पिछले एक दशक से भी अधिक समय से बौलीवुड में खान कलाकारों की तिकड़ी का दबदबा बना हुआ था. मगर 2018 में आमिर खान (फिल्म ‘‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’’), सलमान खान (फिल्म ‘‘रेस 3’’) और शाहरुख खान (फिल्म ‘‘जीरो’’) की तिकड़ी एक साथ बाक्स आफिस पर बुरी तरह से मात खा गयी. जबकि इन तीनों खान कलाकारों से कई गुना अधिक नवोदित व युवा कलाकारों की फिल्मों ने बाक्स आफिस पर कमाकर नए रिकार्ड बना डाले.
स्टारडम के मद में चूर खान कलाकारों की यह तिकड़ी शायद इस बात को भूल गई कि स्टारडम पाने के संघर्ष से कहीं ज्यादा बड़ा संघर्ष उसे बरकरार रखने का होता है और स्टारडम पाने के बाद उसे सहेज कर रखने के लिए ज्यादा समझदारी से कदम उठाना चाहिए. पीआर का काम होता है कि वह कलाकार के स्टारडम को बढ़ाने के उपाय करे न कि ऐसा काम करे जिससे कलाकार की स्टारडम पर ही सवालिया निशान लगने शुरू हो जाएं. पर शायद इन खान कलाकारों के पास इन सब बातों पर विचार करने लिए समय का घोर अभाव है. यह महज संयोग ही कहा जाएगा कि पहली बार इस वर्ष इन तीनों खान कलाकारों का निजी और इनकी प्रदर्शित फिल्मों का प्रचार एक ही पीआर कंपनी कर रही थी.
खान कलाकारों की इस तिकडी को राज कुमार राव, पंकज त्रिपाठी, विक्की कौशल, आयुष्मान खुराना जैसे कलाकारों की तरफ से जबरदस्त टक्कर मिली. इनकी फिल्में न सिर्फ बाक्स आफिस पर सफल हुईं, बल्कि सौ करोड़ क्लब का भी हिस्सा बनी. इन कलाकारों ने साबित कर दिखाया कि अब खान कलाकारों को भी खुद को बदलने की जरुरत है. अब परंपरागत मुंबईया मसाला फिल्मों या फिल्मों में महज सपने बेचने की बजाय कुछ यथार्थपरक विषयों वाली फिल्में करनी होंगी. अब दर्शक को यर्थाथवाद का आकर्षण चाहिए न कि महज शगूफेबाजी.
मगर अफसोस की बात यह रही कि खान कलाकारों की तिकड़ी गत वर्ष व अपनी पिछली असफलताओं से सबक सीखने के बजाय पुराने ढर्रे पर काम करते रहे और सोशल मीडिया के नकली जुमलों को सच मानकर खुद को स्टार कलाकार मानने की भूल कर बैठे. इन कलाकारों को यह समझ लेना चाहिए कि सोशल मीडिया उनके स्टारडम को नुकसान पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहा है. इतना ही नही इनकी पीआर टीम भी इन्हे महज सोशल मीडिया का झांसा देकर गलत पाठ पढ़ा रही है. इन खान कलाकारों को याद रखना चाहिए कि समय के साथ समाज व सिनेमा में बहुत कुछ बदला है. इस बदलाव को समझकर चौथे खान कलाकार यानी कि अभिनेता सैफ अली खान ने ‘‘बाजार’’ जैसी यथार्थपरक फिल्म की और सफलता बटोरने में कामयाब रहे.
गत वर्ष से सबक सीखकर जिन फिल्मकारों व कलाकारों ने 2018 में फिल्म के कंटेट, कहानी व पटकथा पर खास ध्यान दिया, उनकी फिल्में सफल रहीं. फिर चाहे वह ‘राजी’ हो या ‘बधाई हो’ हो या ‘बागी 2’ हो या ‘बाजार’ हो. अभी भी बौलीवुड को क्षेत्रीय सिनेमा की फिल्मों से सीखने की जरुरत है. क्षेत्रीय सिनेमा के फिल्मकार एस एस राजामौली ने ‘बाहुबली’ को हिंदी में डब करके प्रदर्शित कर दूसरी क्षेत्रीय फिल्मों के लिए बौलीवुड में जगह पैदा की. जिसका फायदा कन्नड़ के सुपर स्टार यश ने अपनी फिल्म ‘केजीएफ’ को हिंदी में डब करके प्रदर्शित कर शाहरुख खान की फिल्म ‘जीरो’ को जबरदस्त टक्कर दी.
कहां चूके सलमान खान?
2018 में सबसे पहले 15 जून 2018 को रेमो डिसूजा निर्देर्शित फिल्म ‘‘रेस 3’’ प्रदर्शित हुई, जो कि बाक्स आफिस पर सफलता के झंडे नहीं गाड़ सकी. इससे पहले 2017 में सलमान खान की फिल्म ‘‘ट्यूबलाइट’’ बुरी तरह मात खा चुकी थी. फिल्म ‘‘रेस 3’’ में सलमान खान ने अपने कई दोस्त कलाकारों का जमावड़ा किया था, मगर वह इस फिल्म की पटकथा पर ध्यान नहीं दे पाए. जबकि लेखक ने इस फिल्म की पटकथा आधे मन से अति घटिया व तर्कविहीन लिखी थी. लेखक ने फिल्म में किसी भी किरदार को सही ढंग से चित्रित नहीं किया.
