आकाश में उड़ने की जद्दोजेहद नारी मन में सृष्टि की रचना से जारी है. पुरुषों से मुकाबला कल भी था और आज भी जारी है. युवतियां अब पहले से ज्यादा सशक्त, स्वावलंबी और निडर हो गई हैं और उन सभी कामों को अंजाम दे रही हैं जिन्हें कभी पुरुष ही किया करते थे. घर की चारदीवारी से बाहर आ कर वे कंपनियों में नौकरी कर रही हैं और देर रात घर लौटने से भी नहीं घबरातीं. ऐसे में युवतियां देह स्वतंत्रता, परपुरुष संबंध और सैक्सुअल फ्रीडम भी चाहती हैं. पहले स्त्री के अस्तित्व को संस्कार, शील, गुण और चारित्रिक उच्चता के चश्मे से ही देखापरखा जाता था. ताकीद यही की जाती थी कि कौमार्य को बचाए रखना ही नारीत्व की सब से बड़ी गरिमा है.
परिवर्तन के इस दौर में न सिर्फ युवतियों के विचार बदले हैं बल्कि उस से कई कदम आगे वे दैहिक स्वतंत्रता की बोल्ड परिभाषा को नए कलेवर में गढ़ती और बुनती नजर आ रही हैं.
सैक्सुअल बोल्डनैस का बोलबाला
आज युवतियों ने सैक्स को अपने बोल्ड व बिंदास अंदाज से बदल दिया है. युवतियां न केवल सोशल फोरम में व सार्वजनिक जगहों पर सैक्स जैसे बोल्ड इश्यू को सरेआम उठा रही हैं बल्कि उस के पक्ष में अपना मजबूत तर्क भी पेश कर रही हैं. वे कैरियर ओरिऐंटिड होने के साथसाथ सैक्स ओरिऐंटिड भी हैं. सैक्स के टैबू होने के मिथक को वे काफी पीछे छोड़ चुकी हैं. वे सैक्स को बुराई नहीं समझतीं बल्कि उस का भरपूर लुत्फ उठाना चाहती हैं.
सिंगल सैक्स की पैरोकार आज की युवतियां
कुछ समय पहले तक युवतियों के अकेले रहने या सफर करने पर सवाल उठाए जाते थे, पर जवान होती युवापीढ़ी ने वर्षों से चली आ रही नैतिक व सैक्स से जुड़े सामाजिक मूल्यों की अपनी तरह से व्याख्या की है. सहशिक्षा व बौद्धिक विकास ने इसे बदलने में काफी सहायता की है. शिक्षित स्वतंत्र कम्युनिटी के इस बोल्ड अंदाज ने आम मध्यवर्गीय सोच में भी अपनी पैठ बना ली है. निम्न वर्गों में तो पहले से ही स्वतंत्रता थी. बगावती सुरों ने आजादी पाने की राह आसान कर दी है. युवतियों की आर्थिक स्वतंत्रता ने भी इस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. सिंगल रहने वाली अधिकतर युवतियां इस सैक्सुअल फ्रीडम का बेबाकी से फायदा उठाती नजर आती हैं. वे सैक्स को ऐंजौय करने में हिचकिचाती नहीं हैं. यह भी शरीर की एक आवश्यकता है.
सेफ सैक्स, सेफ लाइफ का फंडा
आधी आबादी का एक बड़ा वर्ग सेफ सैक्स को तरजीह देता है. सैक्स अब इंटरकोर्स का माध्यम मात्र नहीं बल्कि सुरक्षित व आनंददाई बन गया है. युवतियां अलर्ट हैं, जागरूक हैं और अपनी सेहत को ले कर सजग भी हैं. सैक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान वे दुनियाभर के उपाय जैसे पिल्स, कंडोम आदि का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं. सिंगल रहने वाली युवतियां अब सैक्स का भी मजा ले रही हैं और फिटनैस भी बरकरार रख रही हैं.
सिंगल सैक्स के फायदे
वर्जनाएं अब टूट रही हैं. पढ़ाई, नौकरी या कामकाज के सिलसिले में युवतियां अपनी जद की सीमाएं लांघ रही हैं. ऐसे में बेरोकटोक वाली एकाकी जिंदगी उन्हें ज्यादा रास आ रही है. माना कि आम भारतीय परिवारों में विवाहपूर्व सैक्स को अभी भी वर्जित समझा जाता है और इसे चोरीछिपे ही अंजाम दिया जाता है, लेकिन यही रोकटोक युवाओं को सैक्स के और अधिक करीब खींच कर ला रही है. वैसे तो सिंगल सैक्स अपनेआप में एक फ्रीडम का एहसास कराता है, पर इस के कुछ फायदे भी हैं जैसे :
– इस से बोल्डनैस का एहसास होता है.
– यह कथित वर्जनाओं को तोड़ने का चरम एहसास कराता है.
माना कि सिंगल सैक्स आप को रियल सैक्सुअल फन दे सकता है, पर अपनी सैक्सुअल प्राइवेसी को ले कर सतर्क भी रहें. सैक्सुअल फ्रीडम की भी लिमिट तय करें तभी आप इस के आनंद के चरम पर पहुंच सकती हैं और इस के बिंदास अंदाज में रंग सकती हैं. सैक्सुअल इंडिपैंडैंसी जहां आप को बेबाक व बोल्ड बनाती है वहीं मोरल पुलिसिंग का शिकार भी इसलिए फन के साथ केयर का भी खयाल रखें.
सिंगल सैक्स के नुकसान
भले ही सिंगल रहने वाली युवतियां सैक्स को ले कर मुखरित हों पर इस के अपने कुछ नुकसान भी हैं:
– मल्टी पार्टनर्स से संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं.
– चीटिंग का खतरा हमेशा बना रहता है.
– लंबे समय तक ऐसी फ्रीडम आप को फिजिकल प्रौब्लम्स भी दे सकती है.