स्वधा और अमोल ने पहली नजर में ही एकदूसरे को पसंद किया था. अमोल उस की खूबसूरती और स्वभाव से बहुत प्रभावित हुआ था जबकि स्वधा को उस की स्मार्टनैस और व्यवहार बहुत अच्छा लगा. दोनों उस समय मुंबई के एक कालेज में पढ़ रहे थे. दोनों ने ही अपने इस रिश्ते को आगे तक ले जाना चाहा पर कुछ ही महीनों में यह भावना समाप्त होने लगी.

स्वधा अपने मन की बात शेयर करते हुए बताती है, ‘‘कई लड़के मेरे करीब आने की कोशिश करते थे. वे मुझ से दोस्ती करना चाहते थे पर मैं ने किसी को लिफ्ट नहीं दी थी. बस, मुझे अमोल का व्यवहार बहुत अच्छा लगा था, पर अचानक मेरा दम घुटने लगा. मैं ने खुद को उपेक्षित महसूस किया. ऐसा लगता था कि इस रिश्ते में बस एक ही व्यक्ति का महत्त्व है और वह है अमोल. वह मुझे मेरे सब दोस्तों से दूर रखने लगा. मेरा कोई स्पेस ही नहीं था. वह चाहता था कि मैं बस उसी से मतलब रखूं और किसी से नहीं.

मेरी भावनाओं और जरूरतों की उसे जरा भी कद्र नहीं थी पर उसे मेरा पूरा ध्यान और तारीफ चाहिए होती थी. जल्दी से मेरा धैर्य भी चुकने लगा था. मैं लाउड और डौमिनेटिंग नहीं थी तो उसे लगता था मैं उस की हर बात मानती रहूंगी. इस रिश्ते में पार्टनरशिप जैसी कोई चीज ही नहीं थी. मैं चाहती थी यह रिश्ता चले, टूटे नहीं.

आखिरकार मैं काउंसलर के पास गई जिस ने मुझे समझाया कि गलती कहां थी. मेरा बौयफ्रैंड नारसिसिस्ट था.’’

क्या होता है नारसिसिज्म

मनोवैज्ञानिक डाक्टर संयुक्ता कहती हैं, ‘‘नारसिसिज्म एक पर्सनैलिटी डिस्और्डर है जिस में व्यक्ति खुद को दूसरों से श्रेष्ठ और महत्त्वपूर्ण समझता है. अपनेआप को महत्त्वपूर्ण समझने से व्यक्ति आत्मकेंद्रित होता चला जाता है. उस के दिल में सहानुभूति, करुणा, सहयोग जैसी भावनाएं नहीं होतीं. वह दूसरों की, अपने पार्टनर की भी, जरूरतों के बारे में नहीं सोचता.’’

मनोचिकित्सक अल्पना बांगर का कहना है, ‘‘नारसिसिस्ट (आत्मकामी) व्यक्ति को अपनी तारीफ अच्छी लगती है पर वह दूसरों की तारीफ करना नहीं जानता है. वह अपने लुक्स में या प्रोफैशनल एचीवमैंट में बैस्ट होना चाहता है और वह यह मानता भी है कि वही बैस्ट है. जो वे चाहते हैं, उसे पाने के लिए आत्मकामी लोग दूसरों का फायदा भी उठाना जानते हैं. अपनी आलोचना उन्हें पसंद नहीं, क्योंकि उन्हें इस बात पर विश्वास ही नहीं होता कि उन में कुछ कमियां हो सकती हैं.’’

नारसिसिस्ट होने के कारण

जिन लोगों में आत्मविश्वास बहुत कम होता है, उन के नारसिसिस्ट होने की आशंका ज्यादा रहती है. डाक्टर बांगर के अनुसार, ‘‘ऐसा व्यवहार बचपन के अनुभवों से जुड़ा है. जब बच्चे को लगातार यही महसूस करवाया गया हो कि उस का कोई महत्त्व नहीं है और उस में बहुत सी कमियां हैं.

‘‘जैसेजैसे ऐसे बच्चे बड़े होते हैं वे दूसरों को वैसा ही महसूस करवाने लगते हैं, जैसा उन्होंने अपने बचपन में महसूस किया था. अपनी असुरक्षा के कारण ये दूसरों को नीचा दिखाने लगते हैं. दरअसल, वे अपनेआप को यकीन दिलाते रहते हैं कि वे वास्तव में बहुत अच्छे हैं और उन में आत्मविश्वास की कमी नहीं, जबकि अंतर्मन में वे मान रहे होते हैं कि हर व्यक्ति उन से बेहतर है, पर यह वे स्वीकार नहीं कर सकते.

‘‘नारसिसिज्म को समाज और परिवार से बढ़ावा भी मिलता है. विशेषरूप से व्यावसायिक स्तर पर पुरुषों में ऐसे व्यवहार को कौन्फिडैंस मान कर बढ़ावा दिया जाता है. इसीलिए लगभग 50 से 75 प्रतिशत पुरुष इस डिस्और्डर के शिकार हैं. ऐसे लोग पार्टनर को उस के सोशल सर्कल से दूर रखने की कोशिश करते हैं. उन्हें अपना कंट्रोल खोने का डर रहता है. ऐसे लोग उन स्थितियों से दूर रहते हैं जिन्हें वे कंट्रोल नहीं कर सकते.’’

