राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम), खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार की एक अनूठी पहल है. यह उद्यमियों, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के पेशेवरों, निर्यातकों, नीति निर्माताओं, सरकार और मौजूदा संस्थानों के विभिन्न हितों को पूरा करने के लिए एक विश्व स्तरीय संस्था है. यह ज्ञान बांटने के अलावा खाद्य मानकों की स्थापना में सक्रिय रूप से काम कर रहा है. निफ्टेम के कुलपति डा. अजीत कुमार ने बताया कि कैसे यह भारत और विदेशों में खाद्य प्रौद्योगिकी और प्रबंधन के क्षेत्र में नेटवर्किंग और अन्य संस्थानों के साथ समन्वय कर रहा है.

निफ्टेम में कौन सी नई परियोजनाएं ली गई हैं एवं इसका सफर कैसा रहा?

निफ्टेम को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रैंकिंग की घोषणा के अनुसार भाग लेने वाले सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग में 50वां स्थान प्राप्त हुआ. चूंकि हम पारंपरिक भारतीय भोजन पर काम कर रहे हैं, हम ने उत्कृष्टता के एक केंद्र की स्थापना की है, जो विभिन्न प्रकार के संस्थानों, सरकार, निजी क्षेत्र और खाद्य उद्योग के साथ मिल कर भारत को दुनिया की खाद्य फैक्टरी बनाने में सहयोग करेगा. हम ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की उत्पादकता में सुधार लाने और पर्यावरण को हरा बनाने के लिए एक बड़ी पहल शुरू कर दी है.

हमारे पास किसानों और ग्रामीण युवाओं के सशक्तिकरण के लिए खुशहाली पहल जैसी परियोजनाएं हैं. इस में गांवों में उत्पादित वस्तुओं के मूल्य संवर्धन के माध्यम से किसानों और ग्रामीण युवाओं की आय बढ़ाने के लिए काफी क्षमता है. गांवों में किसानों और ग्रामीण युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण और उद्यमिता विकास के द्वारा ग्रामीण विकास की स्थापना की मांग महसूस हुई. संस्था ने खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमशीलता और प्रबंधन से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान गतिविधियों को शुरू करने के लिए अनुसंधान प्रकोष्ठ और एक खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला शुरू कर दी है. सड़क के किनारे विक्रेताओं द्वारा बेचे जाने वाले मांस को रखने के लिए कम लागत वाले शीतलकक्ष का विकास शुरू कर दिया है. यह संस्था खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए आर्थिक विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

भारत में खाद्य प्रसंस्करण की वर्तमान स्थिति क्या है?

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भारत में सब से बड़े उद्योगों में से है. भारत का खाद्य क्षेत्र सोने की खान है. पिछले कुछ सालों के दौरान इस में 8-10 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हो रहा है. युवा पीढ़ी की खरीद क्षमता में सुधार जारी है, अच्छी गुणवत्ता के भोजन की मांग भी बढ़ रही है.

निफ्टेम ने कैसे विश्वस्तरीय प्रदर्शन किया?

अब तक फल, सब्जी, मछली, मीट इत्यादि को खराब होने से बचाने के लिए कोई खास काम नहीं किया गया है. उदाहरण के लिए भारत में कसाईखाने नहीं हैं, जिस की वजह से ज्यादातर उपभोक्ता स्वच्छ मांस प्राप्त करने में असमर्थ हैं. निफ्टेम ने वेगीनियन यूनिवर्सिटी नीदरलैंड, कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए, यूनिवर्सिटी आफ नेब्रास्का लिंकन यूएसए, यूनिवर्सिटी आफ सस्केचेवान कनाडा, एमसी गिल यूनिवर्सिटी कनाडा, आईएफएसएच शिकागो जैसे प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ खाद्य प्रसंस्करण के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रशिक्षण और संयुक्त अनुसंधान के लिए करार किया.

निफ्टेम के छात्रों के लिए व्यवसाय के क्या मौके हैं?

खाद्य और खानपान उद्योग में कैरियर के मौके कभी कम नहीं होंगे. इस में भविष्य में और इजाफा होगा.  छोटे और लघु उद्योगों के लिए निफ्टेम जागरूकता फैला रही है. यह बी-टेक और एम-टेक के कोर्स चला रही है. निफ्टेम मांस काटने से ले कर उसे सुरक्षित रखने आदि की तकनीकी जानकारी देगी. निफ्टेम के कार्यक्रम आधुनिक और नए हैं. निफ्टेम नए विचारों के साथ आने वाले छात्रों को स्टूडेंट इनोवेशन फंड भी देगी, जिस से वे अपने नए विचारों के लिए परियोजना रिपोर्ट पेश कर सकते हैं.

‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए निफ्टेम का योगदान क्या है?

निफ्टेम ने ‘मेक इन इंडिया’ का अभियान शुरू किया, जहां परंपरागत भारतीय खाद्य पदार्थों का चयन किया गया है. गांव गोद लेने के कार्यक्रम के दौरे के दौरान छात्रों द्वारा एकत्र किए गए पारंपरिक खाद्य पदार्थों के बारे में जानकारी ली गई. छात्रों को रणनीतिक रूप से वैश्विक कारोबार के लिए तैयार किया गया. ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत में निफ्टेम ने परिसर में भारतीय पारंपरिक खाद्य पदार्थों के लिए राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किया है ताकि भारतीय पारंपरिक खाद्य पदार्थों को वैश्विक बढ़ावा दे कर विश्व खाद्य बाजार पर कब्जा किया जा सके.

परिसर में नवीनतम बुनियादी ढांचे क्या हैं?

हमने अंतर्राष्ट्रीय अनाज प्रसंस्करण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय बेकरी अनुसंधान एंव प्रशिक्षण केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए उत्कृष्टता का केंद्र, प्रायोगिक संयंत्र सह ऊष्मायन केंद्र जैसे कई केंद्रों का विकास किया है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 4 हफ्ते के प्रशिक्षण की शुरुआत की गई है.

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