निकालने में हुई, जबकि यह जमीन पर मौजूद किसी वर्कशौप में भी आसान नहीं होता. इस तरह हीडे ने 212 दिनों में यह रेस जीत कर एक नई उपलब्धि हासिल की. इस रेस में हीडे ने पहला स्थान हासिल किया है. अब 5 नाविक इस रेस में बचे हैं जो दूसरे और तीसरे स्थान के लिए प्रतियोगिता कर रहे हैं.
हीडे द्वारा गोल्डन ग्लोब रेस का खिताब जीतने पर ब्रिटिश नागरिक रौबिन नाक्स जोंसटोन ने उन्हें बधाई दी. रौबिन ने 50 साल पहले गोल्डन ग्लोब रेस जीती थी.
हीडे ने बताया कि अभी अन्य किसी रेस में हिस्सा लेने की उन की योजना नहीं है. वह किसी भी रेस में तब तक हिस्सा नहीं लेंगे, जब तक इस में कुछ बड़ा और आकर्षण न हो. अब वह अपनी नाव बेच कर अन्य लोगों को कोचिंग देने की योजना बना रहे हैं. बिना आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किए अकेले ही याट से 30 हजार मील की यह रेस जीतने वाले हीडे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बधाइयां मिल रही हैं.
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