कैसे पहचानें

आप का प्रेमी या पार्टनर नारसिसिस्टिक व्यक्ति है या नहीं, इसे ऐसे पहचानें :

–     वह ये डींगें तो नहीं मारता कि वह जो भी करता है, बैस्ट होता है.

–     आत्मकामी लोग रिश्ते के शुरू में आप को काफी प्रोत्साहन देंगे और बदले में आप से भी यही चाहेंगे कि उन्हें आप का पूरा सहयोग मिले और आप का पूरा ध्यान उन पर ही हो तो उन की ईगो बूस्ट हो जाती है और वे कुछ दूरी रखना शुरू कर देंगे.

–     यदि आप का पार्टनर लगातार यह चाहता है कि आप हमेशा उस की पहुंच में रहें, तो इसे वौर्निंग साइन समझ लें.

–     ये लोग अपनी ही ब्लौकबस्टर लाइफ टाइम मूवी के स्टार होते हैं. यदि ये अपनी लाइफ की कहानी बारबार दोहरा रहे हैं, तो एक बार अपने रिश्ते के बारे में, उसे आगे बढ़ाने के बारे में जरूर सोचें.

–     आत्मकामी प्रेमी हर चीज का कंट्रोल अपने हाथ में चाहता है. रिश्ते से ज्यादा उस की खुद इमेज उस के लिए महत्त्वपूर्ण होती है.

–     उन्हें ना सुनना नहीं भाता. वे आप को ही बाध्य करेंगे कि आप की राय गलत है और आप को ही बदलना है. आप की पर्सनल बाउंड्री उन के लिए माने नहीं रखती.

–     क्या आप को अपने पार्टनर से बात कर के संतोष मिलता है? क्या वह आप के बारे में पूछता है? आप कैसे हैं, आप किस स्थिति से गुजर रहे हैं, क्या वह इस की चिंता करता है? अगर इन बातों का जवाब न है तो सावधान हो जाएं. अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने से पहले अच्छी तरह जांचपरख लें.

आत्मकामी के साथ कैसे रहें

आत्मकामी व्यक्ति का पार्टनर धीरेधीरे आत्मविश्वास खोने लगता है, ऐसे व्यक्ति से निबटने के लिए, उन के साथ रहने के लिए इन बातों का ध्यान रखें तो स्थिति बेहतर हो सकती है :

–     डाक्टर बांगर का कहना है कि नारसिसिस्ट कभी नहीं स्वीकार करते कि गलती उन की है, क्योंकि वे दोषारोपण या आलोचना सहन नहीं कर सकते. उदाहरण के लिए, वे किसी झगड़े या असहमति में माफी नहीं मांगेंगे. वे कुछ और कर सकते हैं, जैसे फूल ला सकते हैं या कुछ और जिस से यह पता चल जाता है कि झगड़ा खत्म हो चुका है. उन से निबटने के लिए आप को उन के व्यवहार का पैटर्न समझना होगा.

–     आत्मकामी लोग अकसर बहुत आलोचना करते हैं. कारण, उन्हें अपने को श्रेष्ठ दिखाना होता है. यह जरूरी है कि आप उन्हें स्पष्ट कर दें कि आप को कौन सी बात स्वीकार्य है, कौन सी नहीं. किस बाउंड्री को वे बिलकुल क्रौस न करें, जैसे आप अपने मातापिता या बच्चों की अकारण निंदा या आलोचना बिलकुल सहन नहीं करेंगी.

–     लगातार आलोचना सुनते रहने से किसी भी आत्मकामी के पार्टनर के आत्मसम्मान पर बहुत प्रभाव होता है. उसे यही लगने लगता है कि वह इस रिश्ते के लिए ठीक नहीं है या जीवन में कुछ भी करने के योग्य नहीं है. ऐसे में सकारात्मक बातें, छोटीछोटी सफलताओं की खुशियां मनाना, अच्छे दोस्तों के साथ रहना नारसिसिस्ट के पार्टनर के लिए जरूरी होता है.

–     उन की आलोचना न करें, उन से सवालजवाब न करें. वे आप की हर बात रिजैक्ट कर देंगे. उन से बात करने का तरीका आप को बदलना होगा. किसी बात को तुम से शुरू करने के बजाय हम से करें. यदि आप चाहती हैं कि आप का आत्मकामी पार्टनर आप के लिए कुछ करे, तो आप भी बदले में उस के लिए कुछ जरूर करें. बात करते हुए दृढ़ रहें. बहस से दूर रहें, क्योंकि आप बहस में उन से जीत नहीं सकतीं.

–     उन्हें तारीफ सुनना अच्छा लगता है. उन्हें कौम्पलिमैंट्स देती रहें, इस से आप के रिश्ते में बहुत सुधार होंगे. जब भी वे गुस्से में हों, उन की आलोचना को पर्सनल अटैक न समझें.

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