चुनावों में जीत के लिए नेताओं द्वारा तरहतरह के धार्मिक हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. जाति, धर्म, वर्ग विशेष के लोगों को लुभाने के वादे तो हैं ही, धार्मिक स्थलों और धर्मगुरुओं के मठों, आश्रमों और मंदिरों की परिक्रमा के ढोंग भी खूब देखे जा रहे हैं.
आंध्रप्रदेश से अलग हो कर अस्तित्व में आए नए राज्य तेलंगाना के मुख्यमंत्री एवं तेलंगाना राष्ट्र समिति के मुखिया कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव का धर्म प्रेम जगजाहिर है. राज्यों के मुख्यमंत्रियों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव धार्मिक कर्मकांड कराने वाले नेताओं में सब से अग्रणी माने जाते हैं. वह सरकारी खर्च पर कभी प्रदेश की तरक्की के लिए तो कभी सुखशांति के लिए हवनयज्ञ कराने के लिए खबरों में रहते हैं.
इस बार चंद्रशेखर राव ने चुनाव जीतने के लिए देश भर के पंडितों को बुला कर 2 दिन का यज्ञ करवाया है. वह दूसरी बार फिर राज्य की सत्ता में आना चाहते हैं. सिद्दिपेट जिले के ईरावल्ली स्थित चंद्रशेखर राव के फार्महाउस में राजा श्यामला महायज्ञ, चंडी यज्ञ और अन्य धार्मिक कर्मकांड कराए गए.
इस काम के लिए राव का परिवार ही नहीं, पूरा कैबिनेट जुटा. यज्ञ विशाखा के शारदापीठाधीश स्वरूपानंद सरस्वती से कराया गया. कहा गया है कि चंद्रशेखर राव ने यज्ञ के लिए अलगअलग राज्यों से 75 पंडितों को बुलाया. इस यज्ञ के बाद राव चुनाव प्रचार के लिए निकलेंगे. टीआरएस नेताओं का कहना है कि तेलंगाना राज्य की समृद्घि, लोगों के कल्याण और विभिन्न विकास योजनाओं को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए किया गया है.
फार्महाउस में यज्ञ के लिए वेदियां बनाई गई हैं. राव खुद यज्ञ में परिवार सहित उपस्थित रहे. यज्ञ के दौरान राव ने पत्नी के साथ गाय को फूलमाला पहनाई और अपने हाथों से खाना खिलाया. उस समय उन के सिक्युरिटी गार्ड भी उन के साथ रहे.
राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथसाथ तेलंगाना में भी विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. कहा गया कि राव को एक दिन ‘अलौकिक आभास’ हुआ कि उन्हें विधानसभा भंग कर नए चुनाव करवा लेने चाहिए ताकि वह फिर से राजगद्दी पर विराजमान हो सकें. उन्होंने ऐसा ही किया. समय से पहले विधानसभा भंग कराने का ऐलान करा दिया.
राव ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, शकुनअपशकुन और कर्मकांडों में गहरी आस्था रखते हैं. पुरोहितों से पूछे बिना वह कोई काम नहीं करते. विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव भी उन्होंने पंडितों से ग्रह, नक्षत्र दिखा कर कराया था लेकिन चुनाव आयोग ने जब राज्य में मतदान की तारीख 7 दिसंबर तय की तो पंडितों ने कहा कि इस दिन अमावस्या है औैर अशुभ दिन है इसलिए यह राव के लिए चिंता का कारण बन गया. उन्होंने पंडितों ने राय ली तो जीत के लिए उपाय के तौर पर यज्ञ कराने की सलाह दी गई.
चंद्रशेखर राव ने इस से पहले भी राज्य में चंडी महायज्ञ कराया था जिस में भयंकर आग लगने से करोड़ों का पंडाल जल कर राख हो गया. पंडितों को यज्ञ बीच में छोड़ कर भागना पड़ा था. उस समय आग घी के डिब्बों में लग गई. यज्ञ स्थल के पास दर्जनों देसी घी के डिब्बे पड़े थे. आग हवनकुंडों से होती हुई डिब्बों तक जा पहुंची और देखते ही देखते समूचे पंडाल को चपेट में ले लिया. मुख्यमंत्री चंद्रशेखर को परिवार, अपने मंत्रिमंडल और मेहमानों समेत भागना पड़ा था.
विश्वशांति और लोकहित के लिए कराए गए इस यज्ञ के लिए उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों के लगभग 2 हजार ब्राह्मणों को बुलाया गया था. मेहमानों के भोजन के लिए 400 रसोइए रखे गए थे. यज्ञ में तब के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत कई राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों को बुलाया गया था. आग इतनी भयंकर थी कि यज्ञ वेदी पर मंत्र पढते छोड़ कर भाग रहे कुछ पंडितों की धोतियां भी जल गई थीं.
राज्य के 31 जिलों की कुल 119 सीटें हैं. अभी चंद्रशेखर राव की पार्टी के पास 90 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 13 और अन्य के पास 16 सीटें हैं. राज्य में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है.