हर कोई जीवन में कभी न कभी वित्तीय मुश्किल से गुजरता है और हर बार वह अपने स्रोतों के बल पर इस मुश्किल को पार नहीं कर पाता. ऐसे ही समय में आप को बैंक व दूसरे वित्तीय संस्थानों के पास जा कर कर्ज और क्रैडिट कार्ड के लिए आवेदन करना पड़ता है.
कर्ज मांगने या उस के लिए आवेदन करने और कर्ज मिलने के कुछ नियम होते हैं और फिर उस कर्ज को वापस करना भी होता है. कर्जअदायगी कैसे होगी, इस की शर्तें होती हैं. यहां हम एक क्रैडिट मार्गदर्शिका पेश कर रहे हैं ताकि आप आसानी से क्रैडिट के बारे में जान सकें.
अकाउंट्स औफ क्रैडिट
आप का क्रैडिट अकाउंट आप के बैंक खाते से अलग है. यह अकाउंट तब सक्रिय होता है जब आप लाइन औफ क्रैडिट प्राप्त करते हैं जो क्रैडिट कार्ड या कर्ज हो सकता है. इन खातों में आप की क्रैडिट हिस्ट्री होती है और सिबिल व इक्विफैक्स जैसे क्रैडिट ब्यूरो इन का लेखाजोखा रखते हैं.
फायदे
क्रैडिट का मतलब कर्जअदायगी और दबाव नहीं है, इस में फायदे भी हैं. होम लोन और शिक्षा ऋण लेने से दिए गए ब्याज पर कर में छूट मिलती है जिसे आयकर रिटर्न दाखिल करते हुए क्लेम किया जा सकता है.
कई अनदेखे लाभ भी होते हैं, जैसे क्रैडिट स्कोर में सुधार. जब आप क्रैडिट कार्ड देनदारी का लगातार भुगतान करते हैं तो आप का क्रैडिट स्कोर बेहतर होता है.
क्रैडिट स्कोर
ऋण देने की प्रक्रिया के केंद्र में आप का क्रैडिट स्कोर होता है, जो आप की क्रैडिट हिस्ट्री को अंकों में दर्शाता है. बैंक और अन्य कर्जदाता जो आंकड़े देते हैं, उन के आधार पर भारत में 4 क्रैडिट ब्यूरो आप की क्रैडिट हिस्ट्री का लेखाजोखा रखते हैं. आप का क्रैडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है और 700 से ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है. भारत के 4 क्रैडिट ब्यूरो में से किसी से भी आप अपना क्रैडिट स्कोर जान सकते हैं. ये हैं- सिबिल, इक्विफैक्स, ऐक्सपेरियन और हाईमार्क.
अगर आप क्रैडिट की दुनिया में नए हैं तो शायद अभी आप का कोई क्रैडिट स्कोर नहीं होगा और इसलिए इसे बनाने के लिए आप को काम करना होगा.
देरी से भुगतान
कर्ज पाने की उम्मीद का आधार है कर्ज चुका सकने की क्षमता. मासिक भुगतान में हुई देरी सीधेतौर पर कर्ज पाने हेतु विश्वसनीयता पर दुष्प्रभाव डालेगी. इस स्थिति में कोई भी खुद को नहीं आने देना चाहेगा. हमेशा समय पर भुगतान करें और पूरा भुगतान करें.
ईएमआई
ये 3 अक्षर ऐसे हैं जिन्हें कोई नहीं भूल सकता. इन का मतलब है इक्विटेड मंथली इंस्टौलमैंट यानी वे मासिक रकम जो आप अपने कर्जदाता को चुकाते हैं. ईएमआई में मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होते हैं.
फीस
कर्ज पाने की प्रक्रिया में कुछ शुल्क भी होते हैं जिन में शामिल हैं –
प्रोसैसिंग फीस : यह वह फीस है जो बैंक आप से आप का लोन प्रोसैस करने के लिए लेता है. यह कर्ज देने के वक्त लिया जा सकता है.
फोरक्लोजर फीस : यह वह फीस है जो बैंक तब आप से लेता है जब आप वक्त से पहले कर्ज चुका देते हैं.
गारंटर
यदि किसी आवेदक की क्रैडिट हिस्ट्री नहीं होती तो कर्जदाता उस से गारंटर या सहउधारकर्ता लाने को कहता है. ऐसे में एक ऐसा गारंटर ले कर आएं जिस का लगातार भुगतान करने का रिकौर्ड हो और जिसे कर्जदाता ऋण लेने योग्य मानते हों. याद रखें कि अगर आप अपना कर्ज नहीं चुकाते हैं तो इस का असर आप के गारंटर पर पड़ेगा.
