शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि बाबरी मस्जिद ढांचा 17 मिनट में गिराया जा सकता है तो राम मंदिर बनाने में इतना समय क्यों लग रहा है? राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री तक भाजपा के हैं, राज्यसभा में भी सांसद राममंदिर के साथ हैं. ऐसे में राममंदिर की देरी से साफ है कि भाजपा इस काम को नहीं करना चाहती.
शिवसेना का यह आरोप भाजपा पर भारी पड़ रहा है. ऐसे में उसकी तरफ से विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस पूरी ताकत से सियासी धुव्रीकरण में जुट गई है. जहां शिवसेना का लक्ष्य पार्टी प्रमुख उद्वव ठाकरे को अयोध्या की राजनीति में स्थापित करने की है वहीं संघ-विहिप ज्यादा से ज्यादा संतों को यहां जुटाना चाहती है.
कहने के लिये यह कार्यक्रम भले ही संघ-विहिप का हो पर मूल रूप से यह भाजपा का कार्यक्रम है. संघ-विहिप को हर तरह से इसके लिये भाजपा से मदद मिल रही है. सपा नेता अखिलेश यादव लखनऊ में भले ही इस मसले पर खामोश हों, पर मध्य प्रदेश के चुनावी प्रचार में वह अयोध्या में फौज लगाने की मांग करते हैं.
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के जफरयाब जिलानी ने पत्र भेज कर मांग की है कि अयोध्या में मुसलिम और विवादित जगह की सुरक्षा की जाये. जफरयाब जिलानी का मानना है कि इस आदोलन के पीछे राजनीतिक नेतृत्व है. नेताओं पर नहीं अफसरों पर भरोसा है.
सुरक्षा की नजर से अयोध्या को सुरक्षा बलों से घेर दिया गया है. 9 जोन, 16 सेक्टर, 30 माइक्रो सेक्टर में पुलिस बल तैनात है. 5 आईपीएस अफसर विशेष रूप से अयोध्या की निगरानी कर रहे हैं. 3 पीएसी कमांडेट स्तर के अधिकारी भी यहां तैनात किये गये हैं. अयोध्या एक छावनी में बदल चुकी है. मंदिर परिसर को पूरी तरह से सुरक्षित कर दिया गया है, जिससे लोग वहां पहुंच न सके. धारा 144 लागू कर दी गई है.
24 से लेकर 6 दिसंबर तक अयोध्या संवेदनशील जगह बन चुकी है. अयोध्या में रहने वाले लोग परेशान हैं. उनकी खामोशी किसी अनहोनी को लेकर है. इन लोगों ने अपने घरों में खाने के लिये सामाग्री का स्टाक रखना शुरू कर दिया है. इस वजह से यहां महंगाई बढ़ रही है. रामकोट में बने घरों में रहने वाले खासतौर पर परेशान हैं. उनको अपने घर आनेजाने में दिककत हो रही है. उनको बिना परिचय पत्र दिखाये घर नहीं जाने दिया जा रहा.
विरोधी दल इस मुद्दे के मुखर विरोध से बच रहे हैं. उनको लगता है कि अगर विरोधी दल बोलेंगे तो उनको राम का विरोधी कहा जायेगा. वह खामोश रहकर भाजपा को देख रहे हैं. सबको यह पता है कि भाजपा कोई ठोस कदम नहीं उठा पायेगी, जिससे उसे आलोचना का शिकार होना पड़ेगा. विरोधी दल इस बहाने भाजपा को बेनकाब करना चाहते हैं.