महाराष्ट्र के 45 साला किसान आनंदा कृष्णा पाटिल कोल्हापुर जिले की आजरा तहसील के तहत आने वाले गांव कोलिंद्रे के बाशिंदे हैं. उन्हें अपने खेत से कितनी पैदावार मिलेगी, इस का लेखाजोखा वे नहीं रखते. वे इस बात में ज्यादा यकीन रखते हैं कि मेहनत से काम किया जाए, तो फल जरूर मिलेगा. यही खूबी उन्हें एक प्रगतिशील किसान के रूप में पहचान दिलाती है. 2 बेटों के पिता आनंदा पाटिल 10वीं जमात पास हैं. उन का एक बेटा मुंबई में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है, जबकि दूसरा बेटा कोल्हापुर में ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. कुछ साल पहले आनंदा पाटिल खुद भी मुंबई में किसी प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम कर चुके हैं. लेकिन
उस काम में उन का कभी मन नहीं लगा, तब उन्होंने गांव जा कर पुश्तैनी खेती संभालने का फैसला किया. गांव आ कर उन्होंने अपने पिता की पुश्तैनी खेती संभाली, लेकिन असमय बरसात होने की वजह से उन्हें खेती में मनचाही पैदावार नहीं मिल पा रही थी. तब उन्होंने गांव के लोगों के साथ मिल कर ‘दत्त कालोनी गन्ना कटाई’ नामक संगठन बनाया. इस संगठन के बन जाने के बाद उन्होंने मौसमी गन्ना कटाई के काम की शुरुआत की. अपने कम क्षेत्रफल के खेत में ज्यादा से ज्यादा अच्छी फसल कैसे हो, इसी बात का उन्होंने ध्यान रखा. वैसे उन का इलाका बहुत ही पिछड़ा और झाड़झंखाड़ वाला है. वहां की खेती आमतौर पर बरसात के पानी पर ही निर्भर है. वहां गन्ना, चावल, ज्वार, तुअर, मक्का, अरहर, मटर वगैरह की खेती की जाती है. इस साल महाराष्ट्र में चारों ओर अकाल के आसार नजर आ रहे हैं.
इस के बावजूद बदलते समय के मुताबिक खेती में बड़े पैमाने पर नई तकनीक का इस्तेमाल कर के अच्छी खेती की जा सकती है. ऐसे में उन्होंने अपने पिता की देखरेख और पत्नी अर्चना की मदद से अपने पड़ोसी किसान नारायण कांबले के बोरवेल से पानी ले कर 92005 किस्म के गन्ने की फसल उगाई. इस फसल के लिए कम पानी का इस्तेमाल किया गया और किसी भी केमिकल खाद का इस्तेमाल नहीं किया गया. केवल गोबर की खाद ही इस्तेमाल की गई. आनंदा ने अपनी मेहनत के बल पर 38 बिस्वा जमीन में 65 टन गन्ने की फसल उगा कर 1 साल में पौने 2 लाख रुपए की कमाई की. साल 2015-16 में ‘गन्ना विकास विभाग’ की ओर से होने वाली ‘गन्ना विकास प्रतियोगिता’ में वे तीसरे नंबर पर रहे. इस के लिए उन्हें पुरस्कार, स्मृति चिन्ह और प्रमाणपत्र दे कर सम्मानित किया गया.
आनंदा पाटिल कहते?हैं, ‘आज की नौजवान पीढ़ी खेती पर ज्यादा ध्यान दे कर अच्छी फसल पा सकती?है. नौजवानों को खेती के नएनए प्रयोगों की जानकारी लेनी चाहिए. ‘लोग क्या कहेंगे’, ‘मुझ से भूल हो गई तो क्या होगा’ वगैरह बातों का डर वे मन से निकाल दें. वे अपने हाथों में खेती का सूत्र लें और बाजार पर कब्जा करें. छोटेबड़े उद्योग शुरू करें. मन में किसी भी तरह का संकोच न रखें. बिना निराश हुए खेती करने से हमें उस का फायदा तो मिलेगा ही, साथ ही हम एक बेहतर जिंदगी जी सकेंगे.