प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट में लड़के और लड़की की कुछ बड़ी बीमारियों की जांच शादी से पहले कराई जाती है ताकि उन की संतान उन बीमारियों की चपेट में न आने पाए. पर क्या भारतीय समाज इसे स्वीकार कर पाएगा?
17 जनवरी, 2001 को जब खूबसूरत हीरोइन टिंव्कल खन्ना और हैंडसम हीरो अक्षय कुमार की शादी हुई थी तब अक्षय कुमार को सपने में भी गुमान नहीं था कि इस शादी से पहले टिंव्कल ने उस के परिवार वालों का मैडिकल चैकअप कराया था.
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टिंव्कल खन्ना का मानना था कि शादी होगी तो बच्चे भी होंगे इसलिए वे देखना और परखना चाहती थीं कि अक्षय कुमार के परिवार में कोई ऐसी बीमारी तो नहीं है जो आगे जा कर उन के बच्चों पर बुरा असर डालेगी.
टिंव्कल खन्ना ने यह सब जो किया था उसे प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट कहते हैं जिस का चलन भारत में अभी ज्यादा नहीं है. हां, बौलीवुड से ऐसी खबरें आती रहती हैं. हाल ही में हीरो अर्जुन कपूर और उन की तथाकथित गर्लफ्रैंड मलाइका अरोड़ा को जब मुंबई के एक प्राइवेट अस्पताल में एकसाथ देखा गया तो ये सुर्खियां बन गईं कि वे दोनों शादी से पहले कराए जाने वाले प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट के लिए वहां पहुंचे थे. ऐसे ही हीरोइन दीपिका पादुकोण और हीरो रणवीर सिंह ने भी अपनी शादी से पहले प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट कराया था.
क्या बला है यह प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट? दरअसल, प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट के जरिए शादी करने वाला जोड़ा यह पता करता है कि उन दोनों में से किसी को भी किसी तरह की कोई जैनेटिक, ब्लड से जुड़ी या इंफैक्शन वाली कोई बीमारी तो नहीं है ताकि होने वाले बच्चे को मातापिता की मौजूदा बीमारियों के खतरे से बचाया जा सके. ऐसा हैल्थ टैस्ट कराना इसलिए भी बेहतर है कि आज दुनियाभर में बच्चों में जैनेटिक और ब्लड से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.
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भारत में चाहे यह सब करना नई बात लगे या अभी सैलिब्रिटी हस्तियों में इस का चलन ही दिखे पर यूरोप समेत कई देशों में तो शादी से पहले प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट कराना अनिवार्य है.
इस मसले पर दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सीनियर कंसल्टैंट डाक्टर अनूप धीर ने बताया, ‘‘शादी से पहले ऐसा कोई हैल्थ टैस्ट कराना लड़के और लड़की का निजी फैसला होता है. उन पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता है. शादी से पहले कुछ जरूरी टैस्ट करा लेने चाहिए. अमूमन शादी से 2 से
3 हफ्ते पहले तक इस तरह के हैल्थ टैस्ट को कराना सही समय माना जाता है.’’
ऐसे टैस्ट कितने तरीके के होते हैं? इस सवाल का जवाब यही है कि प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट के तहत शादी से पहले ये 4 टैस्ट जरूर कराने चाहिए :
एचआईवी और एसटीडी टैस्ट
एचआईवी, हैपेटाइटिस बी, हैपेटाइटिस सी और इस तरह की कई दूसरी बीमारियों के होने से कई बार शादीशुदा जिंदगी में मुश्किलें आ जाती हैं. जांच के बाद अगर पता चलता है कि आप के पार्टनर को ऐसी ही कोई बीमारी है तो समय रहते उचित इलाज कराया जा सकता है. इस के अलावा किसी भी तरह की सैक्स से जुड़ी बीमारी के बारे में भी पहले से जानकारी होना सही रहता है ताकि उस का उचित इलाज हो सके और बांझपन या नपुंसकता व गर्भपात के खतरे को कम किया जा सके.
