बम चाहे कोई भी हो, वह सिर्फ तबाही ही मचाता है. हाइड्रोजन बम को मानवनिर्मित भूकंप कहना ज्यादा उचित होगा, क्योंकि इस के फटने से भूकंप आ सकता है जैसा कि अभी हाल ही में उत्तर कोरिया में हुए हाइड्रोजन बम परीक्षण से वहां भूकंप का झटका महसूस किया गया था. ताकत चाहे सत्ता की हो या फिर उपाधि की, इस का नशा बरबादी का कारण ही बनता है. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने भी जैसे दुनिया को तबाह करने की ठान ली है. कहने को तो वे उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता हैं, लेकिन उन की हरकतें किसी तानाशाह से कम नहीं.

दरअसल, उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपनी विस्फोटक सोच से भारत सहित पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. 8 जनवरी को किम जोंग उन का 33वां जन्मदिन था. अपने जन्मदिन से 2 दिन पहले उन्होंने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया. इस बम को थर्मल परमाणु बम भी कहा जाता है. उत्तर कोरिया ने अपनी न्यूक्लियर टैस्ट साइट से हाइड्रोजन बम की कामयाब टैस्टिंग का दावा भी किया. इस परीक्षण के बाद हाइड्रोजन बम की टैस्टिंग साइट से 48 किलोमीटर के दायरे में रेक्टर स्केल पर 5.1 तीव्रता का भूकंप भी आ गया. हाइड्रोजन बम, परमाणु बम की तुलना में 1 हजार गुना ज्यादा ताकतवर, लेकिन आकार में छोटा होता है और इसे मिसाइल में आसानी से फिट किया जा सकता है. इस बम का एक विस्फोट कई शहर तबाह करने की ताकत रखता है. अभी तक किसी भी युद्ध में हाइड्रोजन बम का इस्तेमाल नहीं किया गया है. पहले विश्वयुद्ध में तोप और गोलों का इस्तेमाल किया गया था. दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिराए गए थे. अगर दुनिया में तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो उस में हाइड्रोजन बम के इस्तेमाल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

हाइड्रोजन बम की शक्ति

हाइड्रोजन बम शक्तिशाली परमाणु बम है. इस में हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम और ट्राइटीरियम की आवश्यकता पड़ती है. परमाणुओं के संलयन करने से बम का विस्फोट होता है. इस संलयन के लिए बड़े ऊंचे ताप लगभग 500,00,000० सेल्सियस की आवश्यकता पड़ती है. यह ताप सूर्य के ऊष्णतम भाग के ताप से बहुत ज्यादा है. परमाणु बम द्वारा ही इतना ज्यादा ताप प्राप्त किया जा सकता है. जब परमाणु बम आवश्यक ताप उत्पन्न करता है तभी हाइड्रोजन परमाणु संलयित होते हैं. इस संलयन से ऊष्मा और शक्तिशाली किरणें उत्पन्न होती हैं जो हाइड्रोजन को हीलियम में बदल देती हैं.

1922 में पहलेपहल पता चला था कि हाइड्रोजन परमाणु के विस्फोट से बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है. 1932 में ड्यूटीरियम और 1934 में ट्राइटीरियम नामक भारी हाइड्रोजन का आविष्कार हुआ. 1950 में संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रु मैन ने हाइड्रोजन बम तैयार करने का आदेश दिया था. इस के लिए 1951 में साउथ कैरोलिना में एक बड़े कारखाने की स्थापना हुई. 1953 में राष्ट्रपति आइजेनहाबर ने घोषणा की थी कि उन का हाइड्रोजन बम तैयार हो गया है. इस के बाद 1955 में सोवियत संघ ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया. फिर चीन और फ्रांस ने भी इस का परीक्षण किया.

एक बड़ी भूल

अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध के आखिरी दिनों में जापान पर एटम बम गिराया था. तब हिरोशिमा में 0.01 मेगाटन और नागासाकी में 0.02 मेगाटन ऊर्जा पैदा हुई थी. इस से तापमान 4 हजार डिग्री सेल्सियस पार कर गया और अकेले हिरोशिमा में ही 2 लाख लोग मारे गए थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाइड्रोजन बम एटम बम से 1 हजार गुना ज्यादा ताकतवर होता है. एक लड़ाकू विमान ने 4 हाइड्रोजन बम गिरा दिए थे. वह तो अच्छा हुआ कि एक भी हाइड्रोजन बम फटा नहीं वरना सर्वनाश निश्चित था. हाइड्रोजन बम का पहला परीक्षण अमेरिका ने 1952 में किया था, तब से दुनिया में कई बार यह सवाल उठाया जा चुका है कि आखिर ऐसे जनसंहारक हथियार रखने की जरूरत ही क्या है. अगर गलती से भी हाइड्रोजन बम फट गया तो क्या होगा?

एक बार अमेरिकन बी52 लड़ाकू विमान से एक बहुत बड़ी भूल हो गई. इस लड़ाकू विमान पर तैनात चारों हाइड्रोजन बम बड़ी तेजी से जमीन की तरफ गिरने लगे. सिर्फ 2 मिनट में सारी दुनिया तबाही का वह नजारा देखती जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा था. एक झटके में ही पूरे देश का नामोनिशान मिट जाता. लाखों लोग हजारों सेंटीग्रेट तापमान में भाप बन कर उड़ जाते. यह हादसा ठीक 50 साल पहले सोमवार को यानी 17 जनवरी, 1966 को पलोमारेस, स्पेन का है. उस हादसे को याद कर दुनिया आज भी कांप जाती है, उस दिन स्पेन ही नहीं पूरा यूरोप ही तबाह हो जाता.