ब्याजदर
ब्याजदर वह रकम है जिस का उपयोग आप बैंक से लिए कर्ज को चुकाने में करेंगे और यह 2 तरह का होता है :
फिक्स्ड रेट : यह वह दर है जो कर्ज की पूरी अवधि में एकसमान रहती है, बदलती नहीं.
फ्लोटिंग रेट : बाजार के अनुसार यह ब्याजदर हर माह बदलेगी. उदाहरण के लिए आरबीआई रेपो रेट को घटा देता है तो ब्याजदर कम हो जाएगी और अगर मुद्रास्फीति के चलते आरबीआई रेपो रेट को बढ़ा देता है तो ब्याजदर भी बढ़ जाएगी.
अपने ग्राहक को जानिए
आरबीआई के दिशानिर्देशों के मुताबिक, कर्जदाता ग्राहकों के बारे में जानकारी एकत्रित करते हैं जिसे केवाईसी यानी नो योर कस्टमर कहते हैं. इस में पहचान का सुबूत और पते का सुबूत शामिल होते हैं. इस नीति के तहत मांगे जाने वाले दस्तावेजों में कुछ बदलाव संभव है, जो कि कर्जदाता की आंतरिक नीतियों और कर्ज के प्रकार के मुताबिक अलग हो सकते हैं.
ऋण के लिए पात्रता
आप ऋण लेने के लिए पात्रता रखते हैं या नहीं, यह कई कारकों पर निर्भर है. कर्जदाता आप के कर्ज की रकम और ब्याजदर को तय करेगा. कर्ज लेने की पात्रता कई कारकों पर आधारित है, जैसे उम्र, आय और जैसा कि पहले बताया गया आप का क्रैडिट स्कोर.
इस क्षेत्र में एक नए व्यक्ति होने की वजह से संभव है कि आप को बाजार में उपलब्ध सब से अच्छे लोन और क्रैडिट कार्ड न मिलें, क्योंकि आप के पीछे आप की क्रैडिट हिस्ट्री नहीं है.
नो हिस्ट्री
जिस व्यक्ति ने कभी कर्ज न लिया हो उस की क्रैडिट रिपोर्ट में स्टेटस होगा, नो हिस्ट्री. ऐसे में कर्जदाताओं के पास कोई दर्ज की हुई क्रैडिट गतिविधि नहीं होती. इस से उन्हें कर्ज देने संबंधी फैसला करने में कठिनाई होती है. इसलिए, आप को अपना क्रैडिट स्कोर बेहतर बनाना होगा और अपनी क्रैडिट हिस्ट्री का निर्माण करना होगा.
जुर्माना
यह वह रकम है जो आप को तब देनी होती है जब आप कोई भुगतान नहीं करते हैं. कर्ज के लिए दस्तखत करने से पहले जुर्माने के बारे में जान लें. भुगतान से चूकने का मतलब है कि आप को जितना चुकाना था, अब आप को उस से अधिक चुकाना होगा और इस से आप की कर्ज संबंधी विश्वसनीयता पर बुरा असर पड़ेगा.
कर्ज अदायगी की अवधि
कर्ज देते वक्त तय हो जाता है कि आप अपनी आखिरी ईएमआई कब चुकाएंगे. इसलिए आप वह अवधि चुनें जिस में आप आराम से कर्ज चुका सकें और उसी हिसाब से अपने रिपेमैंट शैड्यूल की योजना बनाएं. इस से आप की कर्जअदायगी में अनुशासन आएगा.
आखिर में
ऋण लेने के साथ ही जिम्मेदारी आती है और उपरोक्त जानकारी केवल शब्दावली नहीं है, बल्कि एक चैकलिस्ट है जिसे आप कर्ज लेने की प्रक्रिया में ध्यान में रखें. हम समझते हैं कि यह आप का पहला बड़ा वित्तीय फैसला होगा. आप चाहे पढ़ाई के लिए ऋण ले रहे हों या अपना पहला अपार्टमैंट खरीद रहे हों या अपनी मासिक जरूरतों के लिए क्रैडिट कार्ड बनवा रहे हों, कर्ज लेने का फैसला आत्मविश्वास के साथ लें और फिर लगातार वक्त पर कर्ज की अदायगी करते रहें.