उस पर निर्देशक ने भी सब कुछ सलमान खान के भरोसे छोड़कर फिल्म को फिल्मा कर दर्शकों के सामने रख दिया. परिणामतः इसे डूबने से सलमान खान के समर्पित प्रशंसक और ‘ईद’ का अवसर भी न बचा पाया. फिल्म ‘‘रेस 3’’ को सिर्फ बाक्स आफिस पर ही नुकसान नहीं हुआ, बल्कि इससे सलमान खान की अपनी इमेज को भी धक्का लगा. पूरे विश्व में सर्वाधिक खराब फिल्मों की सूची में ‘रेस 3’ को रखा जा रहा है. ‘रेस 3’ के असफल होने के बाद सलमान खान के प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलायी कि अब उन्हें सलमान खान की फिल्म ‘दबंग 3’ नहीं देखनी है.
सलमान खान ने अपनी असफलताओं से कोई सबक नहीं सीखा और वही पुराने ढर्रे की बड़े बजट की फिल्में खुद भी करते रहे और अपने बहनोई आयुष शर्मा को हीरो लेकर भी उन्होंने ‘लव यात्री’ नामक मसाला फिल्म बनाकर उसके करियर के शुरू होने से पहले ही उस पर विराम लगा दिया.
जबकि नेपोटिज्म की चर्चाओं के बीच सैफ अली खान व अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान फिल्म ‘‘केदारनाथ’’ से अपनी बेहतरीन उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहीं. यदि फिल्मकार ने इस फिल्म को यथार्थ तक सीमित रखा होता, तो यह फिल्म सफलता के नए रिकार्ड बना सकती थी.
शाहरुख खान की गलती
2014 में प्रदर्शित सफलतम फिल्म ‘‘हैप्पी न्यू ईयर’’ के बाद शाहरुख खान की ‘दिलवाले’, ‘फैन’, ‘रईस’, ‘जब हैरी मेट सैजल’ के बाद ‘जीरो’ पांचवी लगातार असफल होने वाली फिल्म है. जबकि ‘‘जीरो’’ से शाहरुख खान के साथ साथ फिल्म के निर्देशक आनंद एल राय को भी काफी उम्मीदें थीं. फिल्म ‘जीरो’ की असफलता के लिए शाहरुख खान ही पूरी तरह से दोषी माने जा रहे हैं. लोग सवाल कर रहे हैं कि उन्होंने एक गलत कहानी व पटकथा क्यों चुनी? बौलीवुड में शाहरुख खान की इस असफलता से गैर फिल्मी परिवारों से आने वाली प्रतिभाएं भी निराश हुई हैं.
अब तक गैर फिल्मी परिवार से आने वाली प्रतिभाएं शाहरुख खान की सफलता को अपना आदर्श मानकर सफलता पाने के लिए कठिन संघर्ष करती रही हैं. लेकिन 2018 में ऐसी प्रतिभाओं के सपनों पर भी कुठाराघात हुआ है. शायद इस बात को शाहरुख खान न समझ पाएं.
दो सौ करोड़ के बजट की फिल्म ‘‘जीरो’’ में शाहरुख खान के साथ कटरीना कैफ व अनुष्का शर्मा की मुख्य भूमिका रही. मगर फिल्म को साल की सबसे बड़ी सफल फिल्म बनाने के लिए मेहमान कलाकार के तौर पर इस फिल्म में सलमान खान, स्व. श्री देवी, जूही चावला, करिश्मा कपूर सहित कई दूसरे दिग्गज कलाकारों को भी जोड़ा गया. इसके बावजूद यह फिल्म अब तक सौ करोड़ भी बाक्स आफिस पर नहीं इकट्ठा कर सकी. नौवें दिन तक यह फिल्म लगभग 86 करोड़ ही इकट्ठा कर सकी.
आमिर खान ने किया निराश
बौलीवुड में आमिर खान के फिल्म की कहानी व पटकथा को चुनने की सदैव चर्चा हुआ करती थी, मगर अति फूहड़ फिल्म ‘‘ठग्स आफ हिंदोस्तान’’ की असफलता ने आमिर खान के इस कौशल पर सवलिया निशान लगाते हुए उन्हे भी असफल कलाकार बना दिया. इतना ही बौलीवुड में अब तक सफलता को लेकर आमिर खान को ही सबसे अधिक भरोसेमंद कलाकार माना जा रहा था, पर अब लोगों का उन पर से भी भरोसा उठ गया. बाक्स आफिस पर फिल्म ‘‘ठग्स आफ हिंदोस्तान’’ के बुरी तरह से मात खाने के बाद आमिर खान अंदर तक हिल गए. उन्होंने कुछ समय के लिए अभिनय से सन्यास लेने का ऐलान करने के अलावा दर्शकों व अपने प्रशंसकों से माफी भी मांगी.
चौराहे पर बौलीवुड
खान की तिकड़ी के साथ ही कई दिग्गज कलाकारों की फिल्में भी इस वर्ष असफल हुई हैं, इससे 2018 की समाप्ति पर बौलीवुड ऐसे चौराहे पर खड़ा हुआ नजर आ रहा है, जहां उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि 2019 में उनकी नैय्या कैसे पार होगी? अन्यथा अब तक बौलीवुड का हर बड़ा फिल्मकार बड़ी आसानी से इन खान कलाकारों या दूसरे दिग्गज यानी कि ‘ए’ श्रेणी के कलाकारों पर पैसा लगाकर बेहिचक फिल्में बनाता रहा है.