उत्तर प्रदेश की राजधनी लखनऊ के इकाना इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम पर क्रिकेट के खिलाडियों से पहले नेताओं के बीच खेल खेला गया. यह खेल क्रिकेट स्टेडियम की पहचान से जुडा था. असल में इकाना क्रिकेट स्टेडियम पीपीपी मौडल पर अखिलेश सरकार के समय बना था. पहले इंटरनेशनल क्रिकेट मैच के पहले अखिलेश यादव के समर्थक इसके लिये अखिलेश को बधाई देने लगे. सोशल मीडिया पर यह तेजी से वायरल होने लगा. अखिलेश समर्थक की इस उछाल वाली गेंद पर योगी सरकार ने सीधे छक्का लगाते हुए शाम तक इकाना क्रिकेट स्टेडियम का नाम बदल कर ‘भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम’ रख दिया. सरकार ने यह भी तय कर दिया कि क्रिकेट मैच से पहले मुख्यमंत्री योगी यह स्टेडियम देश को समर्पित करेगे.
एक तरफ अखिलेश समर्थक इस स्टेडियम को अखिलेश यादव के काम से जोड़ कर देख रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा के लोग इसके नये नामकरण से खुश हैं. ऐसे में क्रिकेट के गेंद और बल्ले से पहले ही सरकार ने खेल खेला और दोनों तरफ से चौकों छक्कों की बारिश शुरू हो गई. असल में योगी सरकार ने यह फैसला आनन फानन में लिया. अगर यह फैसला थोड़ा पहले होता तो इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम से पहले से प्रचारित किया जाता. अटल बिहारी वाजपेई का लखनऊ से गहरा नाता था. वह लखनऊ के सांसद रहते ही देश के प्रधनमंत्री चुने गये थे. उनके देहावसान के बाद इस बात की जरूरत महसूस की जा रही थी कि उनके नाम पर कोई बड़ा स्मारक बनाया जाये.
लखनऊ के कई चौराहों के नाम अटल जी के नाम पर रखने का प्रस्ताव भी उठा पर बात बनी नहीं इसी बीच इकाना क्रिकेट स्टेडियम में इंटरनेशनल मैच होने का नंबर आया तो सरकार ने स्टेडियम का ही नाम बदलने का काम कर दिया. अब इकाना स्टेडियम को ‘भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम’ के नाम से जाना जायेगा. यह स्टेडियम पीपीपी मौडल पर सरकार और इकाना स्पोर्ट्स के साथ बना था. नाम बदलने की राजनीति योगी सरकार में तेजी से बढ़ रही है. मुगलसराय और इलाहाबाद के बाद इकाना का नाम बदला गया. अब लखनऊ और फैजाबाद का नाम बदले जाने की मुहिम शुरू हो गई है.