उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव हर दल के लिये कड़ी चुनौती बन गये हैं. हर दल अपने विधायकों की क्रास वोटिंग को संभालने में जुट गया है. इसके लिये हर तरह के इंतजाम किये जा रहे है. भाजपा समर्थित राज्यसभा की निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा के चुनाव लड़ने से कांग्रेस प्रत्याशी कपिल सिब्बल की मुश्किले बढ़ गई हैं. कांग्रेस के साथ ही साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के नेताओं में भी अपने विधायकों को लेकर अविश्वास पैदा हो गया है. सभी दलों ने उतने ही उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे, जितने वोट उनके पास थे. कांग्रेस के पास अपने प्रत्याशी को जिताने भर के वोट नहीं थे. कांग्रेस को भरोसा है कि सपा और बसपा के बचे वोट कपिल सिब्बल को मिलेगे.

समाजसेवी प्रीति महापात्रा के चुनाव मैदान में उतरने से हर दल का गणित गडबडाने लगा है. भाजपा प्रीति महापात्रा को जितवाकर कपिल सिब्बल की सीट फंसाना चाहती है. कपिल सिब्बल के वोट का प्रबंध करने वाली समाजवादी पार्टी को अपने कई विधायकों से खतरा लग रहा है.

प्रीति महापात्रा को जितवाने का जिम्मा भाजपा ने अपने बडे नेताओं को दिया है. इन नेताओं के सपा में तमाम लोगों से करीबी रिश्ते है. यह जानकारी सपा के प्रमुख नेताओं को लगी, तो वह वहां से विधायकों की तोडफोड रोकने का प्रयास शुरू कर दिया है. भाजपा के निशाने पर वह विधायक हैं जो अपने दलों से नाराज चल रहे हैं. ऐसे विधायको की सबसे ज्यादा संख्या सपा में है. बसपा में भी तमाम विधायको को अपने टिकट कटने का अंदेशा है.

यह लोग भाजपा की राह को आसान कर सकते है. कांग्रेस के भी 4 विधायक ऐसे हैं जो क्रास वोटिंग कर सकते है. दरअसल क्रास वोटिंग ऐसे ही नहीं हो रही है. अंदरखाने विधायकों की खरीदफरोख्त चल रही है. खरीदफरोख्त की रकम पहले दिन से लगातार बढती जा रही है. विधायकों को लगता है कि अगर क्रास वोटिंग से उनको पैसा मिल जायेगा, तो उनका विधानसभा चुनाव लडना सरल हो जायेगा.

प्रीति माहपात्रा की उम्मीदवारी को पहले बहुत हल्के में लिया गया था. ज्यादातर लोगों को उम्मीद थी कि वह अपना नाम खुद वापस लें लेंगी. इसके बाद जब प्रीति ने अपना नाम वापस नहीं लिया, तो उनके खिलाफ मीडिया वार चलाया गया. जिसमें उनकी जायदाद और भाजपा नेताओं से संबंध को निशाने पर लिया गया. इन सबको नजर अंदाज कर प्रीति ने अपना काम जारी रखा. प्रीति के समर्थन में तमाम महिलायें एकजुट हो गई. जिसके बाद प्रीति की उम्मीदवारी अब गंभीरता से ली जाने लगी है.

प्रीति को मिल रहे समर्थन से कांग्रेस सहित दूसरे दलों की नीद उड गई है. प्रीति की जीत में दूसरे राजनीतिक दलों की हार छिपी है. ऐसे में हर किसी को अपने दल की फिक्र हो रही है. कोई भी दल यह पंसद नहीं करेगा कि उसके विधायक क्रास वोटिंग करे. जैसे जैसे मतदान की तारीख करीब आ रही है क्रास वोटिंग को लेकर धडकने तेज हो गई है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा की लडाई में दूसरे दल बेनकाब होंगे.             

 

                    

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