ब्लड ग्रुप का टैस्ट
ब्लड गु्रप में तालमेल न होने से अनेक समस्याएं आ सकती हैं. जांच कराने से महिला की गर्भावस्था के दौरान उस में या होने वाले बच्चे में किसी भी तरह की समस्या आने को रोका जा सकता है.
फर्टिलिटी टैस्ट
महिला का फर्टिलिटी टैस्ट कराना भी बेहद जरूरी है. फर्टिलिटी के बारे में जितनी जल्दी पता चल जाए उतना अच्छा है, ताकि शादी के बाद किसी भी तरह के गैरजरूरी बायोलौजिकल, साइकोलौजिकल, सोशल और इमोशनल ट्रौमा को रोका जा सके.
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जैनेटिक या दूसरे मैडिकल टैस्ट
इस के तहत डायबिटीज, हाइपरटैंशन, किडनी से जुड़ी बीमारियां, थैलेसीमिया और कुछ तरह के कैंसर के टैस्ट किए जाते हैं, ताकि होने वाले बच्चे में इन बीमारियों के खतरे को कम किया जा सके.
सवाल उठता है कि क्या बड़े लोगों की तरह आम लोगों में भी प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट कराने की संभावना बढ़ रही है या वे इस बात को ले कर कितने जागरूक हैं? इस मुद्दे पर डाइटीशियन नेहा सागर ने बताया, ‘‘अभी तो ज्यादतर लोगों में प्रीमैरिटल हैल्थ टैस्ट को ले कर इतनी जागरूकता नहीं है पर मेरी यह राय है कि इसे करा लेना चाहिए. आज की जीवनशैली ने हमारी बौडी पर बहुत ज्यादा असर डाला है. कहीं से भी कैसा भी पानी पीने या
घर में आरओ सिस्टम लगा न होने के चलते दूषित पानी से हमें लिवर से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. इस से हैपेटाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है.’’
लेकिन हमारे देश में जहां शादी को एक धार्मिक संस्कार माना जाता है वहां किसी का ऐसा फैसला लेना आसान नहीं है. खर्च की बात करें तो इस तरह के टैस्ट कराने की कोई फिक्स्ड फीस नहीं है. सारे टैस्ट कराने में कई हजार रुपए खर्च हो सकते हैं जो हर किसी के बूते की बात नहीं है. और फिर यह भी कोई गारंटी नहीं है कि अगर लड़के या लड़की को कोई गंभीर बीमारी निकल भी आई तो उस का इलाज होने तक दूसरा पार्टनर उस से शादी करने का इंतजार कर ही लेगा.
इस के अलावा परिवार वाले भी अड़चन पैदा कर सकते हैं. उन के मन में शक पैदा हो जाएगा कि जब आज तक किसी तरह की कोई शिकायत नहीं आई है तो शादी से पहले टैस्ट कराने का मकसद क्या है? लड़की वालों को तो इसी बात का डर रहेगा कि टैस्ट कराने के चक्कर में लड़का उस के कुंआरेपन को तो नहीं परख रहा है?
कुंआरेपन को जांचने का टैस्ट होता है या नहीं, लेकिन लड़के या लड़की में सैक्स को ले कर कोई कमी है, तो उस का टैस्ट जरूर कराया जा सकता है. लेकिन वहां लड़के में अपनी मर्दानगी के टैस्ट को ले कर हिचकिचाहट हो सकती है. अगर लड़के और लड़की की लव मैरिज है और उन में शादी से पहले सैक्स हो चुका है तो उन में यह मानसिक तनाव भी हो सकता है कि क्या उस के पार्टनर को उस में कोई कमी दिखाई देती है या वह सैक्स करने में पूरी तरह से काबिल ही नहीं है?
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विज्ञान और सेहत के नजरिए से देखा जाए तो शादी से पहले ऐसे हैल्थ टैस्ट लड़के और लड़की की आने वाली जिंदगी को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकते हैं पर अभी तो भारत जैसे देश में ये शक और हिचकिचाहट से भरे महंगे सौदे ही लग रहे हैं.