कैसे हुआ हादसा

दरअसल, वह शीतयुद्ध का दौर था. सोवियत रूस के किसी भी संभावित परमाणु हमले से बचने के लिए अमेरिकी वायुसेना के विमान एटम बम और हाइड्रोजन बम से लैस हो कर 24 घंटे अमेरिका से यूरोप तक गश्त लगा कर लौट आते थे. इसे औपरेशन क्रोम डोम कहा जाता था. 16 जनवरी, 1966 को भी अमेरिका के उत्तरी करोलीना के एयरबेस से बी52 विमान उड़ा. यूरोप पहुंचने के बाद उसे स्पेन के आसमान में केसी135 स्ट्राटोटैंकर विमान से 31 हजार फुट ऊपर हवा में ही ईंधन भरना था. 500 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से बमवर्षक और टैंकर विमान एकदूसरे के करीब आए. टैंकर विमान से निकली नली को तेल भरने के लिए बी52 से जुड़ना था. लेकिन ठीक से तालमेल नहीं बैठ पाया. फिर वही हुआ जिस की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. दोनों ही विमान जबरदस्त धमाके के बाद हवा में ही आग के गोले में बदल गए. जलते हुए बी52 बमवर्षक के साथ चारों हाइड्रोजन बम भी तेजी से जमीन पर गिरे, लेकिन वे फटे नहीं वरना धरती पर हाइड्रोजन बम का पहला हमला दुनिया देख लेती.

स्पेन में बी52 विमान से जो हाइड्रोजन बम गिरा था वह था बी28 हाइड्रोजन बम. बी28 बहुत ही ताकतवर हाइड्रोजन बम है, जिस से होने वाली तबाही हिरोशिमा और नागासाकी से भी कई गुना ज्यादा विनाशकारी होती. लेकिन ऐसा हुआ नहीं, दरअसल, विमान से नीचे गिरे चारों हाइड्रोजन बमों में से एक सूखी नदी के तट पर गिरा, दूसरा भूमध्य सागर में, तीसरा जमीन में जा धंसा और चौथे के जमीन से टकराने से जबरदस्त धमाका हुआ. उस दिन फ्लोमारेस के लोग बच गए थे. आखिर तेज रफ्तार से जमीन से टकराने के बावजूद हाइड्रोजन बम क्यों नहीं फटे? यह प्रश्न अभी भी सभी के सामने था. हादसे की जांच होने के बाद इस की वजह पता चली कि अमेरिकी बमवर्षक विमान पलटवार के मिशन पर जरूर था, लेकिन चालक दल ने हाइड्रोजन बम का इलैक्ट्रिक सर्किट औन नहीं किया था, फिर जो 2 धमाके हुए वे क्या थे?

दरअसल, हाइड्रोजन बम एक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस है, जिस में हमारे सूरज की तरह फ्यूजन रिऐक्शन से भयंकर ऊर्जा निकलती है. इस फ्यूजन रिऐक्शन को शुरू करने के लिए 5 करोड़ सेंटीग्रेट तापमान की जरूरत होती है, जिसे फिशन डिवाइस से पैदा किया जाता है जिसे आमतौर पर छोटे एटम बम से करते हैं. एटम बम में फिशन रिऐक्शन शुरू कराने के लिए ऊंची क्वालिटी का विस्फोटक इस्तेमाल किया जाता है. स्पेन में गिरे 2 बी28 हाइड्रोजन बमों से भी साधारण विस्फोटक का धमाका हुआ. बेशक, यह एटमी धमाका नहीं था लेकिन इस धमाके से पूरा शहर 3 किलोग्राम प्लूटोनियम-239 से प्रदूषित हो गया. प्लूटोनियम-239 से रेडियोऐक्टिव विकिरण फैल गया. शहर के 500 एकड़ के इलाके में विकिरण का प्रभाव फौरन महसूस किया गया.

सनकी तानाशाह

हाइड्रोजन बम के खतरे को जानते हुए भी उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने इस का परीक्षण किया. अगर किसी भी देश का भविष्य और वर्तमान किसी सनकी तानाशाह के हाथ में हो तो फिर वह देश हमेशा तड़पता ही रहता है. ऐसा ही कुछ उत्तर कोरिया के साथ हो रहा है, जहां किम जोंग उन अपनी सनक के कारण न सिर्फ मानवता को तबाह करने वाले टैस्ट कर रहे हैं बल्कि अपने ही लोगों की हत्या भी करवा रहे हैं. आप को यह जान कर हैरानी होगी कि पिछले वर्ष उत्तर कोरिया के तानाशाह किम ने अपने रक्षामंत्री को 260 हजार फुट की रेंज वाली ऐंटी एयरक्राफ्ट गन से सिर्फ 100 फुट दूर खड़ा कर के गोलियों से भुनवा दिया था. उस रक्षामंत्री की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह किम जोंग की मौजूदगी में एक सैन्य कार्यक्रम के दौरान सो गया था. यह देख कर किम जोंग उन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और अपने आदेशों की अनदेखी के आरोप में उन्होंने अपने रक्षामंत्री को मौत की सजा सुना दी.

2011 में सत्ता संभालने के बाद से किम जोंग उन अपने राजनीतिक विरोधियों और सत्ता को चुनौती देने वाले करीब 70 से ज्यादा नेताओं और अधिकारियों को मौत के घाट उतार चुके हैं. वैसे किम जोंग जैसे तानाशाह के हाथ में उत्तर कोरिया की सत्ता होना वहां के लोगों के लिए एक सजा की तरह है. अब उन्होंने सारी दुनिया को हाइड्रोजन बम के खतरे के साए में ला खड़ा किया है.                                           

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