ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में अगस्त महीने में शुरू होने वाले ओलिंपिक खेलों की लगभग पूरी तैयारियां हो चुकी हैं और अब महज कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. लेकिन अब सब से बड़ी चिंता जीका वायरस को ले कर है. 150 अंतर्राष्ट्रीय डाक्टरों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने डब्लूएचओ को पत्र लिखा है कि हमारी बड़ी चिंता वैश्विक स्वास्थ्य को ले कर है. जीका वायरस ने स्वास्थ्य को ऐसा नुकसान पहुंचाया है कि जिसे विज्ञान ने पहले कभी नहीं देखा है. इसलिए उन्होंने रियो आलिंपिक को कहीं और करवाने की मांग की है. कुछ वर्ष पहले स्वाइन फ्लू और इबोला से परेशान थे, अब जीका कई देशों के लिए खतरा बन चुका है. कई देशों में डर इतना है कि वे अपने नागरिकों को बच्चे पैदा न करने की सलाह दे रहे हैं. अभी तक इस वायरस से लड़ने के लिए कोई भी वैक्सीन नहीं है.

जीका वायरस दरअसल एक मच्छर के संक्रमण से फैलने वाला रोग है. इस में यदि कोई महिला जीका वायरस से ग्रसित बच्चे को जन्म देती है तो एक तरह से बच्चा लकवाग्रस्त हो सकता है. इस वायरस से ग्रसित बच्चे छोटे सिर के साथ पैदा होते हैं. ब्राजील में गत वर्ष तकरीबन 4,000 बच्चे इस की चपेट में आ चुके हैं. यह शिशुओं के दिमाग पर अटैक करता है. चिकित्सा विशेषज्ञों की सब से बड़ी चिंता यही है क्योंकि ब्राजील के जीका संकट से सब से ज्यादा प्रभावित शहर रियो है. और दुनियाभर के देशों से खेलों को देखने के लिए तकरीबन 5 लाख विदेशी पर्यटक यहां आएंगे, कहीं ऐसा न हो कि वे इस वायरस की चपेट में आ जाएं.

हालांकि डब्लूएचओ ने इस मांग को नकार दिया और कहा है कि इस से डरने की जरूरत नहीं. स्वास्थ्य को ले कर जो नियम बनाए गए हैं उन्हें केवल फौलो करें. गर्भवती महिलाएं जीका के संक्रमण वाली जगहों में न जाएं. चाहे देश हो या विदेश, प्रशासनिक लेवल पर सब एकजैसे हैं. जीका वायरस कोई नया नहीं है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को यह सोचना चाहिए कि इस चिंता से कैसे पार पाया जाए. अब जब सबकुछ हो चुका है तब चिंता जाहिर की जा रही है जैसा कि देश में आईपीएल के दौरान सूखे की स्थिति को ले कर हुआ और कुछ मैच महाराष्ट्र से बाहर कराए गए. चिंता वहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की है. चिंता तो इस बात की होनी चाहिए कि रियो के स्थानीय निवासियों को पहले इस से कैसे बचाया जाए. उन पर क्या बीतती होगी जो वहां रह रहे हैं. रियो के आयोजनकर्ताओं को जीका वायरस को ले कर पहले ही कदम उठाना चाहिए था ताकि स्थानीय लोगों के साथसाथ वहां आने वाले पर्यटक भी सुरक्षित रहते.

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